UP: बस्ती RTO में फर्जी ड्राइविंग लाइसेंस का बड़ा खुलासा, 7 साल से चल रहा था फर्जीवाड़ा
बस्ती में पिछले 7 साल से ये फर्जीवाड़ा चल रहा था, मगर कभी किसी अधिकारी के पकड़ में कैसे नहीं आया ये बड़ा सवाल है. ARTO ने दावा किया कि इस मामले में जो भी दोषी होगा उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी.
आरटीओ विभाग में ड्राइविंग लाइसेंस के बहुत बड़े खेल का खुलासा हुआ है, जिसके बाद विभाग में हड़कंप मचा हुआ है. विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों की मिलीभगत से एक दो नहीं बल्कि 500 फर्जी ड्राइविंग लाइसेंस बना दिए गए. सूत्रों के मुताबिक अधिकतर डीएल उनके बनाए गए हैं जिनका कोई अस्तित्व नहीं है.
फर्जी आधार कार्ड और प्रमाण पत्रों का सहारा लेकर ड्राइविंग लाइसेंस बनवा लिए गए. जबकि नियम है कि डीएल उसी जिले के आरटीओ विभाग से जारी हो सकता है जहां का आवेदक निवासी हो, अन्य जिले का निवासी किसी दूसरे जिले के आरटीओ दफ्तर से ड्राइविंग लाइसेंस बनवा ही नहीं सकता. मगर नियम कानून को दरकिनार कर बस्ती संभागीय परिवहन विभाग में धड़ल्ले से कई फर्जी डीएल बन गए.
सूत्रों के मुताबिक, बाहरी प्रदेशों के बॉर्डर पर रहने वाले अधिकतर रोहिंगियों के डीएल तैयार किए गए है जिसकी फिलहाल अभी पुष्टि नहीं हुई है. मगर ये साफ हो गया है कि 500 में से 135 डीएल फेक है और 135 में से 115 ड्राइविंग लाइसेंस सिर्फ दूसरे प्रदेश में रहने वाले मुश्लिम्मों समुदाय के लोगों के है. संभागीय परिवहन विभाग बस्ती में फर्जी लाइसेंस बने भी तो दस-बीस की संख्या में नहीं, बल्कि सैकड़ों की संख्या में बने हैं.
उच्च अधिकारी भी फर्जीवाड़े को कर रहे स्वीकार
ड्राइविंग लाइसेंस जिनके नाम पर बना है, वे बस्ती के बाशिंदे नहीं बल्कि राजस्थान, महाराष्ट्र और जम्मू-कश्मीर के रहने वाले हैं. गोपनीय शिकायत की जांच में फर्जीवाड़े की पुष्टि हुई, जिसे उच्च अधिकारी भी स्वीकार कर रहे हैं. अब आरआई को पूरे मामले की जांच सौंपी गई है. मार्च 2020 में कोरोना का कहर फैलने के साथ ही सरकारी दफ्तर पूरी तरह बंद कर दिए गए थे. हालांकि, अंदर ही अंदर सारा काम हो रहा था. यह सिलसिला मई 2021 तक चलता रहा.
अब जब मामला खुला है तो आपाधापी में अभी तक चिह्नित किए गए 135 लाइसेंस ब्लॉक कर दिए गए हैं. ताज्जुब की बात यह है कि सैकड़ों की संख्या में फर्जी लाइसेंस अधिकारियों की आईडी से महीनों से बन रहे थे और उनकी सफाई है कि उन्हें पता ही नहीं चला. इसमें विभागीय कर्मियों की मिलीभगत मानी जा रही है.
वहीं इस पूरे मामले को लेकर एआरटीओ अरुण चौबे से जब बात की गई तो उनका कहना था कि प्रकरण संज्ञान में जैसे ही आया तो जांच शुरू करा दी गई है. अभी तक 135 डीएल फर्जी मिले है. जांच जारी है, जिनके लाइसेंस फर्जी है वे सभी बाहरी राज्यों के रहने वाले बताए जा रहे है.
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