UP Election 2022: सपा-रालोद गठबंधन उम्मीदवार को समर्थन देकर मुकर जाने से नरेश टिकैत ने क्या संदेश दिया?
UP Election 2022: भारतीय किसान यूनियन प्रमुख नरेश टिकैत ने पहले तो बुढाना से सपा-रालोद के उम्मीदवार का समर्थन किया, फिर किसान संगठनों की प्रतिबद्धताओं का हवाला देते हुए मुकर गए. क्या हैं इसके मायने.
भारतीय किसान यूनियन के प्रमुख नरेश टिकैत ने रविवार को मुजफ्फरनगर की बुढाना सीट से सपा-रालोद गठबंधन के उम्मीदवार के समर्थन की घोषणा कर दी. हालांकि बादज में वो इससे मुकर भी गए. वहीं इससे पहले उनके छोटे भाई राकेश टिकैत ने व्यंग करते हुए जनता से मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को जिताने की अपील की थी. इसके बाद से ही सियासी बाजार गरम हो गया कि भारतीय किसान यूनियन क्या सपा-रालोद गठबंधन को जिताने की अपील करेगा.
पहले समर्थन देकर फिर मुकर क्यों गए टिकैत
सपा-रालोद उम्मीदवार राजपाल बालियान का समर्थन करने के बाद नरेश टिकैट मुकर भी गए. उन्होंने कहा कि हमारा किसी भी पार्टी के प्रत्याशी को कोई समर्थन नहीं है. ऐसा इसलिए है क्योंकि संयुक्त किसान मोर्चे का एक प्रतिबंध है जिस का उल्लंघन कोई भी किसान संगठन नहीं कर सकता है. उन्होंने कहा कि उनके यहां पहले से ही हर पार्टी के नेता आते रहे हैं. उन्होंने कहा कि राजपाल बालियान को हमने आशीर्वाद दिया, लेकिन इसमें समर्थन वाली कोई बात नहीं है. उन्होंने कहा कि किसी भी पार्टी का आदमी आए वो जनता के ऊपर निर्भर है. हमारा कोई समर्थन नहीं है.
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उत्तर प्रदेश का पश्चिमी हिस्सा किसान बहुल है. इस इलाके में भारतीय किसान यूनियन की अच्छी पैठ है. नरेंद्र मोदी सरकार के कृषि कानूनों के विरोध में किसानों के एक साल लंबे आंदोलन के बाद माना जा रहा है कि किसानों में बीजेपी को लेकर नाराजगी है. इस नाराजगी को भुनाने के लिए उत्तर प्रदेश की राजनीति कर रहीं सभी पार्टियां लगी हुई हैं. इसके लिए टिकैत परिवार का आशीर्वाद जरूरी माना जाता है.
इस बार किसके साथ खड़े हैं पश्चिम के किसान
पश्चिम उत्तर प्रदेश की पार्टी मानी जानी वाली राष्ट्रीय लोकदल ने इस बार के चुनाव में समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन किया है. उसने अपने 29 उम्मीदवारों के नाम की घोषणा भी कर दी है. किसान आंदोलन के समय से ही टिकैत परिवार और रालोद में काफी नजदीकी देखी जा रही है. किसान आंदोलन के दौरान पश्चिम उत्तर प्रदेश में दो बड़ी किसान पंचायतों का आयोजन किया गया था. इसमें रालोद के प्रमुख जयंत चौधरी शामिल हुए थे. चौधरी चरण सिंह की जयंती पर दिल्ली में हुए कार्यक्रम में भी राकेश टिकैत शामिल हुए थे. रालोद को 2014 के बाद से ही भारी असफलता हाथ लगी थी. यहां तक की जयंत चौधरी के पिता अजित सिंह को अपने ही गढ़ में हार का सामना करना पड़ा था.
बीजेपी को क्यों हराना है
राकेश टिकैत ने दिल्ली में किसान आंदोलन के दौरान कई बार यह कहा कि बीजेपी को समर्थन करना उनकी भूल थी. रविवार को नरेश टिकैत ने भी कहा कि पिछले चुनाव में बीजेपी को समर्थन करना उनकी भूल थी. कृषि कानूनों के लेकर बीजेपी और सरकार के रवैय ने किसानों को लामबंद किया. वहां के आम किसानों को भी लगने लगा कि बीजेपी को समर्थन करना और रालोद को हराना उनकी भूल थी. कहा जा रहा है कि इस बार किसान खासकर जाट किसान रालोद के साथ हैं.
भारतीय किसान यूनियन अपनी प्रतिबद्धताओं की वजह से भले ही खुलकर किसी राजनीतिक दल का समर्थन न करे, लेकिन वो बीजेपी को हराने की अपील जरूर कर रहा है. राकेश टिकैत ने रविवार को प्रयागराज में भी बीजेपी को हराने की अपील की. ऐसे में नरेश टिकैत भले ही सपा-रालोद गठबंधन के उम्मीदवार को समर्थन देकर अपनी बात से मुकर जाएं, लेकिन यह इशारा जरूर कर दिया है कि वो किसके साथ हैं.