मुलयाम सिंह यादव (Mulayam Singh yadav) का जन्मदिन सोमवार को धूमधाम से मनाया गया. मुख्य कार्यक्रम समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) के मुख्यालय में आयोजित किया गया. वहां नेता जी ने कार्यकर्ताओं को संबोधित किया. लोगों को उम्मीद थी कि नेता जी के जन्मदिन पर सपा प्रमुख अखिलेश यादव  (Akhilesh Yadav) और उनके चाचा शिवपाल यादव (Shivpal Singh Yadav) में कोई समझौता हो जाएगा. लेकिन गठबंधन पर चर्चा तक नहीं हुई. इससे शिवपाल यादव को फिर निराशा हाथ लगी. सपा के साथ गठबंधन की बात करने वाले शिवपाल यादव अब अपनी प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (लोहिया) का सपा में विलय तक को तैयार हैं.


समाजवादी पार्टी में दरार कब आई


मुलायम सिंह यादव जिस परिवार को पिछले कई दशक से एक साथ लेकर चल रहे थे, वह 2017 के चुनाव के बाद दो टुकड़ों में बंट गया था. इसकी शुरूआत 2016 में ही हो गई थी. नेता जी के परिवार की यह लड़ाई इस स्तर तक पहुंच गई अखिलेश ने चाचा शिवपाल को मंत्री पद से बर्खास्त कर दिया तो चाचा ने भतीजे को ही पार्टी से ही बाहर कर दिया. थोड़े दिन के लिए यह लड़ाई थम गई. लेकिन शिवपाल सिंह यादव ने अपनी अगल पार्टी बनाकर अलग राह चुन ली थी.


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शिवपाल अभी समाजवादी पार्टी के ही विधायक हैं. उनकी पार्टी ने 2019 का लोकसभा चुनाव लड़ा था. लेकिन हर जगह हार गई थी. इस हार में उन्हें अपना भविष्य नजर आने लगा था. उन्होंने 12 अक्तूबर से सामाजिक परिवर्तन रथयात्रा शुरू की. इसका मकसद सत्ता परिवर्तन बताया गया था. इस दौरान सत्ता परिवर्तन का तो पता नहीं शिवपाल सिंह यादव का हृदय परिवर्तन जरूर हो गया. उन्होंने पहले सपा से गठबंधन की पेशकश की. लेकिन गोरखपुर पहुंचते-पहुंचते उन्होंने सपा में अपनी पार्टी के विलय तक की बात शुरू कर दी. 


शिवपाल सिंह यादव का भविष्य क्या है


शिवपाल सिंह यादव के बयान पर अखिलेश यादव अभी खुलकर कुछ नहीं बोले हैं. वो यह जरूर कहते हैं कि समय आने पर चाचा के साथ भी गठबंधन किया जाएगा. इसने शिवपाल की बेकरारी बढ़ाती जा रही है. इसे इस तरह समझ सकते हैं कि नेता जी का जन्मदिन सोमवार को अखिलेश ने लखनऊ में मनाया तो शिवपाल सिंह यादव ने अपने पैतृक गांव सैफई में. शाम को उन्होंने लखनऊ में नेता जी से मुलाकात की. शिवपाल यादव ने सपा से गठबंधन के लिए 100 सीटों की शर्त रखी है. लेकिन समाजवादी पार्टी ने अभी तक इस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है. शिवपाल यादव ने कहा, ''मैंने झुकते हुए अखिलेश यादव की सारी शर्तें मान ली हैं. मैं चाहता हूं कि वो मुख्यमंत्री बनें. लेकिन अभी तक उनकी ओर से कोई निर्णय नहीं हुआ है. हम चाहते हैं कि जो भी निर्णय हो जल्द हो.


सपा से अलग होने पर बीजेपी ने भी शिवपाल को खूब भाव दिया. लेकिन लोकसभा चुनाव से पहले बने सपा-बसपा के गठबंधन टूट जाने के बाद से बीजेपी अब उन्हें पहले जैसा भाव नहीं दे रही है. ऐसे में शिवपाल सिंह यादव को भविष्य की चिंता सता रही है. पहले उन्हें लगता था कि सपा से अलग होकर वो बड़ी पार्टी बन जाएंगे. लेकिन ऐसा हुआ नहीं. वहीं अखिलेश यादव के नेतृत्व में समाजवादी पार्टी पहले की ही तरह बड़ी बनी हुई है. अब शिवपाल को लगता है कि अगर सपा से उनका समझौता नहीं हुआ तो उनके लिए आगे का रास्ता अंधकारमय होगा. इसलिए अब वो सपा के साथ अपनी पार्टी के विलय तक की बात कर रहे हैं. लेकिन अखिलेश यादव अपने पत्ते अभी नहीं खोल रहे हैं. लगता है चाचा की बगवात को अब तक भूले नहीं हैं. 


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