उत्तर प्रदेश विधानसभा के चुनाव अगले साल होने हैं. इसके लिए बिसात बिछाई जा रही है. इस चुनाव में महिलाओं की भूमिका महत्वपूर्ण होने वाली है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मंगलवार को प्रयागराज में थे. वहां उन्होंने मातृशक्ति महाकुंभ को संबोधित किया. इस कार्यक्रम में पूरे प्रदेश से महिलाओं को आमंत्रित किया गया था. इस कार्यक्रम को महिला वोटरों को ध्यान में रखकर तैयार किया गया था. चुनाव आयोग के मुताबिक उत्तर प्रदेश के 14 करोड़ 51 लाख मतदाताओं में से 6.66 करोड़ महिलाएं हैं. वोटरों के इस बड़े हिस्से को रिझाने में अब सभी पार्टियां लगी हुई हैं. 


महिलाओं के लिए कांग्रेस का घोषणा पत्र


शुरूआत कांग्रेस ने की. कांग्रेस ने कहा है कि विधानसभा चुनाव में वह 40 फीसदी टिकट महिलाओं को देगी. कांग्रेस यह चुनाव प्रियंका गांधी के नेतृत्व में लड़ रही है. कांग्रेस ने इस आबादी को ही ध्यान में रखकर नारा दिया है, 'लड़की हूं लड़ सकती हूं'. कांग्रेस ने महिलाओं के लिए एक अलग से घोषणा पत्र जारी किया है. इसमें 12वीं पास करने वाली लड़कियों को स्कूटी और स्मार्टफोन देने, रसोई गैस के तीन सिलेंडर मुफ्त देने के साथ-साथ कई वादे किए गए हैं. 


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कांग्रेस की इस पहल के बाद अन्य राजनीतिक दलों ने भी अपनी रणनीति में बदलाव किया. प्रयागराज में आयोजित मातृशक्ति महाकुंभ को भी इसी से जोड़कर देखा जा रहा है. इसमें प्रधानमंत्री ने महिला हेल्प ग्रुप के खातों में पैसे भेजे तो लड़कियों की शादी की उम्र बढ़ाने को लेकर विपक्ष को घेरा. कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी भी जगह-जगह 'शक्ति संवाद' कर रही हैं. इससे वह अधिक से अधिक महिलाओं से जुड़ने की कोशिश कर रही हैं. सपा प्रमुख अखिलेश यादव इन दिनों विजय रथ पर सवार हैं. इस दौरान वो सरकार बनने पर महिलाओं की सुरक्षा और अपनी सरकार में महिलाओं के लिए किए गए काम की जिक्र करना नहीं भूलते हैं. हर यात्रा के दौरान वो महिलाओं के साथ वो खिंचाने का कोई भी मौका नहीं चूकते हैं. यह सपा की महिला वोटरों को अपनी ओर करने की कोशिश है. 


उत्तर प्रदेश के चुनाव में महिलाएं


दरअसल उत्तर प्रदेश के चुनाव में महिलाओं की अनदेखी होती रही है. इसे इस तरह समझ सकते हैं कि 403 सदस्यों वाली विधानसभा के 2017 के चुनाव में केवल 485 महिलाएं ही चुनाव मैदान में थीं. इनमें से केवल 41 ही जीत पाई थीं. इससे पहले 2012 के चुनाव में 583 महिलाओं ने चुनाव लड़ा था. उनमें से केवल 35 ही जीत पाई थीं. वहीं वोट देने में महिलाएं पुरुषों से आगे हैं. पिछले चुनाव में करीब 60 फीसदी पुरुषों और करीब 63 फीसदी महिलाओं ने वोट दिया था. यह प्रदेश में महिलाओं का सबसे अधिक वोट फीसद था. साल 2012 के चुनाव में करीब 59 फीसदी पुरुषों और करीब 61 फीसदी महिलाओं ने मतदान किया था. 


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सपा ने 2012 के चुनाव में महिलाओं को ध्यान में रखकर कई वादे किए थे. उसने लड़कियों की मुफ्त शिक्षा, दो साड़ी और कन्या विद्या धन जैसे वादे किए थे. परिणाम में भी इसका असर दिखा. सपा ने 224 सीटें जीतकर सरकार बनाई थी. वहीं 2017 के चुनाव में बीजेपी ने महिलाओं से छेड़छाड़ रोकने के लिए एंटी रोमियो स्क्वॉड, हर घर में शौचालय और गैस कनेक्शन देने का वादा किया. इस चुनाव में बीजेपी ने ऐतिहासिक प्रदर्शन करते हुए 312 सीटें जीती थीं.  


वहीं अगर पिछले दो लोकसभा चुनावों की बात करें तो 2014 के चुनाव में 59.20 फीसदी पुरुषों और 57.41 फीसदी महिलाओं ने मतदन किया था. साल 2019 के चुनाव में महिलाओं ने बाजी मारी ली. उस चुनाव में 58.52 फीसदी पुरुषों और 59.56 फीसदी महिलाओं ने मतदान किया था. महिलाओं के वोटिंग पैटर्न में आ रहे इस बदलाव को ध्यान में रखकर ही राजनीतिक दल नीतियां और रणनीति बना रहे हैं. लेकिन यह चुनाव परिणाम ही बताएगा कि महिलाओं को किसकी नीतियां और वादे पसंद आते हैं.