UP News: नए शैक्षिक सत्र के तीन महीने बाद भी सरकारी स्कूलों को नहीं मिली किताबें, मंत्री संदीप सिंह ने बताई ये वजह
बेसिक शिक्षा मंत्री संदीप सिंह ने कहा कि इस बार चुनाव के चलते आचार संहिता लगी हुई थी इसलिए टेंडर प्रक्रिया में देरी हुई. अब टेंडर प्रक्रिया हो चुकी है. कई जनपदों में किताबों की सप्लाई पहुंच चुकी है.
Basic Education Department New Academic Session: बेसिक शिक्षा विभाग का नया शैक्षिक सत्र शुरू हुए तीन महीने से अधिक का वक्त बीत चुका है. लेकिन अभी तक सरकारी प्राइमरी और अपर प्राइमरी स्कूलों में पढ़ने वाले छात्र छात्राओं को किताबें नहीं मिली हैं. प्रदेश के 1 लाख 30 हजार से अधिक परिषदीय स्कूलों में 1 करोड़ 80 लाख छात्रों के भविष्य से खिलवाड़ हो रहा है. एबीपी गंगा की टीम को प्रदेश के विभिन्न जिलों में स्कूलों की जमीनी हकीकत काफी परेशान करने वाले मिले हैं. ये हाल तब है जब सरकार खुले मन से किताबों के लिए 350 करोड़ से अधिक का बजट दे रही है. एबीपी गंगा ने बच्चों और शिक्षकों से बात करने के बाद जिम्मेदार अधिकारियों और शिक्षा मंत्री से भी सवाल किये.
1 करोड़ 80 लाख छात्रों के भविष्य से खिलवाड़
शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने बताया कि प्रदेश में 1 करोड़ 80 लाख से अधिक छात्र छात्राओं को 10 करोड़ से ज्यादा किताबें का आवंटन होना है. इसमें वर्कबुक की संख्या शामिल नहीं है. विभाग के एक अधिकारी ने कहा कि किताबों का टेंडर जारी होने के बाद 7 जून को चयनित फर्मों को वर्क आर्डर दिया गया है. इन फर्मों को 90 दिन में किताबों की सप्लाई पूरी करनी है. एबीपी गंगा की टीम ने जब आंकड़े निकाले तो सामने आया कि 11 जुलाई की शाम तक 10 करोड़ में सिर्फ 32 लाख के करीब किताबें सप्लाई हुई थीं. यानी तय 90 दिन के वक्त में करीब 35 दिन बीतने पर सिर्फ 32 लाख किताबों की सप्लाई.
75 जिलों में से सिर्फ 20 जिलों में किताबें मिली
बात जिलेवार करें तो 11 जुलाई तक प्रदेश के 75 जिलों में से सिर्फ 20 जिलों में ही किताबें पहुंची. यानी 55 जिलों में किताब की सप्लाई तक नहीं हुई. जिन 20 जिलों में किताबें पहुंची भी तो अधिकतर जगह 2-3 दिन के अंदर. ऐसे में किताबें अभी स्टोर में ही पड़ी हैं. 11 जुलाई की शाम तक इन 20 जिलों में पहुंची किताबें: बुलंदशहर, आगरा, मथुरा, फिरोजाबाद, अलीगढ़ ( बेसिक शिक्षामंत्री का जिला), हाथरस, प्रयागराज, प्रतापगढ़, फतेहपुर, वाराणसी (पीएम का संसदीय क्षेत्र), लखनऊ (राजधानी), रायबरेली, गोरखपुर (सीएम सिटी), देवरिया, कुशीनगर, आजमगढ़, सुल्तानपुर, बाराबंकी, बलरामपुर, बांदा.
राजधानी लखनऊ में भी 10 जुलाई की रात को किताबों की पहली खेप आई है. अब उसके आंकड़ों पर भी बात कर लेते हैं. लखनऊ के बीएसए विजय प्रताप सिंह ने बताया कि डीएम से अनुमोदन लेकर एक सत्यापन समिति का गठन पूर्व में ही करा लिया है. अब सत्यापन कराकर जल्द किताबें स्कूलों को पहुंचा दी जाएंगी. इसके अलावा ट्रांसपोर्टेशन के टेंडर की प्रक्रिया भी जारी है. चार-पांच दिन में प्रक्रिया पूरी कर लेंगे. कोशिश है कि अधिकतम 1 सप्ताह के अंदर प्राप्त किताबें स्कूलों में पहुंच जाएं. बीएसए ने बताया कि लखनऊ में लगभग 2 लाख, 85 हज़ार छात्र-छात्राओं को करीब 10 लाख किताबें पहुंचानी हैं.
