गोरखपुर (Gorakhpur) जिले में 3 मार्च को उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव (UP Assembly Election 2022) के छठवें चरण में मतदान होगा. गोरखपुर में नामांकन दाखिल करने की प्रक्रिया पूरी हो चुकी है. प्रत्याशी बुधवार 3 बजे तक अपना पर्चा वापस ले सकते हैं. इसके बाद यह तय हो जाएगा कि गोरखपुर शहर सीट पर योगी आदित्यानाथ (Yogi Adityanath) के खिलाफ कौन-कौन ताल ठोक रहा है. गोरखपुर शहर सीट पर 13 पर्चे जांच में वैध पाए गए हैं. 


गोरखपुर जिले में कितने पर्चे दाखिल हुए और कितने वैध मिले?


गोरखपुर जिले में 9 विधानसभा सीटें हैं. इन सीटों पर कुल 148 लोगों ने पर्चा दाखिल किया था. जांच में कुल 32 पर्चे अवैध और 116 पर्चे वैध पाए गए हैं. सबसे कम 9 पर्चे बांसगांव और सबसे अधिक 16 पर्चे गोरखपुर ग्रामीण सीट पर वैध पाए गए हैं. उम्मीदवार बुधवार सुबह 11 बजे से शाम तीन बजे तक अपनी उम्मीदवारी वापस ले सकते हैं. इसके बाद यह तय हो जाएगा किस विधानसभा सीट पर कितने उम्मीदवार चुनाव मैदान में हैं. 


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जांच के बाद गोरखपुर ग्रामीण में 16, सहजनवां और पिपराइच में 15-15, चौरीचौरा में 14, गोरखपुर शहर और कैंपियरगंज में 13-13, खजनी में 11, चिल्लूपार में 10 और बांसगांव में 9 पर्चे वैध पाए गए हैं. 


गोरखपुर शहर सीट की लड़ाई कैसी है?


इस चुनाव में देश और दुनिया की नजरें गोरखपुर शहर सीट पर लगी हुई हैं. इस सीट से प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ चुनाव मैदान में हैं. यहां से बीजेपी ने सुभावति शुक्ल, बसपा ने ख्वाजा समशुद्दीन, कांग्रेस ने चेतना पांडेय और आम आदमी पार्टी ने विजय कुमार श्रीवास्तव को उम्मीदवार बनाया है. इनके अलावा आजाद समाज पार्टी (कांशीराम) के प्रमुख चंद्रशेखर आजाद भी गोरखपुर में ताल ठोक रहे हैं. उनका पर्चा भी वैध पाया गया है. 


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गोखपुर सीट परंपरागत तौर पर बीजेपी की सीट रही है. साल 1989 से यहां से बीजेपी जीत रही है. बीजेपी के कद्दावर नेता शिवप्रताप शुक्ल में 1989 में पहली बार इस सीट से जीते थे. उसके बाद हर आंधी में बीजेपी अपना यह किला बचा पाने में सफल रही है. ऐसे में 2022 का चुनाव दिलचस्प हो गया है, जब योगी आदित्यनाथ खुद ही इस सीट से चुनाव लड़ रहे हैं. 


विपक्ष ने योगी आदित्यनाथ की घेरेबंदी की है. सपा ने जहां बीजेपी के एक नेता की विधवा सुभावति शुक्ल को टिकट दिया है. वहीं बसपा ने अपने पुराने कार्यकर्ता पर भरोसा जताया है. वहीं दलित वोटों में सेंधमारी के लिए चंद्रशेखर आजाद योगी को चुनौती दे रहे हैं. इस घेरेबंदी और चुनौती में कितना दम है, इसका पता 10 मार्च को ही चल पाएगा, जब चुनाव के नतीजे आएंगे.