उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव (UP Assembly Election 2022) में हैदराबाद के सांसद असदउद्दीन ओवैसी (Asaduddin Owaisi) की पार्टी एआईएमआईएम (AIMIM) भी ताल ठोक रही है. वह 2017 में भी यूपी के चुनाव मैदान में थी. लेकिन वह कोई सीट जीत नहीं पाई थी. बिहार विधानसभा के चुनाव में 5 सीटें जीतने के बाद असदउद्दीन ओवैसी के हौंसले बुलंद हैं. ओवैसी की नजर मुसलमान (Muslim)और दलित (Dalit)वोटों पर है. इसे देख बीजेपी उन्हें बड़ा नेता बता रही है, तो समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party)उन्हें भाव ही नहीं दे रही है. हालांकि ओवैसी का कहना है कि वो बीजेपी (BJP)और कांग्रेस को छोड़कर किसी भी दल से गठबंधन करने को तैयार हैं.
कहां है ओवैसी के एआईएमआईएम की नजर?
एआईएमआईएम ने 2017 में यूपी विधानसभा का चुनाव 38 सीटों पर लड़ा था. लेकिन 37 सीटों पर उसकी जमानत तब्त हो गई थी. एआईएमआईएम को 2 लाख 4 हजार 142 वोट मिले थे. एआईएमआईएम ने जिन सीटों पर चुनाव लड़ा था, वो मुख्यतौर पर पश्चिम उत्तर प्रदेश की मुस्लिमबहुल सीटें थीं. लेकिन मतदाताओं ने उन्हें बहुत तरजीह नहीं दी.
एआईएमआईएम ने 2020 में बिहार विधानसभा का चुनाव लड़ा. उसने सीमांचल की 5 सीटों पर जीत भी दर्ज की. ओवैसी की पार्टी उपेंद्र कुशवाहा की राष्ट्रीय लोकसमता पार्टी और बहुजन समाज पार्टी के गठबंधन ग्रैंड डेमोक्रेटिक सेक्युलर फ्रंट का हिस्सा थी. इस गठबंधन में शामिल दलों में से सबसे शानदार प्रदर्शन एआईएमआईएम का ही थी. एआईएमआईएम ने 2015 के बिहार विधानसभा चुनाव में 6 सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे. 5 सीटों पर उसकी जमानत जब्त हो गई थी.
बिहार में 5 सीटें जीतने के बाद ओवैसी ने एक बार फिर उत्तर प्रदेश का रुख किया. ऐसी खबरें आईं कि एआईएमआईएम का बसपा से गठबंधन होगा. लेकिन खुद मायावती ने ऐसी खबरों को खारिज कर दिया. इसके बाद ओवैसी ओमप्रकाश राजभर के राष्ट्रीय भागीदारी संकल्प मोर्चा के साथ हो लिए. राजभर ने अब समाजवादी पार्टी से गठबंधन कर लिया है. वहीं सपा ने ओवैसी पर अबतक कुछ नहीं कहा है.
कितनी सीटों पर चुनाव लड़ना चाहती है एआईएमआईएम?
एआईएमआईएम की उत्तर प्रदेश की 100 सीटों पर चुनाव लड़ने की योजना है. उसकी नजर दलित और मुस्लिम वोटों पर है. जिनकी आबादी उत्तर प्रदेश में 40 फीसदी से अधिक है. इस वोट बैंक को ध्यान में रखकर एआईएमआईएम शोषित वंचित समाज सम्मेलन कर रही है. ओवैसी 11 नवंबर को मुरादाबाद, 13 नवंबर को मेरठ, 14 नवंबर को अलीगढ़, 21 नवंबर को बाराबंकी, 25 नवंबर को जौनपुर और 28 नवंबर को बलरामपुर में होने वाले सम्मेलन को संबोधित करेंगे.
अपनी सभाओं में ओवैसी बीजेपी से अधिक समाजवादी पार्टी पर हमलावर हैं. वो खुद को मुसलमानों के राष्ट्रीय नेता के तौर पर पेश कर रहे हैं. वो कहते हैं कि देश में हर समाज की अपनी पार्टी और अपने नेता हैं. लेकिन मुसलमानों के साथ ऐसा नहीं है. वो मुसलमानों की अपनी कयादत की बात करते हैं. उनका कहना है कि देश में कभी मुस्लिम वोट बैंक न था और न कभी बन पाएगा. लेकिन हमेशा से हिंदू वोट बैंक था, है और रहेगा.
किसको-किसको वोट करते हैं यूपी के मुसलमान?
उत्तर प्रदेश में मुसलमान समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी को वोट करते हैं. लेकिन ओवैसी अब इसमें सेंध लगाने की कोशिश में हैं. बीजेपी को लगता है कि ओवैसी अगर ऐसा कर पाते हैं तो सपा कमजोर होगी. इस वजह से इस साल जुलाई में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने ओवैसी को देश का बड़ा नेता बताया था. वहीं बहुत से विपक्षी नेता ओवैसी को बीजेपी की बी टीम बताते हैं. इसके जवाब में ओवैसी पिछले कुछ चुनावों में सेक्युलर दलों के प्रदर्शन का हवाला देते हैं, जब उन्होंने चुनाव नहीं लड़ा था और सेक्युलर दलों का प्रदर्शन बहुत खराब था.
ओवैसी न बीजेपी और कांग्रेस से समझौता करेंगे और न सपा-बसपा उन्हें भाव दे रही हैं. ऐसे में इस बात की प्रबल संभावना है कि यूपी में उन्हें अकेले ही चुनाव लड़ना होगा. इसलिए उनके प्रदर्शन पर सबकी नजर रहेंगी.