सभी बच्चों के लिए किताबें उपलब्ध नहीं थी-BSA
परसों मिली पहली खेप में करीब एक लाख किताबें आ चुकी हैं. सूचना मिल रही है कि आगे भी ट्रक आ रहे हैं. जैसे-जैसे किताबें मिलती रहेंगी उन्हें भेजते रहेंगे. बीएसए ने माना कि सभी बच्चों के लिए पुरानी किताबें उपलब्ध नहीं थीं, हमारी अपेक्षा भी नहीं थी. लेकिन हर विषय की स्कूलों में उपलब्ध किताबें से छात्रों को पढ़ाया जा रहा है. प्राथमिक शिक्षक संघ के जिलाध्यक्ष सुधांशु मोहन का कहना है कि जिले में आने के बाद भी प्रक्रिया की जटिलता के कारण किताबों का 15 दिन से पहले स्कूलों तक पहुंचना मुश्किल है. उन्होंने कहा कि इस मुद्दे पर शिक्षा मंत्री तक जायेंगे क्योंकि किताबों के बिना बच्चों की पढ़ाई नहीं हो पा रही है.
मंत्री ने कहा चुनाव आचार संहिता के चलते हुई देरी
बेसिक शिक्षा मंत्री संदीप सिंह ने कहा कि इस बार चुनाव के चलते आचार संहिता लगी हुई थी इसलिए टेंडर प्रक्रिया में देरी हुई. अब टेंडर प्रक्रिया हो चुकी है. कई जनपदों में किताबों की सप्लाई पहुंच चुकी है. हमने जनपद के सभी अधिकारियों संग बैठक कर निर्देश दिए हैं कि किताबों की हो रही सप्लाई को स्टॉक ना किया जाए बल्कि स्कूलों तक पहुंचाया जाए. दो-तीन हफ्ते के अंदर हम बच्चों तक किताबों को पहुंचा देंगे. संदीप सिंह से जब टेंडर में देरी की वजह पूछी तो बताया कि टेंडर में टेक्निकल समेत कई चीजें होती हैं. उसमें कुछ फेरबदल करने पड़े थे. इसलिए देरी हो गई. सभी पब्लिकेशंस को निर्देशित किया है कि जल्द से जल्द काम पूरा करना है. उन्होंने दो-तीन सप्ताह में किताबों की सप्लाई पूरी करने का वादा किया है.
मंत्री संदीप सिंह ने कही ये बात
संदीप सिंह ने कहा कि आगे से खुद सुनिश्चित करेंगे कि सत्र शुरू होने से पहले बच्चों तक किताबें पहुंच जाए. उन्होंने कहा कि हर बच्चे तक हमारी सरकार किताब पहुंचाएगी. नामांकन अभी जारी है और निरंतर प्रक्रिया है. कोई ऐसा बच्चा नहीं बचेगा जिसके पास सरकार से मिलने वाली सुविधाएं ना हों. बच्चों के भविष्य से खिलवाड़ करने वालों पर कार्रवाई को लेकर संदीप सिंह ने कहा कि बिल्कुल जिम्मेदारी तय कर दी जानी चाहिए. इसके अलावा कोई भी व्यक्ति जिसकी वजह से कमी हो रही है तो देखेंगे. सीएम के भी निर्देश हैं कि सख्त से सख्त कार्रवाई होनी चाहिए. आगे से हम ध्यान रखेंगे कि समय से सारी कार्रवाई को पूरा किया जाए.
ये तो बात हुई आंकड़ों और जिम्मेदारों की. अब बात करते हैं ग्राउंड की. राजधानी लखनऊ में एबीपी गंगा की टीम जियामऊ अपर प्राइमरी स्कूल और कैबिनेटगंज प्राइमरी स्कूल पहुंची. ये दोनों स्कूल मुख्यमंत्री आवास के सबसे पास हैं. 1 किलोमीटर से भी कम दूरी है. नयी किताबें तो पहुंची नहीं, पुरानी किताबों का भी संकट दिखा. कहीं 4-5 बच्चों पर 1 पुरानी किताब तो कहीं पूरी क्लास में एक भी पुरानी किताब तक नहीं. टीचर्स से लेकर बच्चों तक ने समस्या बताई. हालात देखकर तस्वीर और साफ हो गयी कि कैसे पढ़ाई के नाम पर औपचारिकता और बच्चों के भविष्य से खिलवाड़ हो रहा है.
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