उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव (UP Assembly Election 2022) के चौथे चरण में लखनऊ कैंट (Lucknow Cant Seat) सीट पर मतदान होगा. अभी सभी की निगाहें इस सीट पर टिकी हुई हैं. लखनऊ कैंट सहित 60 विधानसभा सीटों के लिए चौथे चरण में 23 फरवरी को मतदान होगा. अब सवाल ये उठता है कि आखिर अचानक इस सीट ने सभी का ध्यान को खींचा है. दरअसल इस सीट से चुनाव लड़ने के लिए कई बीजेपी विधायक कतार में हैं. आइए हम जानते हैं कि आखिर लखनऊ कैंट सीट बीजेपी नेताओं के लिए क्यों खास है.
यूपी के उपमुख्यमंत्री दिनेश शर्मा, सांसद रीता बहुगुणा जोशी के बेटे मयंक जोशी, मुलायम सिंह यादव की बहू अपर्णा यादव, निवर्तमान विधायक सुरेश तिवारी समेत कई नेता लखनऊ कैंट सीट के प्रबल दावेदार हैं. ये नेता लखनऊ की इस सीट से सुरक्षित खेलना चाह रहे हैं, दरअसल यहां बीजेपी का दबदबा है.
बेटे को टिकट दिलाने के लिए सांसद इस्तीफे तक की पेशकश
रीता बहुगुणा जोशी ने अपने बेटे मयंक के लिए लखनऊ कैंट से चुनाव लड़ने का समर्थन किया है. यहां तक कि इलाहाबाद से सांसद रीता बहुगुणा जोशी ने बेटे को टिकट दिलाने के लिए संसद पद से इस्तीफे तक की पेशकश कर दी है. रीता बहुगुणा ने कहा है कि इस संबंध में पार्टी प्रमुख जेपी नड्डा को एक प्रस्ताव भेजा था, अब इसका फैसला पार्टी को करना है. रीता बहुगुणा जोशी 2017 के चुनाव में इस सीट से जीती थीं.
साल 2019 का लोकसभा चुनाव जीतने के बाद रीता बहुगुणा जोशी ने लखनऊ कैंट सीट से इस्तीफा दे दिया था. साल 2019 में हुए विधानसभा उपचुनाव में बीजेपी के सुरेश तिवारी जीते. इससे पहले वे साल 1996, 2002 और 2012 में यहां से विधायक बन चुके हैं. बीजेपी के ज्यादातर नेताओं को लगता है कि इस सीट से एक बार फिर सुरेश तिवारी को टिकट दिना जाना चाहिए.
उच्च जाति वोटर्स का है दबदबा
यूपी के उपयमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य कौशांबी की सिराथू से चुनाव लड़ रहे हैं. वहीं दूसरे मुख्यमंत्री दिनेश शर्मा के चुनाव लड़ने या न लड़ने पर अभी फैसला नहीं हुआ है, लेकिन कहां यह जा रहा है कि चुनाल वड़ने की सूरत में दिनेश शर्मा भी लखनऊ कैंट सीट को अपने लिए सुरक्षित मान रहे हैं.
अपर्णा यादव की पहली पसंद है लखनऊ कैंट
पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव की छोटी बहू अपर्णा बिष्ट यादव हाल ही में बीजेपी में शामिल हुईं हैं. वे भी लखनऊ कैंट से बीजेपी के टिकट की दावेदार हैं. साल 2017 के चुनाव में उन्हें इस सीट से हार का सामना करना पड़ा था. अपर्णा यादव ने 21 जनवरी को एक तस्वीर ट्वीट किया. इसमें वे अपने ससुर मुलायम सिंह यादव से आशीर्वाद ले रही थीं.
इस सीट के लिए क्यों है रेस
दरअसल लखनऊ कैंट सीट पर उच्च जातियों के वोल का बोलबाला है. लखनऊ कैंट विधानसभा क्षेत्र में 1 लाख 50 हजार ब्राह्मण मतदाता हैं. इसके अलावा 60 हजार सिंधी और पंजाबी मतदाता हैं. इन्हें पारंपरिक रूप से बीजेपी समर्थक माना जाता है. अन्य मतदाताओं में 25 हजार वैश्य और 40 हजार मुस्लिम वोटर्स हैं.
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