UP में ढाई साल के बीच हुए 7 सीटों पर ByPolls, RLD ने BJP को दी थी मात, सपा को भी हुआ था फायदा
UP में 10 सीटों पर उपचुनाव होने हैं. साल 2022 में यूपी के विधानसभा चुनाव के बाद अभी तक यूपी में कुल 7 सीटों पर By Polls हो चुके हैं. इसमें किसको कितना फायदा हुआ यहां जानें-
UP ByPolls 2024: उत्तर प्रदेश में 10 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होने हैं. 403 सदस्यों वाली विधानसभा में फिलहाल 393 सदस्य हैं जिसमें से 48 महिलाएं हैं. इस साल जिन 10 सीटों पर चुनाव प्रस्तावित हैं उसमें मैनपुरी जिले की करहल, अयोध्या की मिल्कीपुर, कानपुर की सीसामऊ, मुरादाबाद के कुंदरकी, गाजियाबाद,प्रयागराज के फूलपुर, मीरजापुर के मझवां, अंबेडकरनगर के कटेहरी, अलीगढ़ के खैर और मुजफ्फरनगर के मीरापुर शामिल है. आइए जानते हैं कि कौन सी पार्टी के कितने विधायक अभी सदन में हैं और प्रस्तावित उपचुनाव में किसकी हार जीत से किस पर क्या असर पड़ेगा.
यूपी की विधानसभा में कुल 9 राजनीतिक दलों- भारतीय जनता पार्टी, समाजवादी पार्टी, अपना दल सोनेलाल, राष्ट्रीय लोकदल, निर्बल इण्डियन शोषित हमारा अपना दल (निषाद पार्टी), सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा), भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस, जनसत्ता दल लोकतांत्रिक (कुंडा विधायक रघुराज प्रताप सिंह की पार्टी) और बहुजन समाज पार्टी के विधायक हैं. विधानसभा की वेबसाइट पर 1 अक्टूबर 2024 तक उपलब्ध जानकारी के अनुसार इनमें से भारतीय जनता पार्टी की 29, समाजवादी पार्टी से 14, अपना दल सोने लाल से चार और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस से 1 महिला विधायक हैं.
उत्तर प्रदेश विधानसभा में फिलहाल बीजेपी से 251, सपा से 105, अपना दल सोनेलाल से 13, रालोद से 8 निषाद पार्टी से 5, सुभासपा से 6, कांग्रेस से 2, जनसत्ता दल लोकतांत्रिक से 2 और बसपा से 1 सदस्य हैं.
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साल 2022 मार्च में संपन्न हुए यूपी चुनाव में अपना दल को 12, बसपा को 1, बीजेपी को 255, कांग्रेस को 2, जनसत्ता दल लोकतांत्रिक को 2, निषाद पार्टी को 6, रालोद को 8, सपा को 111 और सुभासपा को 6 सीटों पर जीत मिली थी. 2022 के चुनाव में बीजेपी को 41.29%, बसपा को 12.88%, कांग्रेस को 2.3%, सपा को 32.6 %, रालोद को 2.85 % वोट मिले थे.
अब बात करें साल 2022 से लेकर अभी तक के उपचुनाव की तो कुछ पार्टियों की सीटों में इजाफा हुआ तो कहीं नुकसान.
सन् 2022 में तीन सीटें हुईं खाली
सबसे पहले बात करते हैं खतौली विधानसभा सीट की. साल 2022 के चुनाव में यहां से भारतीय जनता पार्टी के विक्रम सैनी ने जीत दर्ज की. हालांकि 2013 के मुजफ्फरनगर दंगों के मामले में दो वर्ष के लिए दोषी ठहराए जाने के बाद विक्रम सैनी अयोग्य घोषित हो गए. फिर जब इस सीट पर उपचुनाव हुए तो रालोद के मदन भैया ने बीजेपी की राजकुमारी सैनी को मात दी थी.
