उत्तर प्रदेश की राजनीति के लिए शुक्रवार एक अहम दिन था. चुनाव से ठीक पहले बीजेपी छोड़ने वाले बीजेपी के दो कैबिनेट मंत्री और कई विधायक समाजवादी पार्टी में शामिल हो गए. इनमें स्वामी प्रसाद मौर्य का नाम प्रमुख है. कभी बसपा में रहकर आंबेडकरवाद की राजनीति करने वाले मौर्य ने सपा में शामिल होते ही लंबा-चौड़ा भाषण दिया. उन्होंने सपा प्रमुख अखिलेश यादव के प्रधानमंत्री बनने की भविष्यवाणी की. उनके भाषण की एक बात ने लोगों का सबसे अधिक ध्यान खींचा, वह था 85 बनाम 15 की लड़ाई. आइए जानते हैं कि इससे पीछे की राजनीति क्या है.


योगी आदित्यनाथ का 80 बनाम 20 फीसदी


मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कुछ दिन पहले कहा था कि यह चुनाव 80 फीसदी बनाम 20 फीसदी का होगा. हालांकि उन्होंने यह साफ नहीं किया था कि आखिर 80 फीसदी और 20 फीसदी के जरिए वो कहना क्या चाहते हैं. विपक्ष ने उनके इस बयान को हिंदू बनाम मुसलमान के नजरिए से देखा. साल 2011 की जनगणना के मुताबिक उत्तर प्रदेश में मुसलमानों की आबादी 19.01 फीसदी है. विपक्ष ने इसी आधार पर योगी के बयान को हिंदू-मुसलमान के खांचे में बांटकर देखा.






एक टीवी चैनल के कार्यक्रम में योगी आदित्यनाथ से इस 80 बनाम 20 फीसदी वाले बयान को स्पष्ट करने को कहा गया. उन्होंने कहा कि 20 फीसदी वो लोग हैं, जो रामजन्मभूमि का विरोध करते हैं या जिनकी सहानभूति माफियाओं और आतंकवादियों के साथ है. उन्होंने कहा कि 80 बनाम 20 फीसदी की यही सच्चाई है.


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स्वामी प्रसाद मौर्य का 85 बनाम 15 फीसदी


वहीं समाजवादी पार्टी में शामिल होते हुए स्वामी प्रसाद मौर्य ने कहा कि यह चुनाव 85 फीसदी पिछड़ों-दलितों और 15 फीसदी अगड़ी जातियों के बीच लड़ा जाएगा. उन्होंने कहा, '' सरकार बनवाएं दलित-पिछड़े और मलाई खाएं वो लोग अगड़े, 5 फीसदी लोग. आपने 80 बनाम 20 फीसदी का नारा दिया है, लेकिन मैं कह रहा हूं यह 15 बनाम 85 की लड़ाई है. 85 फीसदी हमारा है और 15 फीसदी में भी बंटवारा है.''


उन्होंने कहा, ''अगर 5-10 लोग ही आपके लिए हिंदू हैं तब तो आपकी खटिया खड़ा और बिस्तरा गोल होना तय है. बंटवारे की लाइन आपने खींच दी है. इस चुनाव में एससी, एसटी, ट्राइबल, पिछड़े, गरीब और दलित एक हो गए हैं.''सपा के मंच से भाषण देने के बाद स्वामी प्रसाद मौर्य ने एक ट्वीट में कहा, ''वोट हमारा, राज तुम्हारा नहीं चलेगा.''


जनसंख्या में कौन कितना है


ब अगर 2011 की जनगणना को देखें चो उत्तर प्रदेश में अनुसूचित जाति की जनसंख्या 21.1 फीसदी और अनुसूचित जनजाति की आबादी 1.1 फीसदी है. वहीं माना जाता है कि उत्तर प्रदेश में पिछड़ी जातियों की आबादी 50 फीसदी से अधिक है. मुस्लिमों की जनसंख्या को अगर इसमें जोड़ दें तो यह कुल आबादी का 91 फीसदी होती है. दरअसल बहुजन समाज की जो राजनीतिक कल्पना की गई है, वह 85 बनाम 15 की ही है. इसकी राजनीति करने वालों का मानना है कि दलित, पिछड़े और अल्पसंख्यक की आबादी करीब 85 फीसदी है. इसे ही बहुजन समाज कहा जाता है. 


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योगी आदित्यनाथ के मंत्रिमंडल का पिछले साल सितंबर में विस्तार हुआ था. इसके बाद योगी मंत्रिमंडल के सदस्यों की संख्या 63 हो गई थी. योगी के मंत्रिमंडल में 28 सवर्ण मंत्री शामिल थे, इसमें 10 ब्राह्मण, 7 क्षत्रिय, 1 कायस्थ, 2 भूमिहार, 5 वैश्य और 3 खत्री हैं. वहीं पिछड़ी जातियों के 21 मंत्री थे. कुर्मी जाति के 5, 3 जाट, 2 कुशवाहा, 2 लोध, 1 गुर्जर, 1 चौहान, 1 निषाद, 1 बिंद, 1 कुम्हार, 1 पाल, 1 यादव, राजभर 1 और सैनी (माली) जाति का 1 मंत्री है. वहीं अनुसूचित जाति के 8 मंत्री और अनुसूचित जनजाति का 1 मंत्री था. इसके अलावा 2 अल्पसंख्यक वर्ग के मंत्री थे. यानी कि जिनकी जनसंख्या करीब 92 फीसदी है, उनके केवल 32 मंत्री योगी आदित्यनाथ के कैबिनेट में शामिल थे. स्वामी प्रसाद मौर्य अपने भाषण में इसी गैर बराबरी का जिक्र किया.  


समाजवादी पार्टी की राजनीति


स्वामी प्रसाद मौर्य के इस भाषण के बाद समाजवादी पार्टी कुछ असहज हो सकती है, क्योंकि उसने कभी इस तरह की राजनीति नहीं की है. उस पर यादवों की राजनीति करने का तो ठप्पा लगता रहा है, लेकिन पिछड़ी जातियों की राजनीति करने का ठप्पा कभी नहीं लगा. इसे इस तरह भी समझ सकते हैं कि मौर्य के बाद जब अखिलेश यादव ने भाषण दिया तो उन्होंने किसी जाति का जिक्र नहीं किया. उन्होंने यह जरूर कहा कि अब केवल 20 फीसदी लोग ही बीजेपी का समर्थन करेंगे और बाकी के लोग सपा का समर्थन करेंगे.