UP Politics: बहुजन समाज पार्टी की मुखिया मायावती ने इस बार उत्तर प्रदेश की दस सीटों पर होने वाले उपचुनाव लड़ने का ऐलान किया है. यही नहीं बसपा मुखिया इन दिनों चुनाव में जबरदस्त तरीके से एक्टिव नजर आ रही है. मंगलवार को बसपा कार्यकारिणी की बैठक में आगामी चुनाव को लेकर रणनीति तैयार की गई. पार्टी का मानना है कि अगर इन चुनावों को मजबूती से लड़ा जाता है तो बसपा का खोया जनाधार वापस आ सकता है और ये चुनाव पार्टी के संजीवनी साबित हो सकते हैं. 


बहुजन समाज पार्टी यूपी की बड़े क्षेत्रीय दलों में आती है. यूपी जैसे बड़े राज्य में चार बार सत्ता में रह चुकी है.  लेकिन, आज पार्टी की हालत इतनी खस्ता हो चुकी है कि 403 सीटों वाली यूपी विधानसभा में बसपा का सिर्फ एक विधायक है और लोकसभा चुनाव में बसपा का खाता तक नहीं खुला. पिछले कुछ सालों में बसपा को वोट बैंक भी खिसकता दिखाई दे रही है. बीजेपी से लेकर सपा-कांग्रेस ने दलित वोटरों में सेंध लगाई है. 


पुराने जमीन समेटने में लगी मायावती
एक समय था जब बसपा के पास 30 फीसद तक वोटबैंक था जो अब घटकर 13 फीसद रह गया है. मायावती को एहसास हो गया है कि 2012 से सत्ता से बाहर रहने की वजह से पार्टी का कैडर कमजोर हो गया है और बड़ी संख्या में बसपा का वोट बैंक सपा-कांग्रेस के साथ चला गया. इसलिए बसपा मान्यवर कांशीराम के उसी फॉर्मूले पर चल रही है कि जितना चुनाव लड़ा जाएगा उतना ही कैडर मजबूत होगा. इसलिए मायावती अब एक्टिव दिख रही हैं. 


मायावती अपने समर्थकों में ये संदेश देना चाहती है कि भले ही बसपा आज कमजोर हो गई हो लेकिन उन्होंने मैदान नहीं छोड़ा है. वो आज भी अपने समाज के मुद्दों को लेकर संघर्ष कर रही हैं. उन्हें उम्मीद है कि बसपा के एक्टिव होने से उनके वोटर फिर से उनके पाले में आ जाएंगे. यही वजह है कि मायावती ने एक बार फिर से आकाश आनंद को फ्रंट पर खड़ा कर दिया है. लोकसभा चुनाव में उनकी लोकप्रियता को देखते हुए उन्हें आगामी चुनाव की भी ज़िम्मेदारी दी गई है. 


लोकसभा चुनाव में इंडिया गठबंधन ने जिस तरह से संविधान और आरक्षण के मुद्दे को उठाया उससे बसपा को सबसे ज्यादा नुकसान हुआ. बसपा का बड़ा वोट बैंक इस चुनाव में सपा-कांग्रेस के साथ खड़ा हो गया. मायावती अब एससी एसटी रिजर्वेशन को लेकर सुप्रीम कोर्ट के आए फैसले पर सपा-कांग्रेस की चुप्पी को लेकर घेर रही है तो वहीं जातीय जनगणना को लेकर भी अपने वोटरों को जागरूक कर रही है कि किस तरह से कांग्रेस ने केंद्र में रहते हुए जातीय जनगणना नहीं कराई. 


नगीना सांसद चंद्रशेखर आजाद का बड़ा ऐलान, मायावती की मुश्किलें बढ़ना तय!