समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) के प्रमुख अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) ने गुरुवार को प्रगतिशील समाजवादी पार्टी के प्रमुख शिवपाल यादव (Shivpal Singh Yadav) से मुलाकात की. इसके बाद दोनों ने विधानसभा चुनाव के लिए गठबंधन की घोषणा की. दोनों दलों के गठबंधन की चर्चा बहुत पहले से थी. शिवपाल सिंह यादव रिश्ते में अखिलेश यादव के चाचा हैं. आइए जानते हैं कि अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव (UP Assembly Election 2022) के लिए सपा ने किन दलों से समझौता किया है. माना जा रहा है कि इस चुनाव में मुख्य मुकाबला सपा और बीजेपी के बीच होगा.


सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा): इसके संस्थापक ओमप्रकाश राजभर हैं. वो कभी बसपा के प्रदेश अध्यक्ष हुआ करते थे. बसपा से निकलकर उन्होंने 2002 में सुभासपा का गठन किया. इसका आधार राजभर और कहार जैसी पिछड़ी जातियों में है. सुभासपा ने जीत का स्वाद 2017 के चुनाव में चखा. उस समय उसका बीजेपी से गठबंधन था. सुभासपा ने 8 सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे. उसे 4 सीटों पर जीत मिली थी. 


राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी): महाराष्ट्र में शिवसेना और कांग्रेस के साथ गठबंधन की सरकार चला रही एनसीपी राष्ट्रीय पार्टी है. कांग्रेस में सोनिया गांधी के नेतृत्व का विरोध कर निकले शरद पवार ने इसकी स्थापना की थी. उत्तर प्रदेश में इसका कोई बड़ा जनाआधार नहीं है. एनसीपी ने 2017 का चुनाव 30 सीटों पर लड़ा था. सभी सीटों पर उसकी जमानत जब्त हो गई थी. एनसीपी को 33 हजार 494 वोट मिले थे. एनसीपी ने सपा से गठबंधन की सूचना इस साल जुलाई में दी थी.


जनवादी पार्टी (सोशलिस्ट): इस पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष का नाम डॉक्टर संजय सिंह चौहान है. यह मुख्य तौर पर नोनिया जाति की पार्टी है. नोनिया जाति की आबादी पूर्वी उत्तर प्रदेश के देवरिया, कुशीनगर, आजमगढ़, मऊ, बलिया, गाजीपुर और चंदौली जैसे जिलों करीब डेढ़ फीसदी है. डॉक्टर चौहान को सपा ने 2019 के लोकसभा चुनाव में चंदौली में बीजेपी के महेंद्र नाथ पांडेय के खिलाफ उतारा था. वो वहां दूसरे स्थान पर रहे थे.  


राष्ट्रीय लोकदल (आरएलडी): चौधरी अजीत सिंह ने इसकी स्थापना 1996 में की थी. वो 5वें प्रधानमंत्री और किसान नेता चौधरी चरण सिंह के बेटे थे. अजित सिंह का इस साल 6 मई को कोरोना के कारण निधन हो गया था. उनके बाद से पार्टी की कमान उनके बेटे जयंत चौधरी के पास है. रालोद का किसान बहुल पश्चिम उत्तर प्रदेश में व्यापक जनाधार है. जाटों और मुसलमान उसके वोट बैंक माने जाते हैं. पिछले कुछ चुनावों से जाटों ने रालोद से किनारा कर लिया था. माना जा रहा है कि किसान आंदोलन की वजह से जाट और मुसलमान एक बार फिर रालोद के पास लौटेंगे. रालोद को 2017 में 1 सीट मिली थी.       


अपना दल (कमेरावादी): कुर्मी जाति की सोनलाल पटेल ने बसपा से निकलकर 4 नवंबर 1995 को 'अपना दल' बनाया था. उनका 2009 में एक हादसे में निधन हो गया था. उसके बाद अपना दल की जिम्मेदारी उनकी पत्नी कृष्णा पटेल ने संभाली. पारिवारिक झगड़े में यह पार्टी दो धड़ों में बंट गई. कृष्णा पटेल अपना दल (कमेरावादी) की प्रमुख हैं. वहीं अपना दल (सोनेलाल) का नेतृत्व उनकी बेटी अनुप्रिया पटेल के पास है. अपना दल (एस) का यूपी में बीजेपी की सहयोगी है. अपना दल को उत्तर प्रदेश में कुर्मी बिरादरी की पार्टी माना जाता है. 


प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (लोहिया): अखिलेश यादव के चाचा शिवपाल सिंह यादव ने 29 अगस्त 2018 को प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (लोहिया) की स्थापना की थी. इस पार्टी का आधार भी यादव वोट बैंक ही माना जाता है. इस पार्टी ने लोकसभा का चुनाव लड़ा था. इसे किसी सीट पर कोई सफलता नहीं मिली थी. शिवपाल सिंह यादव ने कुछ दिन पहले अपनी पार्टी का सपा में विलय के लिए भी तैयार थे. 


महान दल: इसकी स्थापना केशव देव मौर्य ने 2008 में बसपा ने निकलकर की थी. इसका आधार कुशवाहा, शाक्य, मौर्य, सैनी (माली) जैसी पिछड़ी जातियों में माना जाता है. महान दल का प्रभाव पश्चिम यूपी के कुछ जिलों में है. महान दल ने 2008 के बाद सभी लोकसभा और विधानसभा चुनाव लड़े. लेकिन उसे जीत नसीब नहीं हुई है. महान दल ने 2017 का चुनाव 74 सीटों पर लड़ा. उसकी 71 सीटों पर जमानत जब्त हो गई थी. उसे 6 लाख 83 हजार 808 वोट मिले थे. 


आजाद समाज पार्टी (कांशीराम): अध्यक्ष चंद्रशेखर आजाद इसके राष्ट्रीय हैं. सहारानपुर में दलितों और सवर्णों के बीच हुए एक विवाद के बाद चर्चा में आए आजाद भीम आर्मी के नाम से एक संगठन चलाते थे. उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने आजाद को गिरफ्तार कर जेल में डाल दिया था. आजाद ने 15 मार्च 2020 को आजाद समाज पार्टी (कांशीराम) की स्थापना की. दलितों और मुसलमानों के बीच पैठ बनाने की कोशिश कर रही इस पार्टी का आधार मुख्यतौर पर पश्चिम उत्तर प्रदेश में है. पंचायत चुनाव में इस पार्टी ने जिला पंचायत की कुछ सीटें जीती हैं. आजाद की पार्टी के साथ अभ सपा का गठबंधन तो नहीं हुआ है. लेकिन माना जा रहा है कि दोनों दल साथ आएंगे.