पिछले कुछ सालों में बेरोजगारी एक प्रमुख समस्या बनकर उभरी है. राजनीतिक दल इसे मुद्दा भी बना रहे हैं. उत्तर प्रदेश में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव (UP Assembly Election 2022) के लिए कांग्रेस (Congress) ने भी इसे मुद्दा बनाया है. कांग्रेस कार्यकर्ता लोगों के घर पहुंचकर बेरोजगारी भत्ता का फार्म भरवा रहे हैं. इसमें फार्म में लोगों से उनकी आर्थिक स्थिति और रोजगारी से संबंधित जानकारी ली जा रही है. इससे पहले अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) जब 2012 में मुख्यमंत्री बने थे तो उन्होंने युवाओं को बरोजगारी भत्ता देने की शुरुआत की थी. लेकिन योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) के नेतृत्व में बनी बीजेपी (BJP) की सरकार ने सत्ता संभालते ही उसे बंद करवा दिया.  


उत्तर प्रदेश में कांग्रेस की कोशिश 


उत्तर प्रदेश में कांग्रेस कार्यकर्ता विधानसभा चुनाव से पहले घर-घर जाकर लोगों से बेरोजगारी भत्ता का फॉर्म भरवा रहे हैं. इसमें संबंधित व्यक्ति के घर में रोजगारी से जुड़ी और आर्थिक स्थिति से जुड़ी जानकारियां जुटाई जा रही हैं. वहीं इससे पहले कांग्रेस ने युवा संवाद आयोजित किया था. इसमें सरकारी नौकरी की भर्ती प्रक्रिया 1 साल में पूरी करने की मांग की गई थी. इसके अलावा पार्टी ने संविदा की जगह पक्की नौकरी की बात कही है. कांग्रेस हर जिले में उद्योग कारखाने खोलने और रोजगार की गारंटी भी मांग रही है. इसमें नौकरी न देने की स्थिति में बेरोजगारी भत्ता देने की भी मांग की गई. 


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कांग्रेस अपनी इन कोशिशों से खुद को युवाओं के साथ दिखाने की कोशिश कर रही है. उत्तर प्रदेश में बेरोजगारी एक बड़ा मुद्दा है. यूपी की प्रभारी प्रियंका गांधी प्रदेश में युवाओं और बेरोजगारों के जुड़े मुद्दे उठाती रहती हैं. 


उत्तर प्रदेश में बेरोगारी भत्ता कब-कब मिला?


उत्तर प्रदेश में 2012 में जब अखिलेश यादव की सरकार आई तो उसने युवाओं को बेरोजगारी भत्ता देने की शुरूआत की थी. उसने 2012-13 में 69 जिलों में समारोह आयोजित कर 1 लाख 26 हजार 521 बेरोजगारों 20.58 करोड़ रुपये चेक के जरिए दिए थे. सरकार ने 2012-13 के बजट में 9 लाख लोगों को बेरोजगारी भत्ता देने के लिए 697.24 करोड़ का प्रावधान किया था. लेकिन एक साल बाद ही यह योजना बंद कर दी गई थी. इससे पहले मुलायम सिंह यादव की सरकार ने भी बेरोजगारों को 500 रुपये का बेरोजगारी भत्ता दिया था. इसे मायावती की सरकार ने बंद कर दिया था. 


उत्तर प्रदेश में सपा की सरकार जाने के बाद आई योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व वाली बीजेपी सरकार ने अखिलेश यादव की इस योजना को अप्रासंगिक बताते हुए उसे बंद कर दिया था. लेकिन चुनाव करीब आता देख योगी आदित्यनाथ की सरकार ने इस साल 'उत्तर प्रदेश बेरोजगारी भत्ता योजना' शुरू की है. इसमें पढ़े-लिखे बेरोजगार युवाओं को हर महीने 1500 रुपये देने का प्रावधान है. 21 से 35 साल तक के ऐसे युवा जिनके परिवार की आय 3 लाख रुपये सालाना है, उन्हें इस योजना का लाभ मिलेगा. 


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