राजनीति में बाहुबली: अतीक अहमद जिनका मायावती और योगी आदित्यनाथ से रहा 36 का रिश्ता
UP Election 2022: अतीक अहमद ने 1989 में राजनीति शुरू की. उस साल हुए विधानसभा चुनाव में इलाहाबाद पश्चिम विधानसभा सीट पर उन्होंने कांग्रेस उम्मीदवार को मात दी थी. इस सीट से अतीक 5 बार विधायक चुने गए.
अब प्रयागराज हो चुके इलाहाबाद का नाम आते ही अतीक अहमद का नाम दिमाग में कौंध जाता है. उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार उनके खिलाफ दर्ज मामलों में कार्रवाई कर रही है. उनकी अवैध संपत्तियों और निर्माण को जमींदोज किया जा रहा है. सरकार उनकी करीब 355 करोड़ की संपत्ति जब्त कर चुकी है. माफिया के रूप में पहचाने रखने वाले अतीक अहमद विधायक और सांसद रह चुके हैं. लेकिन आजकल उनके सितारे गर्दिश में चल रहे हैं.
17 साल की उम्र में लगा हत्या का आरोप
श्रावस्ती में 10 अगस्त 1962 को पैदा हुए अतीक अहमद के खिलाफ 1979 में पहला मामला जब दर्ज हुआ था. यह मामला हत्या का था. जिस समय यह मामला दर्ज हुआ वो बालिग भी नहीं हुए थे. इलाहाबाद रेलवे स्टेशन पर तांगा चलाने वाले फिरोज के बेटे अतीक ने बालिग होकर अपराध जगत में धाक जमा ली. पुलिस रिकॉर्ड के मुताबिक अतीक अहमद पर करीब 80 मामले दर्ज हैं. इनमें हत्या, हत्या के प्रयास, अपहरण, सरकारी काम में बाधा पहुंचाने, शांति व्यवस्था भंग करने, पुलिस के साथ मारपीट, लाइसेंसी शस्त्र के दुरुपयोग, गुंडा एक्ट, जमीन पर जबरन कब्जा जैसे आरोप शामिल हैं. उनके खिलाफ इलाहाबाद, लखनऊ, कौशांबी, चित्रकूट, देवरिया के साथ-साथ पड़ोसी राज्य बिहार में भी मामले दर्ज हैं.
अपराध की दुनिया में सिक्का चलाने के बाद अतीक अहमद ने राजनीति का रुख किया. उन्होंने 1989 के चुनाव में इलाहाबाद पश्चिम विधानसभा सीट से निर्दल उम्मीदवार के रूप में पर्चा भरा. अतीक अहमद का भय कहिए या लोकप्रियता, उन्होंने कांग्रेस के गोपालदास को 8 हजार 102 वोट से हरा दिया. इसके बाद अतीक अहमद ने इसी सीट से 1991 और 1993 का चुनाव भी निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर जीता. इसके बाद वो समाजवादी पार्टी के सिपाही हो गए. साल 1996 में सपा ने उन्हें टिकट दिया. वो चौथी बार विधानसभा पहुंचने में कामयाब रहे. सपा से नाराजगी बढ़ने पर अतीक अहमद 1999 में सोनलाल पटेल की अपना दल में शामिल हो गए. अपना दल ने उन्हें प्रतापगढ़ से चुनाव लड़वाया. लेकिन अतीक हार गए. अपना दल ने 2002 में अतीक को उनकी परंपरागत सीट से टिकट दिया. अतीक अहमद विधानसभा पहुंचने में फिर कामयाब रहे.
