उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शुक्रवार को गोरखपुर शहर विधानसभा सीट से नामांकन दाखिल किया. उनके साथ बीजेपी के वरिष्ठ नेता अमित शाह भी मौजूद थे. इस दौरान बीजेपी समर्थकों ने एक नारा लगाया, 'किसी का नीला, किसी का पीला किसी का झंडा लाल है, योगी को रोक सके कौन माई का लाल है.' इससे पहले गोरखपुर में नारा लगता था, 'गोरखपुर में रहना है तो, योगी योगी कहना है.'
विपक्ष पर हमला है योगी आदित्यनाथ का नया नारा
बीजेपी और योगी आदित्यनाथ के समर्थकों की ओर से दिया गया यह नया नारा दरअसल विपक्ष पर हमला है. नीले रंग को बहुजन राजनीति का प्रतीक माना जाता है. वहीं पीले रंग का प्रयोग सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के झंडे में होता है और लाल रंग समाजवादी पार्टी के झंडे का रंग है. समाजवादी पार्टी के नेता और कार्यकर्ता लाल रंग की टोपी भी पहनते हैं.
उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए समाजवादी पार्टी और सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी ने हाथ मिलाया है. वहीं आजाद समाज पार्टी और भीम आर्मी के प्रमुख चंद्रशेखर आजाद ने योगी आदित्यनाथ के खिलाफ चुनाव लड़ने की घोषणा की है. आजाद अक्सर नीले रंग का गमझा लपेटे भी नजर आते हैं. उनकी पार्टी के झंडे का रंग भी नीला है. बहुजन समाज पार्टी के झंडे का रंग भी नीला ही है. समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी ने अभी तक गोरखपुर सदर सीट से अपने उम्मीदवार के नाम की घोषणा नहीं की है.
रंग के आधार पर प्रधानमंत्री ने भी किया था सपा पर हमला
यह पहली बार नहीं है जब बीजेपी ने रंग के आधार पर विपक्ष पर हमला किया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले साल गोरखपुर में खाद कारखाने का उद्घाटन करते हुए 'लाल टोपी वाले उप्र के लिये खतरा हैं' और 'लाल टोपी वाले गुंडे' कहा था. उनके इस बयान की काफी आलोचना भी हुई थी. समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ता और नेता अक्सर लाल टोपी पहनते हैं. पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव भी सार्वजनिक तौर पर लाल टोपी पहनते हैं.
UP Election 2022: आगरा में CM योगी पर जमकर बरसे अखिलेश-जयंत, 'गर्मी' वाले बयान पर दिया ये जवाब
गोरखपुर में योगी आदित्यनाथ और उनके समर्थक इस तरह की नारेबाजी के लिए मशहूर हैं. विधानसभा चुनाव प्रचार के दौरान भी योगी आदित्यनाथ ने विपक्ष पर हमला करने के लिए तल्ख भाषा का इस्तेमाल कर रहे हैं. समाजवादी पार्टी ने उनके इन बयानों को लेकर चुनाव आयोग से शिकायत भी दर्ज कराई है.