UP ByPolls में बीजेपी के इस कदम ने बढ़ाई सपा की मुश्किल! खैर सीट पर बदले समीकरण का किसको होगा फायदा?
UP By Election 2024: भारतीय जनता पार्टी ने अलीगढ़ की खैर सीट से पूर्व सांसद स्वर्गीय राजवीर दिलेर के पुत्र सुरेंद्र दिलेर को प्रत्याशी बनाया है. सुरेंद्र दिलेर के प्रत्याशी बनने पर कार्यकर्ताओं ने जश्न मनाया.
Khair By Election 2024: अलीगढ़ की खैर विधानसभा में होने वाले उप चुनाव को लेकर एबीपी लाइव की खबर पर मुहर लग चुकी है. एबीपी लाइव पहले ही भारतीय जनता पार्टी के स्वर्गीय पूर्व सांसद राजवीर दिलेर के पुत्र सुरेंद्र दिलेर को टिकट मिलने की संभावना जताई थी. वहीं दूसरी तरफ मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपना वादा भी पूरा कर दिया है. योगी आदित्यनाथ ने 2024 के लोकसभा चुनाव में दिलेर परिवार को टिकट न मिलने पर परिवार को कुछ अच्छा करने का भरोसा जताया था. आज वह वादा भी पूरा कर दिया है. सुरेंद्र दिलेर को प्रत्याशी घोषित किए जाने के बाद समर्थकों ने जश्न मनाया.
भारतीय जनता पार्टी के विधायक के प्रत्याशी घोषित करने के बाद ही सियासी गलियारों में हलचल पैदा हो गई है. सुरेंद्र दिलेर को भारतीय जनता पार्टी ने प्रत्याशी बनाया है कहीं ना कहीं पिता की सल्तनत का उन्हें चुनाव में खास फायदा मिल सकता है. विधानसभा खैर के विधायक अनूप प्रधान को भारतीय जनता पार्टी ने 2024 के लोकसभा चुनाव में टिकट देकर हाथरस के सांसद का ताज दिया था जिसके बाद विधानसभा खैर सीट खाली हो गई थी.
क्या है खैर विधानसभा का इतिहास
विधानसभा खैर की अगर बात की जाए तो आजादी के बाद 1957 में अस्तित्व में आई टप्पल और अब खैर विधानसभा सीट पर जाट बहुल होने के कारण चौधरियों का कब्जा रहा है. इसी वजह से इसे जिले का दूसरा जाटलैंड भी कहा जाता है. लेकिन बसपा के सोशल और इंजीनियरिंग फार्मूले ने चौधराहट की राजनीति पर ब्रेक लगाया और 2002 में बसपा के टिकट पर चुनाव लड़े ब्राह्मण नेता प्रमोद गौड़ ने जीत दर्ज की. हालांकि, 2007 में रालोद के चौ. सत्यपाल सिंह के सामने वे चुनाव हार गए. अनुसूचित जाति के लिए सीट आरक्षित होने के बाद से दो बार से अनुसूचित जाति के विधायक जीतकर विधानसभा पहुंच चुके हैं. स्वतंत्रता संग्राम सेनानी मोहनलाल गौतम यहां से विधायक थे.
1957 में इसे अलग टप्पल सीट का दर्जा मिला और टप्पल क्षेत्र के गांव मालव के रहने वाले कांग्रेस नेता के चौ. देवदत्त सिंह विधयक बने. अगले चुनाव में उन्हें क्षेत्र के गांव खेड़ा किशनगढ़ के दूसरे जाट नेता चौ. महेंद्र सिंह ने निर्दल चुनाव लड़कर हरा दिया. इसके बाद इस सीट पर चौ. महेंद्र सिंह व स्यारौल के जाट नेता चौ. प्यारेलाल में वर्चस्व की जंग होती रही. 1967 में प्यारेलाल कांग्रेस से, 1969 में महेंद्र सिंह बीकेडी से, फिर 1974 में प्यारेलाल कांग्रेस से और अगली बार जेएनपी से चुनाव जीते. प्यारेलाल के पार्टी छोड़ जाने के कारण 1980 में कांग्रेस ने शिवराज सिंह को टिकट दिया और वे चुनाव जीते.
सन 1985 में चौ.चरण सिंह ने इलाके के उभरते नेता जगवीर सिंह को लोकदल से चुनाव लड़ाया और उन्होंने जीत दर्ज की. दूसरी बार वह जनता दल से चुनाव जीते. इसके बाद बीजेपी से महेंद्र सिंह ने 1991 में पहली बार जीत दर्ज की. मगर 1993 में जगवीर सिंह ने जनता दल से सीट कब्जाई. 1996 में बीजेपी ने चौ.चरण सिंह की बेटी ज्ञानवती को चुनाव लड़ाया और वे जीतीं. इसके बाद बसपा से प्रमोद गौड़, फिर रालोद से सत्यपाल सिंह, उसके बाद भगवती प्रसाद सूर्यवंशी और अब अनूप प्रधान बीजेपी से विधायक हैं.
क्यों हो रहा है उपचुनाव?
मौजूदा स्थिति की अगर बात कही जाए तो 2017 के चुनाव में भाजपा के अनूप प्रधान ने खैर सीट पर जीत दर्ज की और वह उत्तर प्रदेश सरकार में राजस्व मंत्री भी बने. हालांकि, अब अनूप प्रधान लोकसभा में हाथरस से सांसद चुने जा चुके हैं, जिससे विधानसभा खैर में उपचुनाव होने जा रहे है. इस प्रकार खैर विधानसभा सीट का इतिहास विभिन्न राजनीतिक दलों और जातिगत समीकरणों के इर्द-गिर्द घूमता रहा है, जहां जाट वोटर हमेशा से एक निर्णायक भूमिका निभाते रहे हैं.लेकिन मौजूदा समय में भारतीय जनता पार्टी के द्वारा पूर्व सांसद के पुत्र को प्रत्याशी बनाए जाने के बाद समर्थकों में जश्न का माहौल नजर आ रहा है.
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