UP Election 2022: वीआईपी के प्रमुख मुकेश साहनी का बड़ा दावा, निषाद पार्टी और बीजेपी को लेकर कही यह बात
UP Election 2022: विकासशील इंसान पार्टी के प्रमुख मुकेश सहनी ने आरोप लगाया कि प्रशासन का दुरुपयोग कर उनके हेलिकॉप्टर को उतरने देने और रैली के अनुमति देने में देर की जाती है.
विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) के प्रमुख और बिहार सरकार के मंत्री मुकेश साहनी (Mukesh Shani) ने कहा है कि उत्तर प्रदेश में निषाद पार्टी (NISHAD Party) बिना एजेंडे के चुनाव लड़ रही है. सा हनी ने कहा कि निषाद पार्टी के अध्यक्ष डॉक्टर संजय निषाद (Dr Sanjay Nishad) मछुआरों के हक की लड़ाई भूल चुके हैं. उन्होंने कहा कि यही स्थिति रही तो जल्द ही वह अपनी पार्टी का बीजेपी में विलय कर लेंगे. वीआईपी उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव में कई सीटों पर चुनाव लड़ रही है. वहीं निषाद पार्टी बीजेपी (BJP) के साथ गठबंधन कर चुनाव मैदान में है.
मुकेश सहनी का आरोप, बीजेपी डरी हुई है
मुकेश साहनी गोरखपुर में पत्रकारों से कहा कि उत्तर प्रदेश में वीआईपी को उम्मीद से अधिक समर्थन मिल रहा है. उन्होंने कहा कि जिस सीट पर उनके प्रत्याशी मैदान में हैं, वहां हमारे समाज में जागरूकता आई है. उन्होंने कहा कि बीजेपी हमसे डर गई है. इसी वजह से हमें और हमारे प्रत्याशियों को प्रशासन ने बहुत जगह परेशान किया है. वीआईपी के प्रमुख ने आरोप लगाया कि प्रशासन का दुरुपयोग कर उनके हेलिकॉप्टर को उतरने देने और रैली के अनुमति देने में देर की जाती है. उन्होंने कहा कि जब उनकी रैली दो बजे होती है, तो हमें डेढ़ बजे की इजाजत दी जाती है. उनका कहना था कि प्रशासन के इस रवैये से बीजेपी के डर का पता चलता है. वीआईपी के प्रमुख ने आरोप लगाया कि उन्होंने 104 सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे, लेकिन बीजेपी ने 50 उम्मीदवारों का नामांकन रद्द करा दिया.
मछुआरों के लिए आसान नहीं है यूपी में मछली मारना
मछुआरों की राजनीति करने वाले मुकेश साहनी ने कहा कि उत्तर प्रदेश में मछुआरों के लिए मछली मारना आसान नहीं है, क्योंकि इसके नाम पर लाखों की वसूली हो रही है. जबकि बिहार में ऐसा नहीं है. वहां निषाद समाज के लिए हम मजबूती से काम कर रहे हैं और अनुदान जैसी व्यवस्था कर रहे हैं. बिहार में गंगा में फिसिंग फ्री है, लेकिन यहां नहीं. उन्होंने कहा कि यूपी में निषाद समाज को आरक्षण दिलाना हमारी प्राथमिकता है. यही हमारी लड़ाई है और इसको लेकर एक बड़ा आंदोलन चला. इसमें हमारे अखिलेश निषाद जैसे लोग शहीद हुए. कुछ लोग नेता बने, लेकिन समाज के प्रति अपने दायित्वों को छोड़कर बीजेपी से मिल गए.