UP Election 2022 : विधानसभा चुनाव के लिए बदली-बदली सी नजर आ रही है मायावती की बसपा
मीडिया को मनुवादी मीडिया बताने वाली बसपा ने पहली बार तीन प्रवक्ता बनाएं हैं और सोशल मीडिया पर अपनी उपस्थिति दर्ज कराई है. लेकिन क्या चुनाव में उसे इसका फायदा भी मिलेगा. क्या जनता उस पर विश्वास करेगी.
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अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव (UP Assembly Election 2022) की तैयारी बसपा (BSP) ने तेज कर दी है. करीब 10 साल से सत्ता से दूर रही बसपा फिर सत्ता पाने के लिए अब अपने अंदर भी बदलाव कर कर रही है. बसपा ने पहली बार प्रवक्ताओं की नियुक्ति की है तो वह सोशल मीडिया पर भी अपनी पहुंच बढा रही है. मायावती (Mayawati)अब ट्वीटर पर भी अपने बयान देने लगी हैं. युवाओं में अपनी पैठ बढ़ाने के लिए बसपा ने युवा नेताओं को उतारा है. इसके साथ ही बसपा एक बार फिर सोशल इंजीनियरिंग (Social Engineering) पर ध्यान दे रही है.
क्यों बदल रही है बसपा
बसपा पहले मीडिया को मनुवादी मीडिया बताती रही थी, हालांकि दिल्ली में रहने वाले सुधींद्र भदौरिया टीवी बहसों में बसपा का पक्ष रखते थे. बसपा ने अगस्त में बड़ा बदलाव करते हुए जनता और मीडिया में अपनी बात पहुंचाने के लिए तीन और प्रवक्ता नियुक्त किए. बसपा ने धर्मवीर चौधरी, डॉक्टर एमएच खान और फैजान खान को प्रवक्ता नियुक्त किया है.
बसपा प्रमुख मायावती 2019 में ही ट्वीटर पर सक्रिय हो गई थीं. लेकिन पार्टी का ट्वीटर अकाउंट नहीं था. लेकिन बसपा ने सितंबर में अपना ट्वीटर अकाउंट भी बनाया. इसके अलावा सतीशचंद्र मिश्र और आकाश आनंद जैसे बसपा नेताओं ने सोशल मीडिया पर अपनी उपस्थिति दर्ज कराई. पार्टी महासचिव सतीशचंद्र मिश्र सोशल मीडिया पर काफी सक्रिय रहते हैं. उन्होंने बसपा के प्रबुद्ध वर्ग सम्मेलन को फेसबुक पर लाइव किया. इसके अलावा बसपा सोशल मीडिया पर सक्रिय अंबेडकरवादी युवाओं को अपने से जोड़ रही है और उन्हें सोशल मीडिया की ट्रेनिंग दे रही है.
सोशल इंजीनियरिंग पर जोर
दलितों की राजनीति करने वाली बसपा ने 2007 के विधानसभा चुनाव में 'सर्वजन हिताय, सर्वजन सुखाय' का नारा दिया. यह नारा हिट भी रहा और उसने यूपी में अकेले के दम पर सरकार बनाई. उस चुनाव में बसपा ने ब्राह्मणों को अपने पाले में किया. लेकिन अब बसपा की रणनीति दलित-ब्राह्मण गठजोड़ से आगे जाकर अब 'सर्व धर्म सम भाव' वाली पार्टी के रूप में पेश करने की है. बसपा टिकट बंटवारे में ब्राह्मणों के अलावा पिछड़े वर्ग पर विशेष ध्यान देगी. दलितों का एक बड़ा हिस्सा अभी भी बसपा को ही वोट करता है. बसपा मुसलमानों में भी पैठ बना रही है.
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इस चुनाव के लिए पार्टी के महासचिव सतीश मिश्र के साथ-साथ उनका पूरा परिवार लगा हुआ है. मिश्र जब प्रबुद्ध वर्ग सम्मेलन कर रहे थे तो उनकी पत्नी कल्पना मिश्र प्रबुद्ध वर्ग की महिलाओं के साथ बैठकें कर रही थीं. वहीं उनके बेटे कपिल मिश्र युवाओं को पार्टी से जोड़ने के लिए लगातार बैठकें कर रहे हैं.
प्रदेश के युवाओं को अपने पाले में करने के लिए मायावती के भतीजे आकाश आनंद काफी सक्रिय हैं. यही जिम्मेदारी कपिल मिश्र के पास भी है. दोनों नेता इस काम में लगे हुए हैं. दोनों बसपा के समर्थक युवाओं और अंबेडकरवादी युवाओं के साथ संवाद बनाने में सक्रिय हैं.
मायावती ने अपने पिछले कार्यकाल में प्रदेश में बड़ी संख्या में दलित-पिछड़े नायकों के नाम पर स्मारक बनवाए और उनकी मूर्तियां लगवाईं. इसके लिए वो विपक्ष के निशाने पर रहीं. लेकिन वो अब इस छवि से बाहर आना चाहती हैं. इसलिए वो विकास की बात कर रही हैं. हिंदू वोटों को रिझाने के लिए बसपा ने कहा है कि उसकी सरकार अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण को पूरा करवाएगी.
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