समाजवादी पार्टी में पकड़
मुलायम सिंह यादव ने 2003 में उत्तर प्रदेश में अपनी सरकार बनाई. यह देख अतीक अहमद एक बार फिर समाजवादी हो गए. इस बार उनके सपने ने विस्तार लिया. वो देश की सबसे बड़ी पंचायत संसद में पहुंचने का ख्वाब देखने लगे. सपा ने 2004 के लोकसभा चुनाव में अतीक को फूलपुर से टिकट दिया. अतीक अहमद चुनाव जीत गए. इसके बाद अतीक ने इलाहाबाद पश्चिम विधानसभा सीट से इस्तीफा दे दिया. वहां हुए उपचुनाव में सपा ने अतीक अहमद के भाई खालिद अजीम ऊर्फ अशरफ को टिकट दिया. लेकिन बसपा के राजू पाल ने उन्हें मात दे दी.
राजू पाल की 25 जनवरी 2005 में हत्या हो गई. इसमें अतीक अहमद और उनके भाई खालिद अजीम का नाम आया. इलाहाबाद पश्चिम सीट पर कराए गए उपचुनाव में सपा ने फिर खालिद अजीम को टिकट दिया. बसपा ने राजू पाल की विधवा पूजा पाल को टिकट दिया. जीत अजीम की हुई. साल 2007 के चुनाव में पूजा पाल पर बसपा ने फिर विश्वास जताया. वो पार्टी के विश्वास पर खरी उतरीं. उन्होंने खालिद अजीम को हरा दिया. अतीक अमहद का नाम 1995 में लखनऊ में हुए गेस्ट हाउस कांड में आया था. मायावती को अतीक का नाम अच्छी तरह याद था.
मायावती की टेढी नजर
मायावती 2007 में मुख्यमंत्री बनीं. उनकी सरकार ने अतीक अहमद पर शिकंजा कसना शुरू किया. उन पर धड़ाधड़ 10 से अधिक मुकदमे दर्ज किए गए. सरकार की सख्ती देख अतीक अहमद फरार हो गए. यूपी पुलिस ने उनपर 20 हजार रुपये का इनाम घोषित कर दिया. दबाव बढ़ता देख अतीक ने दिल्ली में गिरफ्तारी दी. उन्होंने मायावती से अपनी जान को खतरा बयाता. सरकार ने उनकी करोड़ों की संपत्तियों को मिट्टी में मिला दिया.
अखिलेश यादव की सरकार बनने के बाद अतीक को राहत मिली. उन्हें जमानत मिल गई. सपा ने 2014 के चुनाव में अतीक को श्रावस्ती से उम्मीदवार बनाया. लेकिन नरेंद्र मोदी की आंधी में वो टिक नहीं पाए. इस बीच एक मामले में उन्हें सरेंडर करना पड़ा.
योगी आदित्यनाथ सरकार की कार्रवाई
उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ की सरकार आने के बाद अतीक अहमद पर फिर शिकंजा कसा जाने लगा. लखनऊ से एक व्यापारी को अगवा कर देवरिया जेल ले जाने और जेल के अंदर उसकी पिटाई का वीडियो वायरल हुआ. इसमें भी अतीक का नाम आया. पीड़ित व्यापारी ने भी अतीक और उनके बेटे का नाम लिया. इस मामले की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने अतीक अहमद को उत्तर प्रदेश से बाहर किसी दूसरे राज्य की जेल में भेजने को कहा. उन्हें अहमदाबाद की साबरमती जेल भेज दिया गया. वो 3 जून 2019 से वहीं कैद हैं.
उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने अतीक अहमद और उनके साम्राज्य पर बुलडोजर चला रही है. सरकार अब तक उनकी 355 करोड़ रुपये से अधिक की संपत्तियां जब्त कर चुकी है. योगी सरकार की कार्रवाइयां देख अतीक अहमद ने असदुद्दीन औवैसी की एआईएमआईएम की शरण ली है. औवेसी ने उन्हें प्रयागराज से टिकट देने की घोषणा की है. प्रयागराज यात्रा के दौरान ओवैसी अतीक अहमद के घर भी गए थे. आजकल ओवैसी के साथ मंच पर कई जगह अतीक की पत्नी शाइस्ता परवीन और उनके बेटे भी नजर आते हैं.