UP By-Election 2022: लोकसभा चुनाव से पहले एक बार फिर यूपी में उपचुनाव हो रहा है. इनमें मैनपुरी की लोकसभा सीट पर हो रहा उपचुनाव काफी अहम है. जहां समाजवादी पार्टी के लिए यह प्रतिष्ठा वाली सीट है तो वहीं बीजेपी 24 के पहले इस सीट पर जीत हासिल कर जनता के बीच एक संदेश देने की कोशिश में जुटी है. एक तरफ मैनपुरी सीट पर जहां पूरा समाजवादी परिवार प्रचार में जुटा है. वहीं बीजेपी ने सरकार के तमाम मंत्रियों की ड्यूटी मैनपुरी में लगाई है. 


रामपुर और खतौली में विधानसभा सीट पर उपचुनाव हो रहा है. जबकि मैनपुरी में लोकसभा सीट पर उपचुनाव के लिए पांच दिसंबर को वोट डाले जाएंगे. यह सीट मुलायम सिंह यादव के निधन के बाद खाली हुई है. इसलिए सपा की प्रतिष्ठा से जुड़ी सीट मानी जा रही है. सपा ने यहां डिंपल यादव को चुनाव मैदान में उतारा है तो समाजवादी कुनबा एक बार फिर साथ नजर आ रहा है. एक तरफ समाजवादी परिवार प्रचार में जुटा है. प्रचार की कमान खुद अखिलेश यादव ने संभाली है.


ये दिग्गज मैनपुरी में डालेंगे डेरा
प्रोफेसर रामगोपाल यादव, धर्मेंद्र यादव, तेज प्रताप यादव, अंशुल यादव और अब शिवपाल यादव के साथ आदित्य यादव समेत पूरा परिवार यहां जोरदार प्रचार में जुटा है. वहीं बीजेपी ने भी मैनपुरी चुनाव के लिए अपनी खास रणनीति तैयार की है. यह रणनीति कुछ ऐसी है कि परिवार को टक्कर देने के लिए पूरी सरकार जल्दी मैनपुरी में नजर आने वाली है. खुद मुख्यमंत्री इस सीट पर जाकर प्रचार करेंगे. दोनों उपमुख्यमंत्री भी यहां प्रचार में जुटेगे. जबकि प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी और महामंत्री संगठन धर्मपाल सैनी 20 नवंबर के बाद मैनपुरी में ही डेरा डालेंगे.


उसमें मैनपुरी में केंद्रीय मंत्री एसपी सिंह बघेल, बीएल वर्मा, योगी सरकार की मंत्री बेबी रानी मौर्या, योगेंद्र उपाध्याय जयवीर सिंह, असीम अरुण, राकेश सचान, सांसद रामशंकर कठेरिया सुब्रत पाठक और राजवीर सिंह को यहां मैदान में उतरा है. जबकि रामपुर में बीजेपी ने वित्त मंत्री सुरेश खन्ना और पीडब्ल्यूडी मंत्री जितिन प्रसाद के साथ-साथ रामपुर से ही आने वाले राज्य मंत्री बलदेव सिंह औलख को जिम्मेदारी सौंपी है. 


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खतौली में इनकी लगेगी ड्यूटी
वहीं खतौली सीट पर होने वाले उपचुनाव के लिए पश्चिम से आने वाले सरकार में जो मंत्री हैं उनकी ड्यूटी लगाई गई है, इसमें राज्य मंत्री जसवंत सैनी सोमेंद्र तोमर और बृजेश सिंह का नाम शामिल है. वहीं राजनीतिक विश्लेषक भी साफ तौर पर कह रहे हैं कि जब इस तरह के उपचुनाव में सरकार के मंत्री मैदान में उतर जाते हैं तो इसका कहीं ना कहीं असर वोटर पर भी पड़ता है. यह भी चुनाव की रणनीति का एक हिस्सा है, जिससे कि दूसरे दल के खिलाफ प्रेशर का माहौल बन जाता है.


बीजेपी इस उपचुनाव में तीनों सीटें जीतने का बार-बार दावा कर रही है. लेकिन सपा खासतौर से मैनपुरी और रामपुर सीट पर पूरी ताकत के साथ जुट गई है क्योंकि यह दोनों ही सीटें उसके पास ही थी. वहीं खतौली में आरएलडी ने अपना उम्मीदवार उतारा है. जिस तरह से बीजेपी ने वहां मंत्रियों सांसदों की फौज उतार दी है, उस पर बीजेपी के नेता कह रहे हैं कि वह बीजेपी के कार्यकर्ता हैं.


इसी साल मार्च में हुए विधानसभा चुनाव के बाद यूपी में अब तक तीन उपचुनाव हो चुके हैं और तीनों सीटों पर बीजेपी ने जीत हासिल की. इसमें सपा का गढ़ माने जाने वाले आजमगढ़ और रामपुर के उपचुनाव भी शामिल है. बीजेपी इसी को आधार बनाकर अब जो उपचुनाव हो रहे हैं, उसमें भी अपनी जीत का दावा कर रही है. लेकिन मैनपुरी सीट पर चुनाव मुलायम सिंह यादव के निधन के बाद हो रहा है. ऐसे में यह महत्वपूर्ण हो जाता है कि वहां के लोगों के सिंपैथी नेताजी के साथ जरूर होगी, लेकिन लोकतंत्र में जनता ही जनार्दन है और पांच दिसंबर को वह ईवीएम में कौन-सा बटन दबाएंगी यह काफी महत्वपूर्ण होगा.