UP Election 2022: यूपी में अयोध्या छोड़ मथुरा की तरफ क्यों मुड़ रही है बीजेपी?
UP Election 2022: बीजेपी जब अयोध्या में राम मंदिर के लिए आंदोलन कर रही थी, उस दौरान नारा लगता था, 'अयोध्या तो अभी झांकी है, काशी मथुरा' बाकी है. केशव प्रसाद मौर्य ने उसी नारे को नया रूप दिया है.
उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य (Keshav Prasad Maurya) के एक ट्वीट ने उत्तर प्रदेश की राजनीतिक हवा को गर्म कर दिया है. उन्होंने गुरुवार को ट्वीट किया, ''अयोध्या काशी भव्य मंदिर निर्माण जारी है, मथुरा की तैयारी है.'' उनके इस ट्वीट पर यूपी में कड़ी प्रतिक्रिया हुई. मौर्य ने शुक्रवार को कहा कि ये चुनाव नहीं आस्था का विषय है. उन्होंने कहा कि अयोध्या में भव्य राम मंदिर का बन रहा है, वाराणसी में काशी विश्वनाथ कॉरिडोर परियोजना पर काम चल रहा है और अब हमें मथुरा में कृष्ण जन्मभूमि पर मंदिर निर्माण की प्रतीक्षा है. उन्होंने कहा कि बीजेपी (BJP) के लिए ये चुनावी मुद्दे नहीं हैं. वहीं राजनीति टीकाकार इसे बीजेपी का बड़ा राजनीतिक परिवर्तन मान रहे हैं.
अयोध्या का राम मंदिर और बीजेपी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 5 अगस्त 2020 को अयोध्या में राम मंदिर का शिलान्यास किया था. उसके बाद यह कहा जाने लगा था कि बीजेपी का सबसे बड़ा राजनीतिक मुद्दा राम मंदिर का मुद्दा अब खत्म हो गया है. उसके बाद से कयास लगाए जाने लगे थे कि बीजेपी अब किसे मुद्दा बनाएगी. केशव प्रसाद मौर्य के बयान ने उन कयासों पर विराम लगा दिया है.
बीजेपी की राजनीतिक यात्रा में धर्म उसका बड़ा साथी रहा है. विकास और सामाजिक समीकरणों की वह चाहें जितनी भी बात कर ले धर्म का साथ लिए बिना उसकी राजनीति पूरी नहीं होती है. एक इसी मुद्दे ने उसे देश की सबसे बड़ी पार्टी बनाने में मदद की है. उत्तर प्रदेश के कई चुनाव भी बीजेपी ने इसी मुद्दे के सहारे जीते हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2017 के विधानसभा चुनाव में कब्रिस्तान बनाम शमशान तक को मुद्दा बना दिया था. उसे इसका फायदा भी हुआ था. बीजेपी ने उस चुनाव में यूपी में अबतक की सबसे बड़ी जीत दर्ज की थी.
यह भी सच है कि केशव प्रसाद मौर्य ने मथुरा को लेकर जो नारा दिया है, वह नया नहीं है. राम मंदिर आंदोलन के दौर में नारा लगाया जाता था, 'अयोध्या अभी झांकी है, काशी-मथुरा बाकी है.' लेकिन अयोध्या में राम मंदिर के शिलान्यास के बाद यह मुद्दा बीजेपी के हाथ से जाता दिखा. बीजेपी ने भी विकास की बात शुरू कर दी. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी यूपी में लगातार विकास परियोजनाओं का शिलान्यास करते नजर आ रहे हैं. हालांकि विकास योजनाओं पर बीजेपी के दावों पर विपक्ष सवाल उठा रहा है.
बीजेपी के खिलाफ माहौल
कोरोना वायरस के संक्रमण के समय फैली अव्यवस्था और किसान आंदोलन ने प्रदेश में बीजेपी के खिलाफ महौल बना दिया. इससे निपटने के लिए बीजेपी को कोई रास्ता नजर नहीं आ रहा था. इस वजह से उसने तीनों कृषि कानूनों को ही वापस लेने का फैसला किया. इसके बाद भी जमीन पर बीजेपी के पक्ष में कुछ नजर नहीं आ रहा था. इसने बीजेपी की चिंता बढ़ा दी थी. इसके बाद उसने एक बार फिर मंदिर की रुख किया है.
बीजेपी ने 2017 के विधानसभा चुनाव में टिकट बंटवारे में जाति को हथियार बनाया था. उनसे गैर यादव और गैर जाटव जाति को जमकर टिकट दिए थे. इसका उसे फायदा भी हुआ. इस बार के चुनाव में यूपी की दोनों बड़ी पार्टियां सपा और बसपा भी इसी फार्मूले पर बढ़ती दिख रही हैं. इससे बीजेपी को अपना खेल बिगड़ता दिखा. इसके बाद उसने एक बार फिर मंदिर का रास्ता चुना है. यही वजह है कि केशव प्रसाद मौर्य ने मथुरा में मंदिर का मुद्दा उछाला है.
मथुरा-काशी वाले ट्वीट पर कायम हैं केशव प्रसाद मौर्य, अब बोले- हम मथुरा में कृष्ण जन्मभूमि पर...