UP Assembly Election 2022: क्या अखिलेश की साइकिल पर सवाल होंगे राजा भैया? ‘सपा’ शासनकाल में रह चुके हैं खाद्यान मंत्री
UP Election 2022: यूपी में चुनावी बिगुल बजने को है और इसे लेकर तमाम सियासी पार्टियां मैदान में हैं. नए और पुराने गठबंधन एक बार फिर ताजा हो रहे हैं. इसी क्रम में राजा भैय्या-मुलायम सिंह से मिले हैं.
UP Assembly Election 2022: कुंडा से बाहुबली विधायक और पूर्व मंत्री रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया की समाजवादी पार्टी संरक्षक मुलायम सिंह यादव से अचानक हुई मुलाकात इन दिनों काफी सुर्खियों में है. इस मुलाकात को सियासी चश्मे से देखा जा रहा है, हालांकि इस मुलाकात पर राजा भैया का कहना है कि मुलायम सिंह के जन्मदिन पर वह हमेशा उनसे मिलकर उन्हें शुभकानाएं देते आए हैं. इलेक्शन से जोड़कर इसे ना देखा जाए.
राजा भैया, अखिलेश होंगे साथ-साथ?
राजा भैया की बात अपनी जगह ठीक है, लेकिन अगले साल यूपी में विधानसभा का चुनाव हैं और समाजवादी पार्टी इस चुनाव को जीतने के लिए लगातार छोटे दलों से गठबंधन कर रही है. अभी तक इस गठबंधन में जयंत चौधरी की रालोद, ओमप्रकाश राजभर की सुभासपा जैसे कई छोटे दल शामिल हो चुके हैं. आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह की पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव से मुलाकात के तुरंत बाद राजा भैया का मुलायम सिंह से मिलना भी गठबंधन में शामिल होने की तरफ इशारा हो सकता है.
उधर, सूत्रों का कहना है कि मुलायम सिंह से मुलाकात के पहले राजा भैया की अखिलेश यादव से फोन पर बात हो चुकी थी. गौरतलब है कि पिछले दिनों राजा भैया ने कहा था कि उनकी पार्टी ‘जनसत्ता दल लोकतांत्रिक’ यूपी में 100 सीटों पर चुनाव लड़ेगी और वहां से कोई उम्मीदवार खड़ा नहीं करेगी, जहां से योगी आदित्यनाथ उम्मीदवार होंगे. हालांकि मुलायम सिंह यादव के करीबी रहे राजा भैया पिछले काफी समय से अपनी पार्टी को मजबूत करने पर जोर दे रहे हैं. अखिलेश यादव सरकार में प्रभावी रहे राजा भैया के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से भी नजदीकी के चर्चा सियासी गलियारों में रहती है. इधर ‘सपा’ लगातार छोटे दलों को अपने बैनर तले एकजुट करने में जुटी है. ऐसे में राजा भैया की मुलायम सिंह से मुलाकात को इसी परिप्रेक्ष्य में देखा जा रहा है.
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‘सपा’ के शासनकाल में मंत्री बने थे ‘राजा भैया’
‘बसपा’ के शासनकाल में राजा भैया पर गंभीर आरोप लगाते हुए पोटा के तहत कार्रवाई की गई थी. 2 नवंबर 2000 को उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया था और राजा भैया के 600 एकड़ में फैले तालाब को कब्जे में लेकर अभ्यारण्य घोषित कर दिया गया था. राजा भैया के पिता और चचेरे भाई पर भी आतंकवाद निरोधक अधिनियम के तहत कार्रवाई की गई थी. परन्तु 2003 में मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के करीब आधे घंटे बाद ही मुलायम सिंह यादव ने राजा भैया से ‘पोटा’ हटा लिया था. इसके बाद उनकी मुश्किलें कम होती गईं और बाद में वे मुलायम सिंह सरकार में खाद्यान्न मंत्री भी बनाए गए. इसी नजदीकी के कारण राजा भैया की मुलायम सिंह से मुलाकात के सियासी मायने निकाले जा रहे हैं.