Uttar Pradesh Vidhan Sabha: उत्तर प्रदेश की 18वीं विधानसभा में एक बार फिर से भारतीय जनता पार्टी (Bhartiya Janata Party) के नेतृत्व में एनडीए सबसे बड़े दल और समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) मुख्य विपक्षी दल के रूप में दिखेगी. लेकिन इस बार विधानसभा में दलों की मौजूदगी का स्वरूप बदला-बदला दिखेगा. दलों की मौजूदगी के अनुपात में अब विधानभवन में उन्हें आवंटित होने वाले कक्षों में भी बदलाव हो सकता है. सदन में पिछली बार की तीसरी सबसे बड़ी पार्टी बहुजन समाज पार्टी इस बार एक सीट पर सिमट गई है, जबकि इस बार अपना दल (सोनेलाल) तीसरी सबसे बड़ी पार्टी है.


ऐसी परंपरा रही है कि कम से कम एक प्रतिशत यानी चार सीटें जीतने वाले दल को विधानभवन में कार्यालय के लिए कक्ष आवंटित होता है. इस हिसाब से कांग्रेस, बसपा और जनसत्ता दल (लोकतांत्रिक) को कक्ष आवंटित होने में मुश्किल आ सकती है. इस संदर्भ में विधानसभा के विशेष सचिव ब्रजभूषण दुबे ने न्यूज एजेंसी पीटीआई से बात करते हुए कहा कि ‘‘छोटे दलों को कक्ष आवंटित करना विधानसभा अध्यक्ष के विवेक और कक्ष की उपलब्धता पर निर्भर करता है. छोटे दलों से उनका मतलब चार से कम सीटें पाने वाले दलों से है.’’


अपना दल (एस) का कार्यालय पहले से मौजूद है


ब्रजभूषण दुबे ने कहा, ‘‘उदाहरण स्वरूप पिछली बार आरएलडी को एक सीट मिली थी और उन्हें कक्ष आवंटित नहीं किया गया था, लेकिन इस बार आठ सीटें मिली हैं, तो इस दल का विधानभवन में कार्यालय होगा. सुभासपा ने पिछली बार की चार सीटों की तुलना में इस बार छह सीटें जीती तो उनका कक्ष बरकरार रहेगा. अपना दल (एस) का भी कार्यालय पहले से मौजूद है लेकिन, तीसरा बड़ा दल होने के नाते पार्टी बड़े कक्ष के लिए दावेदारी कर सकती है.’’


विशेष सचिव ने बताया कि बड़े दलों को कक्ष के साथ ही कर्मचारी भी उपलब्ध कराए जाते हैं. उन्होंने बताया कि जहां तक सदन में सीटों की व्यवस्था की बात है तो नेता सदन, मुख्यमंत्री, मंत्रियों और नेता विरोधी दल के बैठने का स्थान तय होता है. इसके अलावा, दलों के विधानमंडल दल के नेता का स्थान भी तय किया जाता है. हालांकि, एक प्रतिशत से कम सीट पाने वाले दलों के नेताओं के लिए व्यवस्था को लेकर पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि यह विधानसभा अध्यक्ष तय करेंगे.


इस बार सदन में एक भी निर्दलीय विधायक नहीं होगा


सबसे दिलचस्प यह कि इस बार सदन में एक भी निर्दलीय विधायक नहीं होगा. पिछली बार तीन निर्दलीय सदस्य चुन कर आए थे. राज्य विधानसभा चुनाव में भाजपा गठबंधन को 273 और सपा गठबंधन को 125 सीटें मिलीं हैं. दलों के हिसाब से देखें तो भाजपा को 255, सपा को 111, अपना दल (एस) को 12, रालोद को आठ, सुभासपा और निर्बल इंडियन शोषित हमारा आम दल (निषाद) को छह-छह, कांग्रेस और जनसत्ता दल (लोकतांत्रिक) को दो-दो तथा बसपा को एक सीट मिली है. भाजपा गठबंधन में अपना दल (एस) और निषाद पार्टी तथा सपा गठबंधन में रालोद और सुभासपा शामिल हैं.


इस परिणाम ने विधानसभा में कई दलों की हैसियत घटाई है तो कई दलों का कद बढ़ाया है. भाजपा के एक वरिष्ठ नेता ने बताया कि इस बार विधायक भगवा टोपी पहनकर आ सकते हैं. उन्होंने कहा कि इसके लिए पार्टी ने कोई निर्देश नहीं दिया है, लेकिन चुनाव प्रचार के दौरान इस बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वाराणसी में रोड शो के दौरान भगवा टोपी पहनी थी तो विधायक भी सदन में ऐसी ही टोपी पहनकर आ सकते हैं.


सपा के अधिकांश विधायक सदन की कार्यवाही के दौरान ‘लाल टोपी’ पहनकर आते थे. प्रधानमंत्री मोदी समेत सत्तारूढ़ भाजपा के वरिष्ठ नेताओं ने सपा की लाल टोपी को ‘खतरे की घंटी’ कहा था. 2017 में सदन में सपा के सिर्फ 47 विधायक जीतकर आये थे लेकिन इस बार उनकी संख्या बढ़कर 111 हो गई है. पिछली बार की अपेक्षा इस बार सपा की 64 सीटें बढ़ी हैं. 


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