उत्तर प्रदेश विधानसभा के चुनाव (UP Assembly Election 2022) अगले साल होने हैं. योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath)सरकार पिछले कुछ महीने से विकास योजनाओं के लोकार्पण और शिलान्यास में लगी हुई है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पिछले कुछ महीनों में यूपी की आधा दर्जन से अधिक यात्राएं कर चुके हैं. इन यात्राओं में उन्होंने करीब 1 लाख करोड़ रुपये की योजनाओं का शुभारंभ या शिलान्यास किया. इनमें एक अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे का शुभारंभ और एक का शिलान्यास शामिल है. आइए नजर डालते हैं कुछ ऐसी ही परियोजनाओं पर जिनके जरिए योगी आदित्यनाथ एक बार फिर सत्ता में लौटने की कोशिश कर रहे हैं.


काशी विश्वनाथ धाम


प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चुनाव क्षेत्र वाराणसी की इस महत्वाकांक्षी परियोजना का शिलान्यास 8 मार्च 2019 को हुआ था. इस पर करीब 700 करोड़ रुपये की लागत आने का अनुमान है. इसमें विश्वनाथ मंदिर को मणिकर्णिका घाट से जोड़ने वाले कॉरिडोर का विकास शामिल हैं. यह परियोजना दो चरणों में पूरी होगी. पहले चरण का उद्घाटन प्रधानमंत्री 13 दिसंबर को कर सकते हैं. पहले चरण में विश्वनाथ मंदिर परिसर के साथ-साथ मुमुक्षु भवन, यात्री सुविधा केंद्र, वैदिक केंद्र, गंगा व्यू गैलरी, भोगशाला, फूड कोर्ट सेंटर, सुरक्षा केंद्र और मंदिर चौक समेत 19 भवन यात्री सुविधाओं के लिए तैयार हैं. 


गोरखपुर में एम्स


योगी आदित्यनाथ की कर्मभूमि गोरखपुर हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 22 जुलाई 2016 को गोरखपुर में अखिल भारती आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) की आधारशिला रखी थी. इसके निर्माण पर 11 सौ करोड़ रुपये की लागत आने का अनुमान है. गोरखपुर और उसके आसपास के जिलों में पिछले कई दशक से जापानी इंसेफलाइटिस या दीमागी बुखार का प्रकोप रहा है. इससे हजारों बच्चों की मौत हो चुकी है. योगी सरकार ने पिछले कुछ सालों में जापानी इंसेफलाइटिस पर काबू पाने का दावा कर रही है. प्रधानमंत्री ने 2017 के विधानसभा चुनाव से पहले गोरखपुर एम्स का शिलान्यास किया था. उन्होंने 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले वहां ओपीडी की शुरुआत की.


कानपुर में मेट्रो रेल


मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 10 नवंबर को कानपुर मेट्रो के ट्रायल रन की शुरूआत की. इसके साथ ही कानपुर मेट्रो की सुविधा वाला प्रदेश का चौथा शहर हो गया. कानपुर में मेट्रो का शिलान्यास अक्तूबर 2016 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया था. इसके निर्माण पर 13 हजार करोड़ रुपये की लागत आने का अनुमान है. यह सपा की अखिलेश यादव सरकार की प्रमुख परियोजना थी. लेकिन 2017 के विधानसभा चुनाव की घोषणा हो जाने की वजह से इसका निर्माण कार्य नहीं शुरू हो पाया था. योगी आदित्यनाथ सरकार कानपुर मेट्रो को अगले साल जनवरी तक जनता के लिए शुरू करने की योजना बना रही है. 


