UP Election 2022: कहानी उत्तर प्रदेश के उन परिवारों की जहां अलग-अलग विचारधारा की राजनीति करते हैं सदस्य
UP Election 2022 : उत्तर प्रदेश में कई ऐसे राजनीतिक परिवार हैं, जहां एक ही परिवार के सदस्य अलग-अलद दलों की राजनीति में सक्रिय हैं. आइए जानते हैं कुछ ऐसे ही राजनीतिक परिवारों के बारे में.
राजनीति में परिवारवाद कोई नई बात नहीं है. भारतीय राजनीति में यह होता रहा है. उसी तरह एक ही परिवार में कई तरह की राजनीतिक विचारधारा का होना भी कोई नई बात नहीं है. यह मामला योगी आदित्यनाथ की सरकार में कैबिनेट मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्ट बीजेपी छोड़कर समाजवादी पार्टी में शामिल होने के बाद ज्यादा चर्चा में है, क्योंकि उनकी सांसद बेटी अभी भी बीजेपी में ही हैं. आइए हम देखते हैं कि उत्तर प्रदेश की राजनीति में कितने ऐसे परिवार हैं, जहां दो अलग-अलग विचारधारा की राजनीति करने वाले सदस्य हैं.
गांधी परिवार की राजनीति
गांधी परिवार को देश की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस का प्रथम परिवार माना जाता है. गांधी परिवार के सदस्य उत्तर प्रदेश चुने जाते रहे हैं. कांग्रेस की कार्यकारी अध्यक्ष सोनिया गांधी अभी रायबरेली से सांसद हैं. उनके बेटे राहुल गांधी भी अमेठी से चुनाव लड़ते रहे हैं. वहीं राहुल के चाचा संजय गांधी की पत्नी मेनका गांधी और बेटे वरुण गांधी बीजेपी में हैं. मेनका सुल्तानपुर से तो वरुण पीलीभीत से सांसद हैं.
समाजवादी परिवार में पड़ी फूट
समाजवादी पार्टी के संस्थापक मुलायम सिंह यादव की छोटी बहू अपर्णा बिष्ट यादव 19 जनवरी को बीजेपी में शामिल हुई थीं. बीजेपी में शामिल होने के बाद उन्होंने कहा था कि वो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और योगी आदित्यनाथ से प्रभावित रही हैं. अखिलेश यादव के चाचा शिवपाल सिंह यादव पहले ही समाजवादी पार्टी से अलग होकर प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (लोहिया) के नाम से अपनी अलग पार्टी बना चुके हैं. मुलायम सिंह के समधी और फीरोजाबाद के सिरसागंज के विधायक हरिओम यादव भी बीजेपी में शामिल हो चुके हैं.
पिता और बेटी की लड़ाई में कौन जीतेगा
स्वामी प्रसाद मौर्य के साथ बीजेपी छोड़ने वालों में औरैया के बिधूना से विधायक विनय शाक्य भी शामिल थे. जब वो सपा में शामिल हुए तो उनकी बेटी रिया शाक्य ने 11 जनवरी को एक वीडियो जारी कर आरोप लगाया था कि उनके पिता का स्वास्थ्य ठीक नहीं है और उनके चाचा देवेश शाक्य उन्हें अगवा कर ले गए हैं. रिया ने यह भी कहा था कि व हर हाल में बीजेपी में ही रहेंगी. इसके कुछ दिन बाद जब बीजेपी ने अपने उम्मीदवारों की सूची जारी की तो उसमें रिया शाक्य का भी नाम था. उन्हें उनकी पार्टी ने बिधूना से ही उम्मीदवार बनाया है. वहीं उनके पिता विनय शाक्य बिधूना से ही सपा के टिकट पर चुनाव मैदान में हैं.
राजनीतिक विचारधारा की लड़ाई से पश्चिम उत्तर प्रदेश से आने वाले इमरान मसूद का परिवार भी नहीं बचा. वो कांग्रेस छोड़कर समाजवादी पार्टी में शामिल हो गए. उनका कहना था कि बीजेपी का मुकाबला केवल सपा ही कर पाएगी. इमरान मसूद जब कांग्रेस से सपा में आवाजाही कर रहे थे, इसी दौरान उनके जुड़वा भाई नोमान मसूद आरएलडी छोड़ हाथी पर सवार हो गए, यानी की बसपा में शामिल हो गए. कांग्रेस छोड़ सपा में जाने से इमरान को टिकट तो नहीं मिला, लेकिन नोमान गंगोह विधानसभा सीट से बसपा का टिकट पाने में कामयाब रहे. इन दोनों भाइयों ने 2017 का विधानसभा चुनाव कांग्रेस के टिकट पर लड़ा था. दोनों को हार का सामना करना पड़ा था.
पिता समाजवादी और बेटी राष्ट्रवादी
इसी तरह स्वामी प्रसाद मौर्य का परिवार है. मौर्य पहले बसपा में थे. वो 2016 में बीजेपी में शामिल हो गए थे. पडरौना से चुनाव जीतने पर उन्हें कैबिनेट मंत्री बनाया गया था. साल 2019 के लोकसभा चुनाव में उनकी बेटी को बीजेपी ने बदायूं से टिकट दिया था. वो जीती भी थीं. स्वामी प्रसाद मौर्य बीजेपी छोड़कर सपा में शामिल हो गए हैं. लेकिन उनकी सांसद बेटी संघमित्रा मौर्य अभी भी बीजेपी में हैं. पिता के सपा में जाने के बाद उन्हें सोशल मीडिया में ट्रोल किया गया, जिसका उन्होंने बखूबी जवाब दिया था.
परिवार में दो तरह की विचारधारा का मामला आंबेडकरनगर से बसपा सांसद रीतेश पांडेय के घर में भी देखने को मिला. इसी महीने उनके पिता और पूर्व सांसद राकेश पांडेय बसपा छोड़कर सपा में शामिल हो गए.
बाहुबली विधायक के घर की राजनीति
पूर्वी उत्तर प्रदेश के मऊ को बाहुबली विधायक मुख्तार अंसारी के गढ़ के रूप में जाना जाता है. पिछला चुनाव बसपा के टिकट पर जीतने वाले मुख्तार अंसारी के दो भाई भी राजनीति में हैं. उनके एक भाई अफजल अंसारी जहां गाजीपुर से बसपा के सांसद हैं, वहीं पूर्व विधायक रह चुके सिबगतुल्लाह अंसारी ने पिछले साल सपा की सदस्यता ले ली थी. अभी यह तय नहीं हो पाया है कि मुख्तार अंसारी इस बार विधायक का चुनाव लड़ेंगे या नहीं.
मां और बेटी की बीच बंटी पार्टी
मिर्जापुर की सांसद अनुप्रिया पटेल नरेंद्र मोदी की सरकार में मंत्री हैं. वो अपना दल (एस) की प्रमुख हैं. अपना दल की स्थापना अनुप्रिया के पिता सोनेलाल पटेल ने बसपा से निकलने के बाद की थी. बाद में परिवार में वस्चर्व की लड़ाई में यह पार्टी दो हिस्सों में टूट गई. एक हिस्सा अपना दल (सोनेलाल) के नाम से मशहूर है. इसकी कमान अनुप्रिया पटेल के पास. दूसरे धड़े को अपना दल (कमेरावादी) के नाम से जाता है. इसकी अध्यक्ष अनुप्रिया की मां कृष्णा पटेल हैं. इस बार के विधानसभा चुनाव में अनुप्रिया अपनी पुरानी सहयोगी बीजेपी के साथ हैं तो कृष्णा पटेल वाला धड़ा समाजवादी पार्टी के साथ.