Sanjay Nishad Reaction Over Reservation: उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) में होने वाले विधानसभा चुनाव (Assembly Election) से पहले निषाद समाज पार्टी के अध्यक्ष संजय निषाद (Sanjay Nishad) ने बड़ा बयान दिया है. संजय निषाद ने कहा कि उनके समुदाय के लोग तब तक वोट नहीं देंगे जब तक आरक्षण (Reservation) नहीं दिया जाता है. अब ये भाजपा सरकार (BJP Government) का कर्तव्य है कि वो अपना वादा पूरा करे. उन्होंने कहा कि 9 नवंबर से हम हर जिले में धरना प्रदर्शन करेंगे. भाजपा (BJP) ने वादा पूरा नहीं किया तो गठबंधन पर भी असर पड़ सकता है.
आरक्षण के लिए लड़ाई लड़ते रहेंगे
हाल ही में संजय निषाद ने कहा था कि आरक्षण के मुद्दे को लेकर एक रथ यात्रा निकाली गई है. उनके समाज को जब तक आरक्षण का लाभ नहीं मिल जाता है तब तक वो इसके लिए लड़ाई लड़ते रहेंगे. इस मुद्दे पर विचार करने के लिए दिल्ली और उत्तर प्रदेश की सरकार लगी हुई है.
5 दर्जन विधानसभा सीटों पर है खासा असर
बता दें कि, उत्तर प्रदेश की राजनीति (UP Assembly ELection 2022) में जाति आधारित पार्टियों की भूमिका महत्वपूर्ण है. ये पार्टियां मुख्य तौर पर पिछड़ी जातियों की हैं. इन्हीं पिछड़ी जातियों में से एक प्रमुख जाति है, निषाद. मछली मारने या जिनकी रोजी-रोटी नदियों-तालाबों पर निर्भर है, वैसी जातियां इसमें आती हैं. इसमें केवट, बिंद, मल्लाह, कश्यप, नोनिया, मांझी, गोंड जैसी जातियां हैं. उत्तर प्रदेश की करीब 5 दर्जन विधानसभा सीटों पर इनकी अच्छी-खासी आबादी है. इसलिए निषाद समुदाय राजनीतिक दलों के लिए महत्वपूर्ण बन गया है.
निषाद वोटों की राजनीति
समाजवादी रूझान वाले कैप्टन जयनारायण निषाद इस समाज के सबसे बड़े नेता थे. बिहार से आने वाले कैप्टन निषाद मुजफ्फरपुर से 5 बार सांसद रहे. वो किसी भी दल में रहें, उनकी जीत पक्की रहती थी. उन्होंन बिना किसी भेदभाव के पार्टियां बदलीं. लेकिन उन्होंने कभी अपनी पार्टी नहीं बनाई. लेकिन पूर्वी उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में रहने वाले संजय निषाद (Sanjay Nishad) ने 2016 में 'निषाद पार्टी' के नाम से अलग पार्टी ही बना ली. इसके बाद बिहार में मुकेश सहनी ने विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) के नाम से एक पार्टी बनाई. वीआईपी भी निषादों की राजनीति करती है.
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