UP Board का कारनामा! हिंदी की किताब में लेखक की जगह धर्मगुरु की तस्वीर
दुनिया के सबसे बड़े एजुकेशनल बोर्ड कहे जाने वाले यूपी बोर्ड की आलोचना हो रही है. बड़ी गलती उजागर होने के बाद विशेषज्ञ नाराज हैं. तीन महीने से लाखों छात्र यूपी बोर्ड की लापरवाही का खामियाजा भुगत रहे हैं.
UP Board News: दुनिया का सबसे बड़ा एजुकेशनल बोर्ड कहे जाने वाले यूपी बोर्ड की बड़ी गलती सामने आई है. गलती लाखों बच्चों के भविष्य को खतरे में डाल सकती है. हैरत की बात है कि हिंदी माध्यम के बोर्ड ने गलती हिंदी विषय की किताब में ही की है. नौवीं क्लास की प्रकाशित हिंदी किताब में मशहूर लेखक श्रीराम शर्मा की जगह गायत्री परिवार के संस्थापक पंडित श्री राम शर्मा आचार्य की तस्वीर छपी हुई है. इतना ही नहीं लेखक श्रीराम शर्मा की जन्म तिथि और जन्मस्थान भी गलत दिया गया है. यूपी बोर्ड की बड़ी गलती सामने आने के बाद चौतरफा आलोचना हो रही है.
3 महीने से 9वीं क्लास की किताब में गलत जानकारी
खास बात है कि नौवीं क्लास के लाखों स्टूडेंट पिछले तीन महीने से गलत जानकारियों को पढ़ रहे हैं. बहरहाल यूपी बोर्ड अब बैकफुट पर है. बड़ी गलती पर यूपी बोर्ड के पास कोई जवाब नहीं है. जिम्मेदार लोग कैमरे पर बोलने से बच रहे हैं और पब्लिशर की गलती बताकर पल्ला झाड़ने की कोशिश में हैं. हालांकि गनीमत है कि बड़ी गलती सिर्फ एक पब्लिशर की किताब में ही है. बोर्ड एक किताब को कई पब्लिशरों से प्रकाशित कराता है.
यूपी बोर्ड ने मौजूदा सेशन के लिए नौवीं क्लास की हिंदी का सिलेबस तैयार कराया है. उसकी किताब छापने का काम तकरीबन आधा दर्जन प्रकाशकों को दिया. सबसे ज़्यादा किताबें अग्रवाल पब्लिशर्स ने छापी थीं. नौवीं क्लास में इस बार यूपी बोर्ड के करीब तीस लाख स्टूडेंट्स पढ़ाई कर रहे हैं. अग्रवाल पब्लिशर्स से छपी किताब में स्मृति नाम से पश्चिमी यूपी के नामचीन साहित्यकार श्रीराम शर्मा का भी एक लेख है.
यूपी बोर्ड की लापरवाही से खतरे में छात्रों का भविष्य
लेख से पहले श्रीराम शर्मा की जीवनी भी प्रकाशित की गई है. शर्मा की जीवनी पेज नंबर 55 से शुरू होती है. जीवनी तो फ़िरोज़ाबाद के रहने वाले लेखक श्रीराम शर्मा की है, लेकिन लापरवाही की वजह से तस्वीर गायत्री परिवार के संस्थापक पंडित श्रीराम शर्मा आचार्य की लगाई गई है.
लेखक श्रीराम शर्मा का जन्म स्थान मैनपुरी जिला लिखा गया है, जबकि ये जगह दो दशक पहले ही फ़िरोज़ाबाद ज़िले की शिकोहाबाद तहसील में शामिल हो चुकी है. किताब में लेखक पंडित श्रीराम शर्मा की जन्मतिथि 1892 लिखी हुई है, जबकि उनका जन्म 23 मार्च 1896 को हुआ था. यूपी बोर्ड की इस गलती से हिंदी के जानकार और शिक्षक दोनों ही नाराज़ हैं.
जानकारों ने बताया दोनों पंडित श्रीराम शर्मा का अपमान
उनका कहना है कि लेखन और आध्यात्म से जुड़े दोनों पंडित श्रीराम शर्मा का अपमान है और साथ ही यूपी बोर्ड के लाखों स्टूडेंट्स के भविष्य के साथ खिलवाड़ भी. हालांकि यूपी बोर्ड इस मामले में औपचारिक तौर पर कुछ भी बोलने से बच रहा है.
हिंदी विषय के प्रवक्ता दिनेश कुमार शुक्ल का कहना है कि यह एक ऐसी गलती है, जिस पर पर्दा डालने के बजाय जल्द से जल्द दूर किया जाना ज़रूरी है, क्योंकि लाखों स्टूडेंट्स के भविष्य का सवाल है. प्रयागराज में रानी रेवती देवी स्कूल के प्रिंसिपल बांके बिहारी पांडेय ने बताया कि इसमें गलती किसी की भी हो, लेकिन बच्चों को गलत जानकारी कतई नहीं दी जा सकती. इस गलती को फौरन सही किया जाना चाहिए, साथ ही लापरवाह लोगों पर कार्रवाई भी होनी चाहिए.
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