Gorakhpur News: कुछ कर गुजरने का जज्बा किसी भी मंजिल को पाने से नहीं रोक सकता है. माता-पिता की दी हुई हिम्मत और शिक्षकों की मेहनत रंग लाती है, तो गुदड़ी के लाल भी कमाल कर देते हैं. गोरखपुर के कस्बे में ठेला पर चाट-फुल्की बेचने वाले कन्हैया निषाद और मीरा निषाद के बेटे आकाश निषाद ने हाई स्कूल की परीक्षा में गोरखपुर में सर्वाधिक अंक 93.8% लाकर टॉप किया है. बचपन से मेधावी आकाश का सपना इंजीनियरिंग के बाद आईएएस बनकर गांव के एजुकेशन सिस्टम को सुधारना है.
माध्यमिक शिक्षा परिषद उत्तर प्रदेश के द्वारा घोषित हाई स्कूल के परीक्षा परिणाम में नगर पंचायत मुंडेरा बाजार के चौरा निवासी कन्हैया निषाद के सोलह वर्षीय बेटे आकाश निषाद ने 93.8 प्रतिशत अंक प्राप्त कर जिला टॉप किया है और क्षेत्र और परिवार का नाम रोशन किया है. चौरा गांव निवासी कन्हैया निषाद के चार बेटे और एक बेटी में सबसे छोटा आकाश चौरीचौरा के गंगा प्रसाद स्मारक इंटर कालेज का छात्र है.
परिवार में सबसे छोटा आकाश
उसके पिता कन्हैया, दो बड़े भाई विकास और सतीश चाट-फुल्की का ठेला लगाकर अपनी आजीविका चलाते हैं. परिवार में सबसे छोटा आकाश पढ़ने में काफी होनहार है. हाईस्कूल की परीक्षा के दौरान आकाश का दायां हाथ टूट गया था, लेकिन बुलंद हौसला रखने वाले आकाश ने बाएं हाथ से लिखकर परीक्षा दिया. ग्रामीण क्षेत्रों में खराब स्कूलों और एजुकेशन सिस्टम को देखकर अच्छा नहीं लगता है. वो आईएस अधिकारी बनकर ग्रामीण एजुकेशन सिस्टम में सुधार करना चाहता है.
आकाश ने बताया कि पढ़ाई में बेहतर प्रदर्शन को देखते हुए कालेज और कोचिंग के टीचरों ने उसका मार्ग दर्शन किया और आज वह इस मुकाम को हासिल कर सका. आकाश ने कहा कि उसका सपना आईएएस बनने का है. इस लक्ष्य को लेकर वह अपनी पढ़ाई कर रहा है. आकाश की इस उपलब्धि पर उसकी माता मीरा देवी, भाई रमेश, सतीश, विकास और बहन परी सहित उसके सभी अध्यापकों व साथियों ने बधाई दिया.
मीरा निषाद की खुशियों का ठिकाना नहीं
आकाश के पिता कन्हैया उसकी सफलता का श्रेय मेहनत और लगन को देते हैं. उन्होंने बताया कि कभी उन्होंने आकाश को पढ़ने से नहीं रोका. हमेशा उसका हौसला बढ़ाते रहें हैं. कन्हैया ने बताया कि आकाश बचपन से ही मेधावी रहा है. वो चार भाई-बहनों में सबसे छोटा है. कन्हैया ने बताया कि वो चौरीचौरा में चाट-फुल्की का ठेला लगाते हैं. उसी से उनका घर चलता है.
आकाश की मां मीरा निषाद की खुशियों का ठिकाना नहीं है. उनका सपना है कि उनका बेटा आकाश बड़ा होकर अधिकारी बने और समाज की सेवा करें. मीरा ने बताया कि कभी भी पढ़ाई के लिए उसे मना नहीं किया. वो शुरू से ही पढ़ने में तेज रहा है. उन्होंने बताया कि हर रोज वो 5 से 6 घंटे पढ़ाई करता रहा है. उसके शिक्षकों ने भी आकाश का बहुत मार्गदर्शन कर हौसला बढ़ाया है.
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