UP Assembly Election 2022: पिछले 4 विधानसभा चुनाव में कैसा रहा है सपा का प्रदर्शन
UP Election 2022: सपा ने 2012 के विधानसभा के चुनाव (UP Assembly Election) में शानदार प्रदर्शन किया था. लेकिन 2017 में हुए चुनाव में जनता ने उसे नकार दिया था. कैसा रहा है 4 चुनाव में सपा का प्रदर्शन.
उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव (UP Assembly Election 2022) के लिए राजनीतिक दलों ने तैयारियां तेज कर दी हैं. राजनीतिक रणनीतिकार और सर्वेक्षण इस बार का मुख्य मुकाबला बीजेपी और सपा (BJP-SP) के बीच मान रहे हैं. लेकिन बसपा और कांग्रेस की तैयारी भी कम नहीं है. आइए जानते हैं कि 2012 में अकेले के दम पर सरकार बनाने वाली सपा (Samajwadi Party) का पिछले 4 चुनाव में प्रदर्शन कैसा रहा है.
सपा ने कब किया बसपा से समझौता?
समाजवादी पार्टी की स्थापना 4 अक्तूबर 1992 को हुई थी. सपा ने मुलायम सिंह यादव के नेतृत्व में पहला विधानसभा चुनाव 1993 में लड़ा और जीता था. उसने बसपा से गठबंधन किया था. इस चुनाव में नारा मशहूर हुआ, 'मिले मुलायम कांशीराम, हवा में उड़ गए जय श्री राम'. मुलायम सिंह की यह सरकार 1995 में लखनऊ में हुए 'गेस्ट हाउस कांड' के बाद गिर गई थी.सपा ने 1993 का चुनाव 256 सीटों पर लड़ा था. उसने 109 सीटों पर विजय दर्ज की थी. सपा के खाते में 89 लाख 63 हजार 697 वोट या 17.94 फीसदी वोट आए थे. बसपा ने 164 सीटों पर चुनाव लड़ा था. उसे 67 सीटों पर उसे जीत मिली थी.
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राष्ट्रपति शासन के तहत हुए 1996 के विधानसभा चुनाव में भी गठबंधन बने. गेस्ट हाउस कांड से आहत बसपा ने कांग्रेस से हाथ मिलाया था. लेकिन यह गठबंधन बीजेपी और सपा के आगे धराशायी हो गया. सपा ने इस चुनाव में 281 सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे. इनमें से 110 चुनाव जीते थे. सपा पर 1 करोड़ 20 लाख 85 हजार 226 या 21.80 फीसदी वोटर ने भरोसा जताया था. बीजेपी को 174, बीएसपी को 67 और कांग्रेस को 33 सीटें मिली थीं. इसके बाद उत्तर प्रदेश की सत्ता पर बीजेपी एक बार फिर काबिज हुई. वो 2002 तक उत्तर प्रदेश की सत्ता में रही.
यूपी में कब लगा राष्ट्रपति शासन?
उत्तर प्रदेश से निकलकर उत्तराखंड बन जाने के बाद 2002 में विधानसभा में 403 सीटें ही रह गई थीं. इस चुनाव को सपा ने 390 सीटों पर लड़ा था. उसे 143 सीटें और 25.37 फीसदी वोट मिले थे. वहीं बसपा को 98, बीजेपी ने 88 और कांग्रेस ने 25 सीटें जीती थीं. इस चुनाव में किसी को स्पष्ट बहुमत न मिलने की वजह से राष्ट्रपति शासन लगाया गया था. बाद में मायावती मुख्यमंत्री बनी. लेकिन बीजेपी ने उनकी सरकार से समर्थन वापस ले लिया. इसके बाद बसपा की टूट बीजेपी की रणनीति की वजह से मुलायम सिंह यादव मुख्यमंत्री बने.
वहीं 2007 के विधानसभा चुनाव में सपा 100 सीटों का आंकड़ा नहीं पार कर पाई. साप ने यह चुनाव 393 सीटों पर लड़ा था. उसे केवल 97 सीटें ही मिली थीं. उसे 25.43 फीसदी मत मिले थे. लेकिन बसपा ने इस चुनाव में ऐतिहासिक जीत दर्ज की. कुल 403 सीटों पर लड़ने वाली बसपा ने 206 सीटें जीत लीं. वहीं बीजेपी को 51 और कांग्रेस को 22 सीटों से ही संतोष करना पड़ा. इस चुनाव के बाद ही बसपा ने पहली बार स्पष्ट बहुमत वाली सरकार बनाई थी.
सपा की छप्पर फाड़ सफलता
सपा के लिए 2012 का चुनाव छप्पर फाड़ सफलता लेकर आया. इस चुनाव में सपा चुनाव मुलायम सिंह यादव के नेतृत्व में मैदान में थी. उसने 401 सीटों पर चुनाव लड़ा और 224 सीटों पर जीत दर्ज की थी. उसे 29.13 फीसदी वोट मिले थे. इस चुनाव के बाद मुलायम सिंह यादव ने मुख्यमंत्री का ताज अपने बेटे अखिलेश यादव के सिर पर सजा दिया. बीजेपी को इस चुनाव में 47, बसपा को 80 और कांग्रेस को 28 सीटें मिली थीं.
पांच साल स्पष्ट बहुमत की सरकार चलाने के बाद 2017 में सपा जब चुनाव में गई तो वोटरों ने उसे नकार दिया. साल 2012 में 224 सीटें जीतने वाली सपा इस चुनाव में 47 सीटों पर सिमट गई. उसने कांग्रेस से गठबंधन कर 311 सीटों पर चुनाव लड़ा था. उसे केवल 21.82 फीसद वोट ही मिले. सपा की सहयोगी कांग्रेस दहाई का आंकड़ा भी नहीं पार कर पाई. उसे केवल 7 सीटें ही मिलीं. बसपा का प्रदर्शन तो सपा से भी खराब रहा. वह केवल 19 सीट ही जीत पाई.