उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ आज विधानसभा चुनाव के लिए अपना नामांकन पत्र दाखिल करने वाले हैं. बीजेपी ने उन्हें गोरखपुर शहर सीट से उम्मीदवार बनाया है. उसने शहर के विधायक डॉक्टर राधामोहन दास अग्रवाल का टिकट काटकर उन्हें टिकट दिया है. इस सीट को बीजेपी की परंपरागत सीट माना जाता है. साल 1989 के बाद से केवल बीजेपी ही इस सीट से जीती है. आइए जानते हैं कि इस सीट की जातीय संरचना कैसी है और इस सीट का इतिहास कैसा रहा है.
गोरखपुर शहर सीट पर जातीय गणित
गोरखपुर शहर विधानसभा सीट गोरखपुर जिले की 9 विधानसभा सीटों में से एक है. साल 2017 के चुनाव में बीजेपी ने 9 में से 8 सीटों पर अपना परचम लहराया था. एक सीट पर बसपा ने जीत दर्ज की थी.
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गोरखपुर शहर सीट पर कु 4 लाख 50 हजार मतदाता है. इनमें सबसे अधिक 95 हजार मतदाता कायस्थ जाति के हैं. इसके बाद 55 हजार ब्राह्मण, 55 हजार मुस्लिम, 25 हजार क्षत्रिय, 45 हजार वैश्य, 25 हजार निषाद, 25 हजार यादव, 20 हजार दलित और 30 हजार सैनी (माली) जाति के मतदाता हैं. शेष वोटर अन्य जातियों के हैं.
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साल 1989 में जब वीपी सिंह भष्ट्राचार के सवाल पर जनता दल की आंधी चला रहे थे, उस दौर में भी बीजेपी ने गोरखपुर सदर सीट से जीत दर्ज की थी. उसके बाद से बीजेपी इस सीट से कभी नहीं हारी है. पिछले 33 सालों में हुए कुल 8 विधानसभा चुनावों में 7 बार BJP और 1 बार हिन्दू महासभा जीती है. 2002 में हिंदू महासभा के टिकट पर डॉक्टर राधामोहन दास अग्रवाल जीते थे.