इसी दौरान रामपुर में उपचुनाव हुए. यहां आजम खान के बेटे अबदुल्ला आजम के जेल जाने के बाद सीट खाली हो गई. फिर इस सीट पर जब चुनाव हुए तो बीजेपी के आकाश सक्सेना ने सपा के आसिम रजा को 33 हजार मतों से हराया था.
इसी वर्ष गोला गोकर्णनाथ विधानसभा सीट पर उपचुनाव हुए. अरविंद गिरी के निधन के बाद यह सीट खाली हुई. बीजेपी ने उनके बेटे अमन गिरी को प्रत्याशी बनाया और उन्होंने जीत दर्ज की.
साल 2023 में एक सीट ने बीजेपी को दिया झटका!
साल 2022 के बाद वर्ष 2023 में भी एक अहम उपचुनाव हुए. समाजवादी पार्टी के विधायक दारा सिंह चौहान के इस्तीफे के बाद खाली हुई घोसी विधानसभा सीट पर उपचुनाव में बीजेपी को हार का सामना करना पड़ा. सपा के सुधाकर सिंह ने बीजेपी के दारा सिंह चौहान को हरा दिया.
वर्ष 2024 में तीन सीटों पर हुआ उपचुनाव
साल 2024 में यूपी की तीन सीटों पर उपचुनाव हआ. इस में लखनऊ पूर्व, गैणसारी और दुद्धी सीट शामिल है. लखनऊ पूर्व सीट विधायक रहे आशुतोष गोपाल टंडन जी के निधन से खाली हुई. वहीं गैणसारी सीट विधायक डॉ. शिव प्रताप यादव के निधन और दुद्धी विधानसभा सीट श्रीराम दुलार के अयोग्य घोषित होने से रिक्त घोषित की गई.
लखनऊ पूर्व सीट पर बीजेपी के ओपी श्रीवास्तव ने कांग्रेस के मुकेश सिंह चौहान को हराया. बीजेपी के पास यह सीट बरकरार रही. दुद्धी में सपा के विजय सिंह ने बीजेपी के श्रवण कुमार को हराया और सपा की झोली में एक और सीट आई. गैणसारी सीट पर बीजेपी के शैलेष कुमार सिंह सपा के राकेश कुमार यादव से हार गए. यह सीट भी सपा के पास ही रही.
10 सीटों के उपचुनाव से होगा क्या असर?
अब बात करते हैं 10 सीटों पर प्रस्तावित उपचुनाव की. सपा और बीजेपी दोनों का दावा है कि वह सभी 10 सीटें जीत लेंगी. इस साल लोकसभा चुनाव के बाद 9 सीटें खाली हुईं थीं. सीसामऊ विधानसभा सीट पर सपा विधायक इरफान सोलंकी के अयोग्य घोषित होने के बाद यह सीट खाली है.
इस चुनाव में सपा और बीजेपी के सामने बसपा और आजाद समाज पार्टी (कांशीराम) भी एक चुनौती हैं. ऐसे में कुछ सीटों पर लड़ाई त्रिकोणीय भी हो सकती है. बसपा और आसपा (कांशीराम) सपा और बीजेपी के लिए मुश्किलें बढ़ा सकते हैं. इन दोनों के अलावा बीजेपी और सपा के लिए अपने सहयोगी भी चुनौती है. बीजेपी के सहयोगी- निषाद पार्टी, रालोद, सुभासपा सीटें मांग रहे हैं. वहीं कांग्रेस और सपा के बीच अभी तक सीटों का बंटवारा नहीं हो पाया है. दोनों ने ही सभी 10 सीटों पर पर्यवेक्षक प्रभारी नियुक्त कर दिए हैं.
सपा ने करीब 7 सीटों पर संभावित उम्मीदवारों को संकेत भी दे दिए हैं. वहीं बसपा ने कुछ सीटों पर प्रभारी नियुक्त कर दिए हैं. इन्हीं प्रभारियों के चुनाव में प्रत्याशी बनने के आसार हैं. आसपा (कांशीराम) ने भी चार सीटों पर प्रत्याशी/ प्रभारियों का ऐलान कर दिया है. उसकी बात AIMIM से भी चल रही है.