UP Bypolls 20204: साल 2022 के विधानसभा चुनाव से ही समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव पीडीए का नारा दे रहे हैं पर 2022 और 2024 में प्रत्याशियों के चयन में पीडीए के साथ ही अन्य जातियों को भी प्रतिनिधित्व देने का काम अखिलेश यादव ने किया था. अब अखिलेश यादव आगामी दिनों में होने वाले उपचुनाव में सिर्फ पीडीए के सहारे ही अपनी नैया पार लगाना चाहते हैं.


उत्तर प्रदेश में जिन सीटों पर उपचुनाव हो रहे हैं उनमें अखिलेश यादव ने अपने पीडीए के फार्मूले के तहत ही प्रत्याशी उतारे हैं. इस उपचुनाव में अखिलेश यादव अब अपर कास्ट से पूरी तरीके से किनारा करते हुए दिखाई दिए हैं और सामान्य सीटों पर भी पार्टी ने सामान्य वर्ग को मौका नहीं दिया है.


सपा मुखिया अखिलेश यादव जिन तीन पिछड़ों को प्रत्याशी बनाया है उसमें करहल से अपने परिवार के तेज प्रताप यादव, कटेहरी से शोभावती वर्मा और मँझवा से डॉक्टर ज्योति बिंद को प्रत्याशी बनाया है. इसके साथ ही अखिलेश यादव ने दलित वंचित समाज से आने वाले खैर सीट से डॉक्टर चारू कैन को और गाजियाबाद सीट से सिंह राज जाटव को प्रत्याशी बनाया है.


चार मुस्लिम प्रत्याशियों को टिकट


वहीं अगर अल्पसंख्यक समुदाय का जिक्र करें तो अखिलेश यादव ने चार मुस्लिम प्रत्याशियों को इस उप चुनाव में उतारा है जिसमें सीसामऊ से इरफान सोलंकी की पत्नी नसीम सोलंकी, फूलपुर से मोहम्मद मुज्जतबा सिद्दीकी, मीरापुर से सुम्बुल राणा और कुंदरकी से मोहम्मद रिजवान को प्रत्याशी बनाया है.


वरिष्ठ पत्रकार ज्ञानेंद्र शुक्ला कहते हैं कि समाजवादी पार्टी अपने पीडीए नारे पर चलते हुए इस बार टिकट दी है और उसको ऐसा लगता है कि सवर्ण जाति के लोग अमूमन उसको वोट नहीं करते हैं और अगर थोड़े बहुत वोटों की गुंजाइश है तो वह कांग्रेस के हिस्से से उसके पास आ सकते हैं. वहीं भाजपा और बसपा दोनों ने बैलेंस करते हुए सवर्ण समाज को टिकट दिया है.


करहल से लेकर कटेहरी तक परिवार


उन्होंने कहा कि इस टिकट बंटवारे में सपा ने भले ही सवर्णो को प्रत्याशी न बनाया हो पर विपक्ष को एक बार फिर परिवारवाद का आरोप लगाने का मौका दे दिया और करहल से लेकर कटेहरी तक परिवार के सदस्यों को चुनाव लड़ाया है.


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