UP Assembly Election 2027: उत्तर प्रदेश लोकसभा चुनाव में जबरदस्त प्रदर्शन के बाद भारतीय जनता पार्टी को करारा झटका लगा है. समाजवादी पार्टी प्रदेश में बीजेपी के लिए बड़ा खतरा बनकर उभरी है. ऐसे में बीजेपी अलर्ट हो गई है तो वहीं सपा ने बिना किसी शोर शराबे के अभी से 2027 की तैयारियां शुरू कर दी है. सपा 37 के फॉर्मूले के साथ एक बार फिर सटीक रणनीति से चुनाव की तैयारी को आगे बढ़ाने में जुट गई है. जिसके जरिए अखिलेश यादव की नजर 'मिशन 300' पर टिकी है

 

समाजवादी पार्टी को अब तक एमवाई (मुस्लिम+यादव) समीकरण वाली पार्टी माना जाता था लेकिन, इस बार जिस तरह सपा अध्यक्ष ने पीडीए यानी पिछड़ा, दलित और अल्पसंख्यक का नारा दिया और चुनाव में पूरी रणनीति के साथ उतरे. इनकी हिस्सेदारी को तय किया गया उससे सपा को शानदार सफलता मिली और चुनाव में 37 सीटें जीतने के बाद सपा प्रदेश की सबसे बड़ी पार्टी भी बन गई. 

 

2027 की रणनीति में अभी से जुटी सपा

सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव के लिए सबसे बड़ी बात ये रही कि जो दलित वोटर्स अक्सर सपा से दूर भागते थे वो भी इस बार सपा के साथ जुड़े और उनके पक्ष में वोट दिया. अखिलेश अब दलित वोटरों को अपनी पार्टी के साथ जोड़ने रखने की क़वायद में जुट गए हैं. उनका मानना है कि अगर 37 सीटों वाले पीडीए फॉर्मूले के जरिए जहां लोकसभा में 37 सीटों पर फ़तह हासिल हुई उसे विधानसभा चुनाव तक कायम रखना होगा. 

 

उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी के पास अभी 105 विधानसभा सीटें हैं जबकि लगातार दो बार से जीत हासिल करने वाली बीजेपी के पास 251 विधायक हैं. लोकसभा चुनाव में जिस तरह से नतीजे सामने आए उसके बाद बीजेपी काफी कमजोर होते दिख रही है. सबसे बड़ी बात है कि दलित वोटरों ने बड़ी संख्या में सपा की ओर रुख़ किया गया है. जबकि पिछले दो बार से वो लगातार बीजेपी के साथ बने हुए थे. 

 

2019 में भी जब सपा और बसपा गठबंधन में चुनाव लड़े थे तब भी दलित वोटर बीजेपी के साथ खड़े थे, लेकिन इस बार सपा की दलितों पर पकड़ मज़बूत होते दिख रही है. दलित और मुस्लिम वोटरों ने एकमुश्त इंडिया गठबंधन के पक्ष में वोट किया, जिसका फ़ायदा कांग्रेस को भी हुआ है. अखिलेश यादव अब दलितों के विश्वास को बनाए रखने की रणनति तैयार कर रहे हैं. इसके साथ ही विधानसभा सीटों का भी जातीय लेखा-जोखा तैयार करने में जुटे हैं. ताकि इसी आधार पर आगे की रणनीति तैयार की जा सके.