(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
UP Election 2022: खत्म होती नजर नहीं आ रही है समाजवादी कुनबे में सुलह की गुंजाइश, शिवपाल यादव का छलका दर्द
UP Elections: अखिलेश यादव के चाचा शिवपाल यादव इटावा पहुंचे तो इतने भावुक हो गए कि अपना दर्द मंच से ही सबको सुना दिया.
UP Assembly Election 2022: विधानसभा चुनाव से पहले उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) में कई नए सियासी समीकरण बनते दिख रहे हैं तो वहीं कई नए गठबंधन बनने की ओर अग्रसर है. लेकिन इन चुनावों से ठीक पहले एक बार फिर प्रदेश के सबसे बड़े समाजवादी कुनबे में सुलह की गुंजाइश खत्म होती नजर आ रही है. जिस नए गठबंधन के ऐलान का इंतजार हो रहा था अब उस गठबंधन की गांठ बंधती नहीं दिख रही है. 2017 में समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) को जिस आपसी कलह का नुकसान उठाना पड़ा अब सवाल उठ रहा है कि कहीं 2022 में भी इससे नुकसान तो नहीं होगा.
चाचा शिवपाल यादव को बीते 1 साल से भतीजे अखिलेश के फोन और मैसेज का इंतजार है. शिवपाल यादव साफ तौर पर कह रहे हैं कि उन्होंने तो बीते साल नवंबर में ही एक होने के लिए कदम बढ़ाए थे लेकिन 1 साल का वक्त होने को जा रहा है आज तक उस तरफ से उसका कोई जवाब ही नहीं आया. दरअसल, 2 दिन पहले शिवपाल यादव इटावा पहुंचे थे एक मॉल के उद्घाटन के कार्यक्रम में. वहां शिवपाल यादव का दर्द एक बार फिर सामने आ गया. शिवपाल यादव ने साफ तौर पर कहा कि मैंने तो 22 नवंबर 2020 को ही कहा था कि अगर एक हो जाओगे तो मुख्यमंत्री बनोगे. हमें सम्मान मत दो लेकिन हमारे साथ जो लोग हैं उन्हें सम्मान दे देना और अगर बन पड़े तो हमें भी सम्मान दे देना. मैंने कितनी बार फोन किया मैसेज किया आज तक इंतजार करते रह गए, इंतजार करते करते थक गया लेकिन अभी तक कोई जवाब नहीं आया. जब इंतजार करते-करते शिवपाल यादव थक गए तो उन्होंने युद्ध का ऐलान कर दिया है. शिवपाल यादव ने साफ तौर पर कहा कि पांडवों ने भी 5 गांव मांगे थे और मैंने भी तो केवल अपने लोगों का सम्मान मांगा था. उधर दुर्योधन थे, भीष्म थे, द्रोणाचार्य थे लेकिन पांडवों ने कृष्ण के साथ मिलकर युद्ध भूमि में जीत हासिल की थी.
शिवपाल यादव ने अपना दर्द मंच से ही सबको सुना दिया
दरअसल, बीते कुछ समय से शिवपाल यादव की तरफ से ये संकेत मिल रहे थे कि 2022 के विधानसभा चुनाव से ठीक पहले उनकी पार्टी भले ही समाजवादी पार्टी में विलय ना करें लेकिन समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन करके वो चुनाव लड़ने को तैयार है. कुछ दिन पहले लखनऊ में जब शिवपाल यादव की पार्टी के कार्यकर्ता जुटे थे तब शिवपाल यादव ने साफ तौर पर ऐलान किया था कि वो अखिलेश यादव के जवाब का इंतजार 11 अक्टूबर तक करेंगे. अगर जवाब आ जाएगा तो ठीक है, नहीं तो 12 अक्टूबर से वो अपनी सामाजिक परिवर्तन रथ यात्रा वृंदावन मथुरा से निकालेंगे और सभी 403 सीटों पर अपने उम्मीदवार भी खड़े करेंगे. जब 2 दिन पहले शिवपाल यादव इटावा पहुंचे तो इतने भावुक हो गए कि अपना दर्द मंच से ही सबको सुना दिया.
लगातार इटावा में लोग शिवपाल यादव से अखिलेश के साथ आने की मांग कर रहे थे, जिसके बाद शिवपाल यादव ने मंच पर साथ ना आने की सारी हकीकत बयां कर दी. शिवपाल यादव ने साफ तौर पर कहा कि नेताजी नहीं चाहते थे कि उन्हें अलग किया जाए लेकिन उसके बावजूद भी उन्हें समाजवादी पार्टी से अलग कर दिया गया. उन्होंने साफ तौर पर कहा कि नेताजी जो कहेंगे वह करने को तैयार हैं. लेकिन अब तक जवाब नहीं आया, ऐसे में 12 अक्टूबर से वृंदावन मथुरा से वो अपनी सामाजिक परिवर्तन रथ यात्रा को शुरू करेंगे.
बीजेपी शिवपाल के प्रति सहानुभूति दिखा रही है
वहीं शिवपाल यादव के भरे मंच पर दर्द बयां करने के बाद बीजेपी शिवपाल के प्रति सहानुभूति दिखा रही है. पार्टी के प्रवक्ता कह रहे हैं कि समाजवादी पार्टी कि जो कलह है वो अभी समाप्त नहीं हुई है. शिवपाल यादव तो बार-बार कोशिश करते रहे कि अखिलेश यादव को मना लिया जाए, चाचा भतीजा एक हो जाएं लेकिन बंटवारे के हिस्से को लेकर शायद सहमति नहीं बन पा रही है. इसीलिए केर बेर का संग नहीं हो पा रहा है. बीजेपी के प्रवक्ता राकेश त्रिपाठी साफ तौर पर कह रहे हैं कि अखिलेश यादव अभिमान में है, दूसरों के साथ तो गठबंधन करने को बेताब हैं, लेकिन अपने चाचा को सम्मान नहीं नहीं दे पा रहे हैं. जो परिवार नहीं चला पा रहा है वो सरकार क्या चलाएगा. जबकि समाजवादी पार्टी के प्रवक्ता साफ तौर पर कह रहे हैं कि अखिलेश यादव ने पहले ही ऐलान किया है कि 2022 के चुनाव में सभी क्षेत्रीय दलों के साथ सभी संगठनों के साथ मिलकर चुनाव लड़ेंगे और जहां तक चाचा शिवपाल की बात है तो अखिलेश यादव की लगातार उनसे वार्ता हो रही है और जल्द इसका फैसला जनता के सामने आएगा.
ये बात दीगर है कि 2017 के विधानसभा चुनाव से ठीक पहले समाजवादी परिवार में जो पहले हुई उसका नुकसान अखिलेश यादव को उठाना पड़ा और इसीलिए यह माना जा रहा था कि 2022 के पहले शायद चाचा भतीजा एक साथ आकर एक मंच से चुनाव लड़ने का एलान करेंगे, लेकिन शिवपाल यादव के इस बयान से सुलह की रही सही गुंजाइश भी अब खत्म होती नजर आ रही है. ऐसे इसका नफा किसे होगा और नुकसान किसे उठाना पड़ेगा ये तो चुनाव के बाद ही पता चलेगा.
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