क्या यूपी में टूट गई ओम प्रकाश राजभर और असदुद्दीन ओवैसी की दोस्ती? जानें- क्यों उठ रहा है सवाल
ओम प्रकाश राजभर ने असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी पर तंज कसते हुए कहा कि वह बीजेपी को हराना चाहते हैं तो अकेले हरा सकते हैं.
UP Assembly Election 2022: सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के अध्यक्ष ओम प्रकाश राजभर द्वारा बीजेपी की राज्य इकाई के अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह के साथ बैठक को लेकर असदुद्दीन ओवैसी के साथ कोई मतभेद नहीं होने का दावा करने के कुछ घंटों बाद, एआईएमआईएम के प्रवक्ता सैयद असीम वकार ने कहा कि उनकी पार्टी ऐसे किसी भी मोर्चे का हिस्सा नहीं होगी जिसमें से बीजेपी की बू आती है.
असीम वकार ने ट्वीट कर कहा, ''हम ऐसे किसी भी मोर्चे का हिस्सा नही बनेंगे जिसमें से बीजेपी की बू आती हैं. अगर राजभर भी बीजेपी के साथ गये तो हम उनको भी हरायेंगे और उनका विरोध भी करेंगे.'' वकार के इस ट्वीट को को ऑल इंडिया मजलिस इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) मुखिया असदुद्दीन ओवैसी ने रीट्वीट किया हैं. वकार ने आगे कहा कि ''बीजेपी से हाथ मिलाने वाले हमारे राजनीतिक दुश्मन हैं. मैं अपने मुस्लिम भाइयों को आश्वस्त कर रहा हूं कि बीजेपी के साथ चुनाव लड़ने वाले हमारे राजनीतिक विरोधी हैं और जो बीजेपी को हराने के लिए लड़ रहे हैं, भले ही वे हमारे साथ न हों, हमारे राजनीतिक दोस्त हैं.''
ओम प्रकाश राजभर ने दी प्रतिक्रिया
इस पर प्रतिक्रिया देते हुये सुभासपा के अध्यक्ष ओम प्रकाश राजभर ने एआईएमआईएम के भागीदारी संकल्प मोर्चा से अलग होने को नासमझी का फैसला करार देते हुए कहा है कि किसी को जबरदस्ती साथ नहीं रखा जा सकता. राजभर ने एआईएमआईएम प्रवक्ता आसिम वकार के भागीदारी संकल्प मोर्चा से नाता तोड़ने के बयान पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि यह गलतफहमी का बयान है और किसी को जबरदस्ती साथ नहीं रखा जा सकता, वह नासमझी का बयान दे रहे हैं. उन्होंने कहा कि उनका मन है और उनका विश्वास है, यदि उन्हें हमारा मोर्चा पसंद नहीं है और उन्हें ऐसा लगता है कि हम लोग बीजेपी के एजेंट हैं तो वह स्वतंत्र हैं. उन्होंने व्यंग्य करते हुए कहा कि वह बीजेपी को हराना चाहते हैं तो अकेले हरा सकते हैं.
इससे पहले बीजेपी की उत्तर प्रदेश इकाई के अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह से मुलाकात के बाद ऑल इंडिया मजलिस इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) मुखिया असदुद्दीन ओवैसी की नाराजगी की खबरों के बीच सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) प्रमुख ओमप्रकाश राजभर ने दावा किया कि ओवैसी की पार्टी अब भी उनके भागीदारी संकल्प मोर्चा का हिस्सा है. राजभर ने कहा "प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह से मंगलवार को मुलाकात के बाद मैंने ओवैसी से फोन पर बात की और मैंने उन्हें इस मुलाकात के बारे में विस्तार से बताया." ओवैसी से मतभेद की खबरों को बेबुनियाद बताते हुए राजभर ने दावा किया कि एआईएमआईएम अब भी उनकी अगुवाई वाले भागीदारी संकल्प मोर्चा का हिस्सा है.
राजभर ने कहा "हम मोर्चे को मजबूत कर रहे हैं. हम इसी सिलसिले में वाराणसी में सात अगस्त को महिलाओं, पिछड़ों और अति पिछड़ों का सम्मेलन आयोजित करेंगे. अगले दिन इलाहाबाद में भी ऐसा ही सम्मेलन होगा." राजभर ने कहा कि प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह से पहले उन्होंने प्रदेश के उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य से सोमवार को भेंट की थी. हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि वह बीजेपी से गठबंधन नहीं करेंगे और उनकी बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा और गृह मंत्री अमित शाह से कोई बैठक नहीं हुई है.
राजभर ने बीजेपी के सामने रखी थी ये शर्त
प्रदेश की मौजूदा सरकार में कैबिनेट मंत्री रह चुके राजभर ने मंगलवार को कहा था कि वह बीजेपी के साथ गठबंधन करने को तैयार हैं, बशर्ते यह पार्टी आगामी विधानसभा चुनाव में पिछड़े वर्ग के किसी नेता को मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार के रूप में पेश करे. राजभर ने बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह और उपाध्यक्ष दयाशंकर सिंह से हुई मुलाकात को शिष्टाचार भेंट बताया था. उन्होंने पहले कहा था कि बीजेपी के साथ गठबंधन करने की संभावनाएं ना के बराबर हैं और उनकी पार्टी आगामी विधानसभा चुनाव में सत्तारूढ़ दल को उखाड़ फेंकने का संकल्प ले चुकी है, मगर बीजेपी प्रदेश उपाध्यक्ष दयाशंकर सिंह ने उम्मीद जताई है कि सुभासपा और बीजेपी आगामी विधानसभा चुनाव मिलकर लड़ेंगी.
राजभर ने हाल में भागीदारी संकल्प मोर्चा गठित किया था जिसमें कई छोटी पार्टियों को शामिल किया गया था. उन्होंने दावा किया था कि बीजेपी उनके साथ गठबंधन करने को बेताब है क्योंकि वह यह समझती है कि प्रदेश में दोबारा सरकार बनाने के लिए यह गठबंधन करना जरूरी है. सांसद असदुद्दीन ओवैसी की अगुवाई वाली एआईएमआईएम ने उत्तर प्रदेश के आगामी विधानसभा चुनाव में 100 सीटों पर प्रत्याशी उतारने का फैसला किया है. सुभासपा ने साल 2017 का विधानसभा चुनाव बीजेपी से गठबंधन कर लड़ा था और चार सीटों पर जीत हासिल की थी. साल 2019 में मतभेद होने पर यह पार्टी बीजेपी से अलग हो गई थी. गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश के पूर्वी हिस्सों के अनेक जिले राजभर बहुल है और पूर्वांचल की कुल आबादी में इस बिरादरी की हिस्सेदारी लगभग 20% है.
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