(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
यूपी चुनाव में नेतृत्व के लिए तैयार हैं ये युवा और नए चेहरे, बड़ी पार्टियों को टक्कर देने की तैयारी
जयंत चौधरी के लिए यह पहला स्वतंत्र चुनाव है, जब उनके पिता चौधरी अजीत सिंह का मार्गदर्शन नहीं होगा. भीम आर्मी के प्रमुख चंद्रशेखर आजाद भी राज्य में अपनी शुरूआत करने वाल युवा राजनेता हैं.
New Faces to lead in 2022 UP elections: उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में करीब छह महीने बचे हैं, ऐसे में नेताओं की नई पीढ़ी राज्य में एक नए रूप की राजनीति का मार्ग प्रशस्त करते हुए राजनीतिक अभियान का नेतृत्व करने की तैयारी कर रही है. कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा सामने से नेतृत्व कर रही हैं, जिन्हें एक लगभग समाप्त हो चुकी पार्टी को पुनर्जीवित करने के कठिन कार्य का सामना करना पड़ रहा है. प्रियंका विधानसभा चुनाव लड़ेंगी या नहीं, यह तो वक्त बताएगा लेकिन वह अपनी पार्टी के लिए एक आक्रामक अभियान तैयार कर रही हैं.
एक और नई पीढ़ी के राजनेता जो चुनावी क्षेत्र में अपनी पार्टी का नेतृत्व करेंगे, राष्ट्रीय लोक दल (रालोद) के अध्यक्ष जयंत चौधरी हैं. जयंत के लिए, यह उनका पहला स्वतंत्र चुनाव है, जब उनके पिता चौधरी अजीत सिंह का मार्गदर्शन नहीं होगा. अजीत सिंह की इस साल मई में कोविड की वजह से मौत हो गई थी. किसान आंदोलन में उनकी सक्रिय भूमिका और उनके जाट समुदाय से उन्हें जो समर्थन मिल रहा है, उसके कारण तराजू उनके पक्ष में झुक सकता है.
आदित्य यादव 2022 में अपना पहला चुनाव लड़ सकते हैं
शिवपाल सिंह यादव के बेटे आदित्य यादव 2022 में अपना पहला चुनाव लड़ सकते हैं, हालांकि उनका निर्वाचन क्षेत्र अभी तय नहीं हुआ है. आदित्य 2017 में चुनावी राजनीति में पदार्पण करने वाले थे, लेकिन पारिवारिक कलह ने समाजवादी पार्टी को लगभग विभाजित कर दिया, जिससे उन्होंने अपनी योजनाओं को टाल दिया. आदित्य अपने पिता शिवपाल यादव से संगठनात्मक कौशल सीख रहे हैं और उनके सबसे भरोसेमंद हैं.
चंद्रशेखर आजाद अभियान में उतर चुके हैं
भीम आर्मी के प्रमुख चंद्रशेखर आजाद राज्य में अपनी शुरूआत करने वाले एक और युवा राजनेता हैं. उनकी पार्टी का नाम आजाद समाज पार्टी है. चंद्रशेखर पहले ही अभियान में उतर चुके हैं और उनकी साइकिल यात्राएं इन दिनों पूरे राज्य में चल रही हैं. उनके सहयोगियों का कहना है कि वह इस बार चुनाव नहीं लड़ेंगे, लेकिन यह सुनिश्चित करेंगे कि उनकी पार्टी को पर्याप्त दलित समर्थन मिले- एक ऐसा कदम जो सीधे तौर पर बहुजन समाज पार्टी के हितों के लिए हानिकारक हो सकता है.
नए चेहरे बदलाव नहीं ला सकते हैं- भाजपा
जहां बीजेपी मौजूदा विधायकों को बदलने के साथ ही कई नए उम्मीदवारों को मैदान में उतार सकती है, वहीं पार्टी अन्य दलों के युवा नेताओं के उतरने से चिंतित नहीं है. भाजपा के प्रदेश उपाध्यक्ष विजय बहादुर पाठक ने कहा, "नए चेहरे बदलाव नहीं ला सकते हैं. भाजपा जमीन पर काम कर रही है और लोग जानते हैं कि हमारी सरकारों ने उनके लिए क्या किया है. ये नए चेहरे लोगों का ध्यान खींच सकते हैं लेकिन वोट नहीं." सपा प्रवक्ता जूही सिंह ने हालांकि कहा कि बदलाव एक सतत प्रक्रिया है और नए चेहरों के आने से नए नेता राजनीतिक परिदृश्य में बदलाव लाएंगे.
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