समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन की बात करने वाले प्रगतिशील समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष शिवपाल सिंह यादव ने अब एक नया बयान दिया है. अब उन्होंने सपा के साथ विलय तक की बात कह दी है. लेकिन वो विलय के लिए सम्मानजनक स्थिति चाहते हैं. उनका कहना है कि सपा के साथ उनका समझौता होगा या विलय इस पर फैसला अखिलेश यादव को करना है. वहीं समाजवादी पार्टी ने शिवपाल सिंह यादव की पार्टी के साथ समझौते को लेकर पहले कुछ कहा था और न अब विलय पर कुछ कहा है. हालांकि गुरुवार को सपा के एक सांसद ने कहा था कि मुलायम सिंह यादव चाचा-भतीजा में समझौता करवाएंगे.
शिवपाल सिंह यादव का प्रस्ताव
उत्तर प्रदेश चुनाव के लिए शिवपाल सिंह यादव इन दिनों 'सामाजिक परिवर्तन रथ' पर सवार हैं. वो उत्तर प्रदेश का भ्रमण कर रहे हैं. उन्होंने गोरखपुर में कहा कि बीजेपी को सत्ता से हटाने के लिए वो सपा के साथ विलय तक को तैयार हैं. उनका कहना है कि सपा के साथ विलय हो या समझौता, दोनों ही स्थिति में वो अपने लोगों का सम्मान चाहते हैं. इससे पहले सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने मंगलवार को कहा था कि उनका अपने चाचा की पार्टी के साथ गठबंधन होगा. उनका कहना था कि समय आने पर समझौते की सीटें भी तय हो जाएंगी और चाचा के साथ रहने वालों का सम्मान भी होगा.
समाजवादी पार्टी ने जब 2012 का चुनाव जीता तो पार्टी के संस्थापक मुलायम सिंह यादव ने मुख्यमंत्री की गद्दी अखिलेश यादव को सौंप दी थी. उस समय उनके इस फैसले पर कई लोगों ने आश्चर्य जताया था. उन्हें लगता था कि सपा में मुलायम सिंह यादव के बाद दूसरे नंबर पर शिवपाल सिंह यादव हैं. लेकिन अखिलेश यादव की सरकार में शिवपाल सिंह यादव को भरपूर सम्मान मिला. सभी महत्वपूर्ण विभागों का जिम्मा उनके पास थे. यहां तक की आलोचक अखिलेश की सरकार को ढाई लोगों की सरकार तक कह देते थे. लेकिन शिवपाल सिंह यादव को 2016 के अंत में न सिर्फ पार्टी बल्कि सरकार से भी चलता कर दिया गया. इससे नाराज शिवपाल सिंह यादव ने 2018 में अपनी अलग पार्टी प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (लोहिया) बना ली.
शिवपाल की बीजेपी से नजदीकियां
शिवपाल सिंह यादव से पहले मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की काफी नजदीकी नजर आई. सरकार ने शिवपाल सिंह यादव को वहीं बंगला अलॉट किया, जिसे मुलायम सिंह यादव ने खाली किया था. लेकिन 2019 के चुनाव के बाद सपा-बसपा गठबंधन के टूट जाने के बाद यह नजदीकी नजर नहीं आई है. शिवपाल सिंह यादव ने 2017 का चुनाव सपा के टिकट पर ही लड़ा था. वो अभी इटावा के जसवंतनगर से विधायक हैं.
शिवपाल पिछले काफी समय से ओमप्रकाश राजभर के भागीदारी संकल्प मोर्चा में थे. राजभर से समाजवादी पार्टी ने समझौता कर लिया. इसके बाद से ही शिवपाल सपा के साप समझौता का प्रस्ताव तेजी से भेज रहे हैं. अखिलेश यादव यह तो कह रहे हैं कि चाचा को जगह दी जाएगी. लेकिन यह नहीं बता रहे हैं कि सीटें कितनी देंगे. इसके बाद अब वो सपा में अपनी पार्टी के विलय तक की बात पर आ गए हैं. ऐसे में बॉल एक बार फिर अखिलेश यादव के पाले में हैं कि वो क्या कदम उठाते हैं.
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