डिफेंस इंडस्ट्रीयल कॉरिडोर


झांसी में इस परियोजना की आधारशिला प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 18 नवंबर को रखी थी. यह करीब 20 हजार करोड़ की परियोजना है. लखनऊ में आयोजित एक इनवेस्टर्स मीट में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसकी घोषणा की थी. इसके तहत हथियार, हवाई जहाज और हेलिकॉप्टर आदि बनाने की योजना है. इसके लिए छह शहरों- लखनऊ, कानपुर, झांसी, आगरा, अलीगढ़ और चित्रकूट की पहचान की गई है. इन्हें एक्सप्रेस वे के जरिए जोड़ा जाएगा. यहां पर स्माल, मीडियम और माइक्रो इंडस्ट्रीज की स्थापना की जाएगी. सरकार का दावा है कि अब तक 68 एसओयू पर दस्तखत किए जा चुके हैं. सरकार के मुताबिक 22 कंपनियों को जमीन अलॉट कर दी गई है.


कुशीनगर में इंटरनेशनल एयरपोर्ट


मायावती सरकार ने गौतम बुद्ध की परिनिर्वाण स्थली कुशीनगर में अंतरराष्ट्रीय स्तर का हवाई अड्डा बनाने की शुरुआत की थी. लेकिन जमीन अधिग्रहण पर विवाद होने की वजह ये बात आगे नहीं बढ़ी. नरेंद्र मोदी सरकार ने पिछले साल कुशीनगर में तैयार हवाई अड्डे को अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे का दर्जा दिया था. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 20 अक्तूबर को कुशीनगर अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे की शुरुआत की. पहली फ्लाइट श्रीलंका से बौद्ध भिक्षुओं को लेकर आई थी. दिल्ली से कुशीनगर के लिए एक फ्लाइट 26 नवंबर से शुरू हुई. मुंबई और कोलकाता से फ्लाइट अगले महीने शुरू हो सकती है.


पूर्वांचल एक्सप्रेस वे


प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 16 नवंबर को पूर्वांचल एक्सप्रेस वे का लोकार्पण किया था. 341 किमी लंबा यह उत्तर प्रदेश का सबसे बड़ा एक्सप्रेस वे है. इसके निर्माण पर 22 हजार करोड़ रुपये से अधिक की लागत आई है. इसे पूर्वी उत्तर प्रदेश के तरक्की के गेटवे के तौर पर देखा जा रहा है. यह लखनऊ ने शुरू होकर बीहार सीमा के पास गाजीपुर तक गया है. सरकार को अनुमान है कि इससे निवेश, औद्योगिक विकास व रोजगार रफ्तार बढ़ेगी. इसका श्रेय लेने की सपा और बीजेपी में होड़ है. सपा का दावा है कि यह उसकी परियोजना है और इसका शिलान्यास अखिलेश यादव की सरकार में हुआ था. वहीं बीजेपी सपा के दावों को नकार रही है. 


बुंदेलखंड एक्सप्रेस वे


इस परियोजना की आधारशिला पिछले साल 29 फरवरी को रखी गई थी. इसके निर्माण पर करीब 15 हजार करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान है. इस 296 किमी के एक्सप्रेस वे से इटावा, औरैया, जालौन, हमीरपुर, बांदा, महोबा और चित्रकूट जिले आपस में जुड़ेंगे. इसका शुभारंभ अगले साल चुनाव से पहले हो सकता है. 


देश का सबसे बड़ा एक्सप्रेस वे


यह मेरठ से शुरू होकर प्रयागराज तक जाएगा. करीब 595 किमी लंबा यह देश का सबसे बड़ा एक्सप्रेस वे होगा. यह मेरठ से हापुड़, बुलंदशहर, अमरोहा, संभल, शाहजहांपुर, हरदोई, उन्नाव, रायबरेली, प्रतापगढ़ होते हुए प्रयागराज तक जाएगा. अगले महीने इसकी आधारशिला रखे जाने की उम्मीद है. इसके निर्माण पर 36 हजार से अधिक का खर्च होने का अनुमान है. सरकार का दावा है कि इस एक्सप्रेस वे के लिए 80 फीसदी से अधिक जमीन का अधीग्रहण हो चुका है.