प्रतापगढ़ के कुंडा (Kunda) का पर्याय बन चुके रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया (Raja Bhaiya) इस बार फिर चुनाव मैदान में है. वो कुंडा से लगातार विधायक चुने जा रहे हैं. पिछली बार और इस बार में अंतर सिर्फ इतना आया है कि वो इस बार एक पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं. इससे पहले वो 1993 से निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर ही चुनाव जीतते आए हैं. दरअसल राया भैया ने जनसत्ता दल लोकतांत्रिक (JANSATTA DAL) के नाम से एक पार्टी बनाई है. इसी दल के टिकट पर वो चुनाव मैदान में हैं.
राजा भैया कबसे संसदीय राजनीति में हैं
समाचार एजेंसी एएनआई को बताया कि उन्होंने लोगों की मांग पर 'जनसत्ता दल लोकतांत्रिक' का गठन किया है.उन्होंने बताया कि संसदीय राजनीति में 25 साल का सफर पूरा करने के बाद लोगों ने इसकी मांग की थी. उन्होंने बताया कि उनका लक्ष्य किसानों और छात्रों की बेहतरी है.जनसत्ता दल इस बार 18 सीटों पर चुनाव लड़ रहा है.
पिछले करीब 3 दशक से कुंडा से निर्दलीय चुनाव जीत रहे राजा भैया को इस बार के चुनाव में कड़े मुकाबले का सामना करना पड़ रहा है. समाजवादी पार्टी ने राजा भैया के खिलाफ उनके पूर्व सहयोगी गुलशन यादव को टिकट दिया है. सपा ने 15 साल बाद कुंडा सीट पर कोई उम्मीदवार खड़ा किया है.गुलशन यादव नगर पंचायत के पूर्व अध्यक्ष हैं. वो राजा भैया के खिलाफ आक्रामक प्रचार अभियान चला रहे हैं.
अखिलेश यादव ने राजा भैया पर बोला हमला
समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव ने गुरुवार को कुंडा में एक रैली को संबोधित किया था. इस रैली में अखिलेश राजा भैया पर जमकर बरसे उन्होंने कहा कि कुंडा में अन्याय की सभी सीमा लांघी गई हैं. अब बदलाव होगा. अखिलेश यादव ने राजा भैया का नाम लिए बिना कहा कि इस तरह कुंडी बंद कर दो कि फिर खोल ना पाएं.
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अखिलेश यादव और उनके परिवार से राजा भैया की काफी करीबी रही है. वो मुलायम सिंह यादव और अखिलेश यादव दोनों की सरकारों में मंत्री रहे हैं. अखिलेश की राजा भैया से नाराजगी की वजह 2018 के राज्य सभा चुनाव में उनका बीजेपी के पक्ष में मतदान करना रहा है.
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राजा भैया ने 2017 में 1.35 लाख से अधिक वोटों से जीते थे. इस बार बीजेपी ने शिव प्रकाश मिशरा सेनानी की पत्नी सिंधुजा मिश्र को राजा भैया के खिलाफ उतारा है. बसपा ने मोहम्मद फहीम को टिकट दिया है.