UP Election 2022: अखिलेश यादव के खिलाफ करहल में प्रचार करने को तैयार हैं अपर्णा यादव, इस बात का है उन्हें इंतजार
परिवारवाद के आरोपों पर अपर्णा यादव ने कहा, ''मैं परिवारवाद का उदाहरण नहीं हो सकती हूं. मैं परिवारवादी राजनीति का हिस्सा नहीं हूं. अब मैं राष्ट्रवादी पार्टी के साथ है, परिवारवादी पार्टी के साथ नहीं.''
मुलायम सिंह यादव (Mulayam Singh Yadav) की सबसे छोटी बहू अपर्णा यादव (Aparna Yadav) ने कहा है कि वो अपने जेठ अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) के खिलाफ चुनाव प्रचार करने को तैयार हैं. अखिलेश यादव मैनपुरी जिले की करहल (Karhal) सीट से चुनाव लड़ रहे हैं. अपर्णा यादव ने एबीपी से बातचीत में ने कहा कि बीजेपी (BJP) का शीर्ष नेतृत्व बहुत सोच-समझकर मुझे हर जगह भेज रहा है, वह जो तय करेगा मैं करुंगी.
कहां कहां चुनाव प्रचार कर रही हैं अपर्णा यादव
अपर्णा बिष्ट यादव से जब यह पूछा गया कि क्या वो करहल में बीजेपी उम्मीदवार के खिलाफ प्रचार करने जाएंगी, जहां से अखिलेश यादव चुनाव लड़ रहे हैं. इस सवाल पर अपर्णा यादव ने कहा, ''पार्टी जहां मुझे भेजेगी अपर्णा यादव वहां जाएगी. इसी क्रम में मैं रायबरेली, सीतापुर, बाराबंकी, बहराइच और कानपुर देहात होकर आई हूं. लखनऊ मेरे लिए बहुत महत्वपूर्ण है. मैंने कल सरोजनीनगर में प्रचार किया है. अभी लखनऊ कैंट में प्रचार कर रही हूं. पार्टी जो मुझे आदेश कर रही है, मैं पार्टी के साथ हूं, पूर्ण निष्ठा के साथ. पार्टी जो मुझे कहेगी वह मैं करुंगी.''
उन्होंने कहा, ''राष्ट्र के लिए पार्टी का शीर्ष नेतृत्व जो तय करेगा, वह मैं करुंगी. मेरा शीर्ष नेतृत्व मुझे समझकर हर जगह भेज रहा है. मैं उनके नियमों का पालन कर रही हूं.'' अपर्णा यादव ने कहा कि अब मैं बीजेपी में हूं. उन्होंने कहा कि परिवार और राजनीति अलग-अलग विषय हैं. दोनों को एक साथ न मिलाया जाए तो ज्यादा अच्छा रहेगा.
परिवारवाद पर क्या है अपर्णा यादव का जवाब
परिवारवाद के आरोपों पर अपर्णा यादव ने कहा, ''मैं परिवारवाद का उदाहरण नहीं हो सकती हूं. मैं परिवारवादी राजनीति का हिस्सा नहीं हूं. अब मैं राष्ट्रवादी पार्टी के साथ है, परिवारवादी पार्टी के साथ नहीं.''
अपर्णा यादव मुलायम सिंह यादव के छोटे बेटे प्रतीक यादव की पत्नी हैं. वो इसी साल जनवरी में समाजवादी पार्टी छोड़कर बीजेपी में शामिल हुई हैं. उन्होंने 2017 का विधानसभा चुनाव लखनऊ कैंट सीट से सपा के टिकट पर लड़ा था. वो बीजेपी की रीता बहुगुणा जोशी के हाथों हार गई थीं.