UP Election 2022: वो 5 सीटें जहां बीजेपी 2017 की आंधी में भी नहीं बचा पाई थी अपनी जमानत
UP Election 2022: उत्तर प्रदेश के चुनाव में बीजेपी ने सबसे शानदार प्रदर्शन 2017 में किया था. लेकिन इस चुनाव में 5 सीटें ऐसी भी थीं, जहां बीजेपी अपनी जमानत तक नहीं बचा पाई थी. वो सीटें कौन सी थीं.
उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनावों (UP Assembly Election) में बीजेपी (BJP) ने अबतक का ऐतिहासिक प्रदर्शन 2017 में किया था. उस साल बीजेपी की आंधी चली थी. बीजेपी ने 384 सीटों पर चुनाव लड़ते हुए 312 सीटें जीत ली थीं. यूपी के इतिहास में बीजेपी का यह सबसे बढ़िया प्रदर्शन था. लेकिन इस आंधी में भी 5 सीटें ऐसी थीं, जहां बीजेपी के उम्मीदवार जमानत नहीं बचा पाए थे. आइए जानते हैं उन 5 सीटों के बारे में जहां बीजेपी अपनी जमानत तक नहीं बचा पाई थी.
विधानसभा चुनाव में जमानत की राशि बचाने के लिए किसी उम्मीदवार को कुल पड़े वोटों में से 16.6 फीसदी वोट लाना अनिवार्य होता है. ऐसा न कर पाने वाले उम्मीदवार की जमानत जब्त मानी जाती है, यानि जमानत के तौर पर जमा कराई गए पैसे उसे वापस नहीं मिलते हैं.
वो सीटें जहां जब्त हुई बीजेपी की जमानत
बदायूं जिले की सहसवान सीट पर बीजेपी उम्मीदवार केवल 10.15 फीसदी वोट ही ला पाए थे. यहां से सपा के ओंकार सिंह जीते थे. उन्हें 77 हजार 534 या 32.60 फीसदी वोट मिले थे. सहसवान में बीजेपी के आशुतोष वार्ष्णेय को केवल 24 हजार 152 या 10.15 फीसदी ही वोट मिले थे.
वहीं अमेठी जिले की गौरीगंज सीट पर भी बीजेपी की जमानत जब्त हो गई थी. यहां से सपा के राकेश प्रताप सिंह चुनाव जीते थे. उन्हें 77 हजार 915 वोट या 38.98 फीसदी वोट मिले थे. इस सीट पर बीजेपी उम्मीदवार उमाशंकर पांडेय को केवल 23 हजार 642 वोट या 11.83 फीसदी वोट ही मिले थे.
इसी तरह रायबरेली सदर सीट पर भी बीजेपी की जमानत जब्त हो गई थी. वहां कांग्रेस की अदिति सिंह (Aditi Singh)ने 62.94 फीसदी या 1 लाख 28 हजार 319 वोट हासिल किए थे. बीजेपी की अनीता श्रीवास्तव को केवल 28 हजार 821 या 14.14 फीसदी वोट मिले थे.
बीएसपी से हार गई बीजेपी
हाथरस जिले की सादाबाद सीट पर भी बीजेपी अपनी जमानत नहीं बचा पाई थी. यहां से बसपा के वरिष्ठ नेता रामवीर उपाध्याय ने जीत दर्ज की थी. उपाध्याय को 91 हजार 365 या 40.51 फीसदी वोट मिले थे. बीजेपी की प्रीती चौधरी को 36 हजार 134 या 16.02 फीसदी वोट मिले थे.
बीजेपी प्रयागराज की सोरांव सीट पर भी जमानत नहीं बचा पाई थी. लेकिन ऐसा गलतफहमी की वजह से हुआ था. दरअसल सोरांव सीट पर बीजेपी ने पहले अपना उम्मीदवार उतारा था. लेकिन अंत में यह सीट उसने अपनी गठबंधन सहयोगी अपना दल को दे दी. लेकिन बीजेपी उम्मीदवार अपना पर्चा वापस नहीं ले पाए थे. इस सीट पर अपना दल ने जीत दर्ज की थी. अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित सोरांव से अपना दल के डॉक्टर जमुना प्रसाद सरोज को 77 हजार 814 वोट या 37.02 फीसदी वोट मिले थे. वहीं बीजेपी के सुरेंद्र चौधरी को 6 हजार 522 वोट या 3.10 फीसदी वोट ही मिले थे. बीजेपी ने बाद में सुरेंद्र चौधरी को 2021 में विधान परिषद का सदस्य बनवाया.