BJP New State President: कैबिनेट मंत्री भूपेंद्र चौधरी (Bhupendra Chaudhary) को यूपी बीजेपी (BJP) का नया प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया है. हालांकि अध्यक्ष की रेस में नाम तो कई सारे शामिल थे लेकिन पार्टी आलाकमान ने सबसे मुफीद अगर किसी को समझा तो वो भूपेंद्र चौधरी थे. इसलिए 2024 से पहले उनके कंधों पर बड़ी जिम्मेदारी सौंपी है. भूपेंद्र चौधरी को उत्तर प्रदेश में बीजेपी का अध्यक्ष बनाकर पार्टी ने कई बड़े संदेश दिए हैं खासतौर से ऐसे वक्त में जब पश्चिमी उत्तर प्रदेश में आरएलडी (RLD) और सपा (SP) का गठबंधन चुनौती के तौर पर खड़ा है ऐसे में पहली बार बीजेपी ने किसी जाट नेता को उत्तर प्रदेश में अध्यक्ष बनाया है. आज आपको बताएंगे कि आखिर भूपेंद्र चौधरी को ही यूपी में बीजेपी ने अपना चौधरी क्यों बनाया है.


भूपेंद्र चौधरी बने यूपी बीजेपी के नए प्रदेश अध्यक्ष


बीजेपी को लंबे समय से प्रदेश में अध्यक्ष का इंतजार था और आखिरकार पार्टी ने पहली बार उत्तर प्रदेश में किसी जाट नेता को प्रदेश अध्यक्ष बनाया है. भूपेंद्र चौधरी लंबे समय से पार्टी के लिए काम कर रहे हैं. उन्होंने साल 1991 में बीजेपी ज्वाइन की और उसके बाद जिले में तमाम पदों पर रहे. दअसल बीजेपी ने ये जो फैसला लिया. इसके पीछे कहीं ना कहीं 2024 की रणनीति है क्योंकि उत्तर प्रदेश में बीजेपी ने 80 में 80 सीट जीतने का लक्ष्य रखा है और बिना पश्चिम साथ के ये लक्ष्य पूरा नहीं हो पाएगा. बता दें कि साल 2019 के लोकसभा चुनाव में अगर बीजेपी को कहीं सबसे ज्यादा नुकसान हुआ था तो वो था पश्चिम में ही हुआ था.


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भूपेंद्र चौधरी को अध्यक्ष बनाने के पीछे की कुछ महत्वपूर्ण वजह


भूपेंद्र चौधरी को संगठन में काम करने का तीन दशकों का लंबा अनुभव है.


भूपेंद्र चौधरी की छवि एक ऐसे नेता की है जो सबकी सुनते हैं. व्यवहार में सरल और सहज है. कार्यकर्ता के लिए हर वक़्त उपलब्ध है.


साल 2017 में योगी वन में वो मंत्री बने और उसके बाद लगातार पंचायती राज विभाग की जिम्मेदारी संभाल रहे है. लेकिन एक भी आरोप उनके ऊपर नहीं लगा उनकी छवि बेदाग और ईमानदार है.


मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के मंत्रिमंडल में वो उनके सहयोगी रहे हैं. दोनों डिप्टी सीएम हो या सरकार के अन्य मंत्री सभी से उनके अच्छे संबंध है और कहीं ना कहीं उनके प्रदेश अध्यक्ष बनने पर सभी शीर्ष पदों पर बैठे लोगों सहमति भी थी.


भूपेंद्र चौधरी के अध्यक्ष बनने के एक और बड़ी वजह यह है कि वो किसी खेमे से जुड़े नहीं माने जाते ये माना जाता है कि शुद्ध रूप से वो संगठन के ही व्यक्ति है.


2024 के लोकसभा चुनाव से पहले उत्तर प्रदेश में बीजेपी आलाकमान ये नहीं चाहते थे कि उत्तर प्रदेश में कोई दो पावर सेंटर बने इसीलिए उन्हें प्रदेश अध्यक्ष के लिए सबसे मुफीद अगर कोई लगा तो वो भूपेंद्र चौधरी लगे. क्योंकि कभी वो किसी विवाद में नहीं पड़े और चाहे संगठन हो या सरकार हर जगह उनकी स्वीकार्यता है.


वहीं भूपेंद्र चौधरी को कमान सौंपने के पीछे एक बड़ी वजह 2022 के विधानसभा चुनाव रहे, जहां पश्चिमी उत्तर प्रदेश में भूपेंद्र चौधरी की रणनीति का असर ये रहा कि जिस क्षेत्र में बीजेपी सबसे कमजोर मानी जा रही थी वहां 2022 में 126 विधानसभा सीटों में से 85 सीटों पर उसने जीत हासिल कर ली और शायद और उस क्षेत्र में भूपेंद्र चौधरी ने जो मेहनत की पार्टी ने उन्हें प्रदेश अध्यक्ष बनाकर उस मेहनत का ईनाम दिया है.


रेस में शामिल था इन लोगों का नाम


आपको बता दें कि प्रदेश अध्यक्ष बनने की रेस में भूपेंद्र चौधरी के अलावा पूर्व उपमुख्यमंत्री डॉक्टर दिनेश शर्मा, दूसरी बार के सांसद हरीश द्विवेदी, केंद्रीय राज्यमंत्री बीएल वर्मा,  सतीश गौतम, नोएडा के सांसद महेश शर्मा, एमएलसी विद्यासागर सोनकर का नाम भी लिस्ट में शामिल ता. लेकिन इन सब पर भारी पड़ा भूपेंद्र चौधरी का नाम. जिसके बाद भूपेंद्र चौधरी के सामने भी चुनौतियां कम नहीं हैं क्योंकि पहली बार बीजेपी ने उत्तर प्रदेश में 80 लोकसभा सीटें जीतने का लक्ष्य रखा है और ऐसे में जब संगठन महामंत्री नए हैं और प्रदेश अध्यक्ष भी नए हैं तो जाहिर है कि चुनौतियां और ज्यादा होंगी.


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