समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव विधानसभा चुनाव लड़ने को तैयार हैं. समाजवादी पार्टी इस बार कुछ बदली-बदली सी नजर आ रही है. इस बार उसका सारा जोर पिछड़ी जातियों को अपनी ओर करने पर है. इसके लिए लिए उसने स्वामी प्रसाद मौर्य, दारा सिंह चौहान और डॉक्टर धर्मसिंह सैनी जैसे पिछड़े वर्ग के नेताओं को अपनी पार्टी में शामिल किया है. ये नेता बीजेपी से सपा में आए हैं. पिछड़े वर्ग पर सपा के जोर को उसके उम्मीदवारों की लिस्ट पर भी देखा जा सकता है. वहीं बीजेपी लगातार समाजवादी पार्टी पर गुंडों और माफियाओं को टिकट देने का आरोप लगा रही है.


क्या बीजेपी जनता को असली मुद्दों से भटका रही है


बीजेपी के गुंडे माफियाओं को टिकट देने के आरोपों पर सपा प्रमुख का कहना है कि इंडियन पीनल कोड (आईपीसी) में जितनी धाराएं नहीं हैं, जितने मुकदमें मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य पर दर्ज हैं. सपा प्रमुख का आरोप है कि बीजेपी और उसके नेता महंगाई, बेरोजगारी, किसानों की समस्या और गरीबी जैसे मुद्दों से ध्यान भटकाने के लिए इस तरह के आरोप लगा रहे हैं, क्योंकि न तो उन्होंने कोई काम किया है और न ही उनके पास इसका जवाब है कि वो क्या करेंगे. 


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'हिंदुस्तान टाइम्स' को दिए एक इंटरव्यूय में अखिलेश यादव ने कहा कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ठाकुरों का पक्ष लेते हैं. उन्होंने कहा कि लोग उनका रिकॉर्ड चेक कर सकते हैं. उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री की ओर से नियुक्त किए गए कितने उपकुलपति और निदेशक दलित या अन्य पिछड़ा वर्ग के हैं. उन्होंने कहा कि हर स्तर पर जातिगत भेदभाव किया जा रहा है. 


क्या सपा से नाराज हैं उत्तर प्रदेश के मुसलमान


सपा प्रमुख से जब यह पूछा गया कि इस चुनाव में विकास मुद्दा क्यों नहीं बन पा रहा है. इस सवाल पर उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी विकास के मुद्दे को उठा रही है. हम लोगों को यह बता रहे हैं कि सरकार ने कैसे अपनी नाकामियों को छिपाया है. क्या मुसलमान टिकट के मुद्दे पर सपा से नाराज हैं, इस सवाल पर सपा प्रमुख ने कहा कि यह बहुत ही महत्वपूर्ण चुनाव है. समाज का हर तबका बीजेपी की नीतियों से परेशान है. टिकट देते समय हम उम्मीदवार की जाति या धर्म नहीं देख रहे हैं. हम पूरे देश में बीजेपी को हराना चाहते हैं. उन्होंने कहा कि वो सभी जातियों और संप्रदायों के संपर्क में हैं. कोई भी नाराज नहीं है. वो हर हाल में बीजेपी को हराना चाहते हैं.  


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अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के नेताओं की जातिय जनगणना कराने की मांग के सवाल पर अखिलेश यादव का कहना था कि हमने सरकार बनने के तीन महीने के भीतर जातिय जनगणना कराने का वादा किया है. उन्होंने कहा कि जातिय जनगणना होनेके बाद से उन जातियों को उनकी जनसंख्या के हिसाब से कल्याण योजनाओं का लाभ मिलेगा.