(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
UP Election 2022: समाजवादी पार्टी के साथ कौन कौन से दल हैं, यहां जानिए
UP Election 2022: अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए समाजवादी पार्टी ने करीब 10 दलों से या गठबंधन कर लिया है या बातचीत कर रही है. आइए जानते हैं उन पार्टियों के बारे में जिनसे वह गठबंधन करेगी.
विधानसभा चुनाव के लिए सपा ने करीब 10 दलों से गठबंधन किया है या गठबंधन की बातचीत कर रही है. सपा का रालोद, सुभासपा, महान दल, एनसीपी, जनवादी पार्टी (सोशलिस्ट), अपना दल (कमेरावादी) से गठबंधन हो चुका है. वहीं चंद्रशेखर आजाद की आजाद समाज पार्टी (कांशीराम) और अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी से गठबंधन की बातचीत चल रही है. शिवपाल सिंह यादव से भी सपा का गठबंधन होगा. सपा अकेले प्रदेश की 403 में से 300 सीटों पर चुनाव लड़ना चाहती है. बाकी की सीटों वह अपने सहयोगियों में बांटेगी. लेकिन सपा ने अभी तक किसी भी पार्टी से सीटों के बंटवारे की घोषणा नहीं की है. आइए जानते हैं इन पार्टियों के बारे में.
राष्ट्रीय लोकदल: चौधरी अजीत सिंह ने इसकी स्थापना 1996 में की थी. वो 5वें प्रधानमंत्री और किसान नेता चौधरी चरण सिंह के बेटे थे. अजित सिंह का इस साल 6 मई को कोरोना की वजह से निधन हो गया था. उनके बाद से पार्टी की कमान उनके बेटे जयंत चौधरी के पास है. रालोद का किसान बहुल पश्चिम उत्तर प्रदेश के किसानों खासकर जाटों और मुसलमानों में बड़ा आधार माना जाता है. पिछले कुछ चुनावों से जाटों ने रालोद से किनारा कर लिया था. माना जा रहा है कि किसान आंदोलन की वजह से जाट और मुसलमान एक बार फिर रालोद के पास लौटेंगे. रालोद को 2017 में 1 सीट मिली थी.
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सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा): इसके संस्थापक ओमप्रकाश राजभर कभी बसपा के बड़े नेता हुआ करते थे. बसपा से निकलकर उन्होंने 2002 में सुभासपा का गठन किया. इसका आधार राजभर और कहार जैसी जातियों में है. सुभासपा ने जीत का स्वाद 2017 के चुनाव में चखा. उस समय उसका बीजेपी से गठबंधन था. सुभासपा ने 8 सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे. लेकिन 4 सीटें ही जीत पाई थी.
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी: महाराष्ट्र में गठबंधन चला रही एनसीपी एक राष्ट्रीय पार्टी है. कांग्रेस में सोनिया गांधी के नेतृत्व का विरोध कर निकले शरद पवार ने इसकी स्थापना की थी. उत्तर प्रदेश में इसका कोई बड़ा आधार नहीं है. एनसीपी ने 2017 का चुनाव 30 सीटों पर लड़ा था. सभी सीटों पर उसकी जमानत जब्त हो गई थी. एनसीपी को 33 हजार 494 वोट मिले थे. एनसीपी ने सपा से गठबंधन की सूचना इस साल जुलाई में दी थी.
जनवादी पार्टी (सोशलिस्ट) : इस पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष का नाम डॉक्टर संजय सिंह चौहान है. इसे मुख्य तौर पर नोनिया जाति की पार्टी माना जाता है. इसका आधार भी पूर्वी उत्तर प्रदेश के देवरिया, कुशीनगर, आजमगढ़, मऊ, बलिया, गाजीपुर और चंदौली जैसे जिलों में है. इन जिलों में नोनिया जाति की आबादी करीब डेढ़ फीसदी है. डॉक्टर चौहान को सपा ने 2019 के लोकसभा चुनाव में चंदौली में बीजेपी के महेंद्र नाथ पांडेय के खिलाफ उतारा था. वो वहां दूसरे स्थान पर रहते हुए 13 हजार 959 वोट से हार गए थे.
अपना दल (कमेरावादी): कुर्मी जाति से आने वाले सोनलाल पटेल ने बसपा से निकलकर 4 नवंबर 1995 को 'अपना दल' का गठन किया था. उनका 2009 में एक हादसे में निधन हो गया था. उसके बाद अपना दल की जिम्मेदारी उनकी पत्नी कृष्णा पटेल ने संभाली. लेकिन पारिवारिक झगड़े में यह पार्टी दो धड़ों में बंट गई. कृष्णा पटेल अपना दल (कमेरावादी) की प्रमुख हैं. वहीं अपना दल (सोनेलाल) का नेतृत्व उनकी बेटी अनुप्रिया पटेल के पास. अपना दल (एस) का यूपी में बीजेपी से गठबंधन है. अपना दल को उत्तर प्रदेश में कुर्मी बिरादरी की पार्टी माना जाता है.
आजाद समाज पार्टी (कांशीराम): अध्यक्ष चंद्रशेखर आजाद इसके राष्ट्रीय हैं. सहारानपुर में दलितों और सवर्णों के बीच हुए एक विवाद के बाद चर्चा में आए आजाद भीम आर्मी के नाम से एक संगठन चलाते थे. उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने आजाद को गिरफ्तार कर जेल में डाल दिया था.
आजाद ने 15 मार्च 2020 को आजाद समाज पार्टी (कांशीराम) की स्थापना की. दलितों और मुसलमानों के बीच पैठ बनाने की कोशिश कर रही इस पार्टी का आधार मुख्यतौर पर पश्चिम उत्तर प्रदेश में है. पंचायत चुनाव में इस पार्टी ने जिला पंचायत की कुछ सीटें जीती हैं.
प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (लोहिया): अखिलेश यादव के चाचा शिवपाल सिंह यादव ने 29 अगस्त 2018 को प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (लोहिया) की स्थापना की थी. इस पार्टी का आधार भी यादव वोट बैंक ही माना जाता है.
आम आदमी पार्टी: आप दिल्ली में प्रचंड बहुमत की सरकार चला रही है. आप प्रमुख अरविंद केजरीवाल ने 2014 में नरेंद्र मोदी के खिलाफ वाराणसी में चुनाव लड़ा था. उन्हें 3 लाख 71 हजार 784 वोटों के विशाल अंतर से हार का सामना करना पड़ा था. उस समय आप में रहे कवि कुमार विश्वास ने अमेठी में राहुल गांधी के खिलाफ चुनाव लड़ा. उन्हें भी हार का सामना करना पड़ा था. आप ने 2019 और 2014 के लोकसभा चुनाव में कुछ और उम्मीदवार उतारे थे. लेकिन वो कुछ खास प्रदर्शन नहीं कर पाए थे. इस बार आप उत्तर प्रदेश में जोर-शोर से सक्रिय है. अरविंद केजरीवाल, मनीष सिसोदिया और संजय सिंह यूपी में सक्रिय हैं.