UP Election 2022 : जानिए- यूपी में अब तक कौन कौन से गठबंधन बने हैं, किस गठबंधन में कौन कौन सी पार्टी है शामिल
UP Election 2022 : एमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी, पूर्व मंत्री बाबू सिंह कुशवाहा और वामन मेश्राम ने यूपी विधानसभा चुनाव के लिए इन लोगों ने शनिवार को भागीदारी परिवर्तन मोर्चा बनाने की घोषणा की है.
उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में राजनीतिक सरगर्मियां इन दिनों चरम पर हैं. राजनीतिक दलों का ध्यान प्रत्याशित घोषित करने और चुनाव प्रचार पर लगा हुआ है. इस बीच रविवार को एमआईएम के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने बाबू सिंह कुशवाहा और वामन मेश्राम के साथ मिलकर भागीदारी परिवर्तन मोर्चा बनाने की घोषणा की. उन्होंने कहा कि उनका मोर्चा प्रदेश की सभी 403 सीटों पर चुनाव लड़ेगा. आइए जानते हैं कि उत्तर प्रदेश विधानसभा के इस चुनाव में कितने गठबंधन और दल चुनाव मैदान में ताल ठोक रहे हैं.
बीजेपी और उसके सहयोगी दल
बीजेपी ने इस चुनाव के लिए अपना दल (सोनेलाल) और निषाद पार्टी से समझौता किया है. वहीं कुछ बहुत छोटे-छोटे दलों ने बीजेपी को समर्थन देने की घोषणा की है. उत्तर प्रदेश में अपना दल (एस) बीजेपी की सबसे पुरानी सहयोगियों में से एक है. इसका मुख्य आधार पूर्वांचल और अवध के इलाके के कुर्मियों जैसी पिछड़ी जातियों और दलितों में है. अपना दल (एस) की प्रमुख अनुप्रिया पटेल मिर्जापुर की सांसद हैं. वो नरेंद्र मोदी की मंत्रिमंडल की सदस्य हैं. अपना दल (एस) ने 2017 के विधानसभा चुनाव में 9 सीटों पर जीत दर्ज की थी. निषाद पार्टी बीजेपी की नई गठबंधन सहयोगी है. यह पार्टी 2019 के लोकसभा चुनाव के समय से ही बीजेपी से साथ है. इसकी स्थापना डॉक्टर संजय निषाद ने की थी. इसने साल 2017 का विधानसभा चुनाव इसने अकेले के दम पर लड़कर एक सीट जीती थी. इसका आधार मुख्य तौर पर निषाद या मल्लाह जाति में माना जाता है. इनके अलावा बीजेपी ने प्रगतिशील समाज पार्टी, सामाजिक न्याय नव लोक पार्टी, राष्ट्रीय जलवंशी क्रांतिदल, मानव क्रांति पार्टी के साथ भी गठबंधन किया है.
समाजवादी पार्टी और उसके सहयोगी
समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव ने 2022 के विधानसभा चुनाव के लिए कई पार्टियों से हाथ मिलाया है. इसमें रालोद, सुभासपा, महान दल, प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (लोहिया), एनसीपी, जनवादी पार्टी (सोशलिस्ट), अपना दल (कमेरावादी) प्रमुख हैं. इस बार समाजवादी पार्टी का जोर पिछड़ी जातियों की राजनीति करने वाली पार्टियों को अपने साथ लाने पर है. इसे उनके चुनावी गठबंधन के स्वरूप में भी देखा जा सकता है.
राष्ट्रीय लोकदल का आधार मुख्यतौर पर पश्चिम उत्तर प्रदेश में माना जाता है. राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि किसान आंदोलन की वजह से किसानों में बीजेपी के प्रति नाराजगी है. पश्चिम उत्तर प्रदेश को किसान बहुल माना जाता है. रालोल से गठबंधन के बाद सपा को पश्चिम में बढ़त मिलने की उम्मीद है. सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) भी पिछड़ी जातियों की राजनीतिक करने वाली पार्टी है. इसके संस्थापक ओमप्रकाश राजभर बसपा से निकले हैं. इसका आधार राजभर, कहार और कुछ अन्य अति पिछड़ी जातियों में है. सुभासपा ने पिछला चुनाव बीजेपी के साथ 8 सीटों पर लड़ा था. उसे 4 सीटों पर जीत मिली थी.
जनवादी पार्टी (सोशलिस्ट) के प्रमुख डॉक्टर संजय सिंह चौहान हैं. इसे मुख्य तौर पर नोनिया जाति की पार्टी माना जाता है. इसका आधार भी पूर्वी उत्तर प्रदेश के देवरिया, कुशीनगर, आजमगढ़, मऊ, बलिया, गाजीपुर और चंदौली जैसे जिलों में है. अपना दल (कमेरावादी) को कुर्मी जाति की पार्टी माना जाता है. अखिलेश यादव के चाचा शिवपाल सिंह यादव की प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (लोहिया) से भी समाजवादी पार्टी का समझौता है. महाराष्ट्र में गठबंधन की सरकार चला रही एनसीपी से भी सपा ने समझौता किया है. इसके अलावा कुछ और छोटे-छोटे दलों ने समाजवादी पार्टी को समर्थन दिया है.
भागीदारी परिवर्तन मोर्चा
एमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी, पूर्व मंत्री बाबू सिंह कुशवाहा और वामन मेश्राम यूपी विधानसभा चुनाव मिलकर लड़ेंगे. इसके लिए इन लोगों ने शनिवार को भागीदारी परिवर्तन मोर्चा बनाने की घोषणा की. यह तीन पार्टियों का गठबंधन है. इसमें औवैसी की एआईएमआईएम, बाबू सिंह कुशवाहा की जनअधिकारी पार्टी और वामन मेश्राम का भारत मुक्ति मोर्चा शामिल है. बाबू सिंह कुशवाहा इसके संयोजक बनाए गए हैं. एक तरह से इसे मुसलमानों, पिछड़ों और दलितों का गठजोड़ कह सकते हैं. बाबू सिंह कुशवाहा एक समय बसपा प्रमुख मायावती के खासमखास हुआ करते थे. मायावती ने उन्हें भ्रष्टाचार के आरोप में पार्टी से बाहर कर दिया था. उन्हें स्वास्थ्य घोटाले के आरोप में गिरफ्तार भी किया गया था. जेल से निकलने के बाद उन्होंने जनअधिकार पार्टी का गठन किया था. वहीं वामन मेश्राम दलितों, पिछड़ों और अल्पसंख्यक समुदाय के कर्मचारियों के संगठन बामसेफ के प्रमुख हैं. भारत मुक्ति मोर्चा इसी संगठन से निकली हुई पार्टी है. वामन मेश्राम ने कहा कि इस मोर्चे के दरवाजे अन्य दलों के लिए अभी खुले हुए हैं.
उत्तर प्रदेश के दो बड़े राजनीतिक दलों बहुजन समाज पार्टी और कांग्रेस ने किसी दल के साथ गठबंधन नहीं किया है. इन दोनों दलों ने सभी सीटों पर अकेले चुनाव लड़ने की घोषणा की है. वहीं आम आदमी पार्टी और चंद्रशेखर आजाद की आजाद समाज पार्टी भी अकेले के दम पर चुनाव मैदान में है.