भारत के इतिहास में 6 दिसंबर 1992 एक अहम दिन है. इसी दिन अयोध्या में उग्र कारसेवकों ने बाबरी मस्जिद को धवस्त कर दिया था. इस घटना के बाद केंद्र सरकार ने कानून व्यवस्था का हवाला देते हुए उत्तर प्रदेश की सरकार को बर्खास्त कर दिया था. उस समय कल्याण सिंह के नेतृत्व में बीजेपी सरकार चला रही थी. इसके साथ ही पीवी नरसिंम्हाराव की कांग्रेस सरकार ने हिमाचल प्रदेश की शांता कुमार, राजस्‍थान की भैरों सिंह शेखावत और मध्य प्रदेश की सुंदर लाल पटवा सरकार को भी बर्खास्त कर दिया था.


मंडल और कमंडल की राजनीति


भारत की राजनीति में 1990 के दशक को मंडल और कमंडल की राजनीति के रूप में जाना जाता है. रामरथ पर सवार होकर बीजेपी कांग्रेस के किलों को ध्वस्त कर रही थी. वहीं मंडल कमीशन की सिफारिशें लागू होने के बाद पिछड़ी जातियां राजनीति में अपना हिस्सा मांग रही थीं. कांशीराम राम ने 1984 में ही बसपा का गठन कर दिया था. वहीं समाजवादी खेमे के मुलायम सिंह यादव ने जनता दल और समादवादी जनता पार्टी का प्रयोग विफल होने के बाद अक्तूबर 1992 में समाजवादी पार्टी का गठन किया था. 


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कल्याण सिंह की सरकार के बर्खास्त होने के बाद बीजेपी ने 1993 का चुनाव राम मंदिर के मुद्दे पर ही लड़ा. इसके बहाने वह हिंदू वोटों का ध्रुवीकरण कराने में कामयाब रही. वहीं बीजेपी का राम रथ रोकने के लिए समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी ने हाथ मिलाया. इसे दलितों-पिछड़ों के गठजोड़ के रूप में पेश किया गया.  


बीजेपी और सपा-बसपा गठबंधन में अंतर


साल 1993 के विधानसभा चुनाव के जब नतीजे आए तो बीजेपी और सपा-बसपा गठबंधन को मिली सीटों में केवल 1 सीट का अंतर था. बीजेपी को 177 सीटें मिली थीं. जबकि सपा-बसपा को गठबंधन 176 सीटें जीतने में कामयाब रहा था. इनमें सपा की 109 और बसपा की 67 सीटें शामिल थीं. इन चुनाव नतीजों के बाद नारा उछला था,'मिले मुलायम-कांशीराम, हवा में उड़ गए जय श्रीराम'. 


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बीजेपी ने यह चुनाव सभी 422 सीटों पर लड़ा था. वह 177 सीटें जीतने में कामयाब रही थी. उसे 33.30 फीसदी वोट मिले थे. वहीं समाजवादी पार्टी ने यह चुनाव 256 सीटों पर लड़ा था. उसे 109 सीटें 17.94 फीसदी वोट मिले थे. सपा की सहयोगी बसपा ने 164 सीटों पर चुनाव लड़ा था. उसे 67 सीटें और 11.12 फीसदी वोट मिले थे. वहीं 421 सीटों पर लड़ने वाली कांग्रेस केवल 28 सीटें ही जीत पाई थी. इससे पहले 1991 के चुनाव में बीजेपी ने 415 सीटों पर लड़ा था और 221 सीटें जीती थीं. अगर आकंड़ों के देखों तो सपा और बसपा मिलकर भी बीजेपी की बराबरी नहीं कर पाई थीं. बीजेपी को अकेले 33.30 फीसदी वोट मिले थे. वहीं सपा को 17.94 फीसदी और बसपा को 11.12 फीसदी वोट मिले थे. दोनों पार्टियों को 29.06 फीसदी वोट मिले थे. 


बीजेपी 177 सीटें जीतने के बाद भी सरकार नहीं बना पाई. सपा-बसपा गठबंधन ने अन्य दलों के सहयोगी से सरकार बनाई. मुलायम सिंह यादव ने 4 दिसंबर 1993 को मुख्यमंत्री पद की शपथ ली.