पीलीभीत: हौसलों से भरी उड़ान, यूपी ब्लाइंड टीम क्रिकेट का कप्तान बन बनाई अलग पहचान
कहते हैं कि हौसले तो आदमी बड़ी से बड़ी उड़ान भर सकता है. पीलीभीत के दिव्यांग कमल शर्मा की कहानी कुछ ऐसी ही है.
पीलीभीत, एबीपी गंगा। मंजिलें उन्हीं को मिलती हैं, जिनके सपनो में जान होती है. पंखों से कुछ नहीं होता हौसलों से उड़ान होती है. कहावत को आपने बखूबी सुना ही होगा. जी हां आज हम आपको ऐसे व्यक्तित्व की कहानी से रूबरू कराने जा रहे हैं, जिसकी जिंदगी में यूं तो हमेशा आखों तले हमेशा के लिए अंधेरा ही लिखा था लेकिन उसके हौसलों ने आज पूरे भारत में नाम कर दिया. आज कमल खेल जगत की दुनिया में स्वर्ण पदक के लिए जाने जाते हैं.
दरअसल, पीलीभीत के कमल शर्मा जन्म से दृष्टि बाधित (दिव्यांग) हैं. जो अपने माता पिता और दो भाइयों के साथ घर में हताश- परेशान सा रहता था. मां बाप को भी उसके भविष्य की चिंता सताती थी. फिर एक दिन कमल, जिला पुनर्वास केंद्र के संस्थापक सुखवीर भदौरिया के संम्पर्क में आया. उसके बाद से उसकी किस्मत बदल गई. आज वह यूपी ब्लाइंड टीम क्रिकेट के कप्तान हैं. यही नहीं अंतरराष्ट्रीय जूडो चैंपियनशिप जीत कर हुगली में भारत के लिए स्वर्ण पदक भी लाए हैं. लॉकडाउन में जरूरतमंद लोगों तक मदद पहुंचाने वाले कमल शर्मा को जिला प्रशासन ने कोरोना वारियर्स घोषित किया है.
कमल शर्मा ने बताया कि वह साल 2003 में जिला पुनर्वास केंद्र के संस्थापक सुखवीर भदौरिया के संपर्क में आया. भदौरिया ने उनके परिजनों से बातचीत करके लखनऊ में शिक्षा के लिए भेज दिया. इंटर तक शिक्षा लखनऊ में हुई. उसके बाद उसने 2013 में खेल जगत में सफर शुरू किया. जिसके बाद 2014 में हैदराबाद, 2016 में चंडीगढ़ और सन 2017 में महाराष्ट्र यूपी ब्लाइंड किक्रेट टीम में विजय हासिल की. कमल ने 2013 में हंगरी में हुए वर्ल्ड जूडो चैंपियनशिपशिप में भी जीत हासिल की.
सुखवीर सिंह भदौरिया ने बताया कि कमल ने अपनी प्रतिभा को निखार कर ग्रेजुएशन तक पढ़ने के बाद पोस्ट ग्रेजुएशन में एडमिशन लिया. कमल शर्मा ने खेल जगत में राज्य स्तर से लेकर अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अपने परिवार के साथ-साथ पीलीभीत और देश का गौरव बढ़ाया है. जिसको लेकर हम सभी को गर्व है. ऐसे ही संगीत के क्षेत्र में इस समय एक दिव्यांग करोड़ गांव का राज्य स्तर अपने पहचान बनाने में लगा है.
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