पूर्वांचल के माफिया मुख्तार अंसारी के बेटे अब्बास अंसारी ने मऊ विधानसभा सीट से नामांकन दाखिल किया है. उन्हें सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी ने अपना उम्मीदवार बनाया है. मुख्तार इस सीट से पांच बार विधायक चुने गए हैं. सुभासपा-सपा के गठबंधन ने अब्बास को टिकट देकर अपनी रणनीति साफ कर दी है.  


मुख्तार अंसारी का साम्राज्य


अब्बास अंसारी पहली बार चुनाव नहीं लड़ रहे हैं. उन्होंने 2017 का चुनाव मऊ जिले की ही घोसी सीट से लड़ा था. लेकिन उन्हें बीजेपी के फागू चौहान के हाथों हार का सामना करना पड़ा था. इस बार मऊ में उनका मुकाबला बीजेपी के अशोक सिंह, बसपा के भीम राजभर और कांग्रेस के माधवेंद्र बहादुर सिंह से होगा. नामांकन पत्र दाखिल करने के बाद अब्बास ने मुख्तार अंसारी के चुनाव नहीं लड़ने की वजह के सवाल पर कहा, "देश में आज लोकतंत्र खतरे में है. साजिश रची जा रही थी, जिसकी वजह से मेरे पिता नामांकन नहीं दाखिल कर पाए. ऐसी स्थिति में मेरे पिता ने मुझे विरासत सौंपी है और मैं इसे आगे बढ़ाने में कोई कसर नहीं छोडूंगा."  


मुख्तार अंसारी 2017 का चुनाव बसपा के टिकट पर जीते थे. लेकिन इस बार बसपा ने उन्हें टिकट देने से इनकार कर दिया. बसपा मऊ से अपने प्रदेश अध्यक्ष भीम राजभर को चुनाव लड़ा रही है. 


मुख्तार अंसारी और योगी आदित्यनाथ की सरकार


मुख्तार अंसारी इन दिनों जेल में बंद हैं. इससे पहले रंगदारी मांगने के मामले में वो पंजाब की जेल में बंद थे. लेकिन मुख्तार को पंजाब से लाने के लिए उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ की सरकार को काफी जोर लगाना पड़ा. यहां तक की मामला सुप्रीम कोर्ट तक गया. यूपी की योगी सरकार ने माफियों के खिलाफ अभियान चलाकर उनकी अवैध संपत्तियां जब्त करने और अवैध कब्जों को गिराने का दावा किया. सरकार और बीजेपी के नेता इसमें मुख्तार अंसारी, अतीक अहमद और सपा नेता आजम खान को प्रमुखता से लेते हैं. वो इसे योगी सरकार की सफलता के रूप में पेश करते हैं. मुख्तार अंसारी के चुनाव न लड़ने के पीछे एक वजह यह भी है.


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सपा पर क्या आरोप लगा रही है बीजेपी


बीजेपी लगातार यह आरोप लगा रही है कि समाजवादी पार्टी माफियाओं को टिकट दे रही है. यह आरोप लगाने में बीजेपी के प्रदेश स्तर से लेकर राष्ट्रीय स्तर तक के नेता शामिल हैं. बीजेपी के इन आरोपों की धार कुंद करने के लिए सपा-सुभासपा गठबंधन ने मुख्तार के बेटे को टिकट दिया है. गठबंधन को इस बात की आशंका थी कि अगर मुख्तार को टिकट दिया गया तो बीजेपी के आरोपों को बल मिलेगा. इसका बीजेपी फायदा उठा सकती है. सपा गठबंधन को इस बात की भी आशंका थी कि अगर मुख्तार अंसारी चुनाव लड़ती है तो बीजेपी को अपने पसंदीदा हिंदू-मुस्लिम पिच पर खेलने का मौका भी मिल सकता है.


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बीजेपी ने मऊ से अशोक सिंह को टिकट दिया है. वो ठेकेदार अजय प्रकाश सिंह उर्फ मन्ना सिंह के चचेरे भाई हैं. उनकी 2009 में हत्या कर दी गई थी. इस मामले मुख्तार अंसारी समेत 11 लोगों पर केस दर्ज कराया गया था. गवाहों के मुकर जाने से सभी बरी हो गए थे.