UP By Election 2024: 4 जून के बाद से उत्तर प्रदेश की राजनीति ने गजब करवट ली है. 80 में 80 का नारा देकर चुनाव में उतरी भारतीय जनता पार्टी को समाजवादी पार्टी और कांग्रेस के अलायंस ने ऐसा झटका दिया कि लखनऊ से दिल्ली तक चिंतन,मंथन और समन का सिलसिला शुरु हो गया. रिपोर्ट बीजेपी की टॉप लीडरशिप तक पहुंच चुकी है. मौजूदा कमियां दूर हो पातीं उससे पहले एक और अग्निपरीक्षा ने दस्तक दी है. इस अग्निपरीक्षा का नाम है 10 का दम. अखिलेश यादव और योगी आदित्यनाथ के लिए 10 का दम का चैम्पियन बनने बेहद जरूरी है.

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दरअसल यूपी की 10 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होना है. इससे पहले यह सवाल उठ रहे हैं कि क्या लोकसभा चुनाव में जो हुआ वही रूझान उप चुनाव में भी दिखाई देंगे? या फिर यूपी की जनता विधानसभा में कुछ और सोच रही है!  ये सवाल इसलिए क्योंकि अखिलेश बनाम योगी बन चुकी यूपी की पॉलिटिक्स में अब दस का दम का दौर आ गया है.


देश के सबसे बड़े सूबे में  उपचुनाव की उल्टी गिनती शुरु हो गई है.10 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होने हैं क्योंकि 4 जून के नतीजों ने 9 विधायकों को सांसद बना दिया और एक सीट पर सपा विधायक 7 साल की सजा होने से विधायकी खतरे में पड़ गई.


हालांकि इन उपचुनावों में बीजेपी की राह आसान नहीं हैं. सपा विधायक रहे दारा सिंह चौहान ने पार्टी छोड़ी. इसके बाद उपचुनाव हुआ बीजेपी उस सीट से चुनाव हार गई. जिसके बाद बड़े स्तर पर बीजेपी की किरकरी हुई. ऐसे में यह कहना मुश्किल है कि जिन सीटों पर साल 2022 में बीजेपी जीती थी, इस चुनाव में भी वह जीत पाएगी या नहीं. अपना यही पुराना इतिहास उसे परेशान भी कर रहा है. 


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सबसे पहले उन 10 सीटों के बारे में जान लीजिए जहां उपचुनाव होने वाले हैं. 


करहल, मिल्कीपुर, सीसामऊ, कुंदरकी, गाजियाबाद, फूलपुर, मझवां, कटेहरी, खैर और मीरापुर ये यूपी की वो 10 असेंबली सीटें हैं जहां एनडीए औऱ इंडिया गठबंधन के बीच कांटे का मुकाबला देखने को मिल सकता है.


इस वक्त 4 जून को भूल कर एनडीए और इंडिया गठबंधन दोनों ही 10 सीटों पर चुनाव लड़ने की रणनीति बना रहे हैं. अखिलेश के लिए ये साबित करने का मौका है कि हवा बदल चुकी है तो वहीं सीएम योगी के लिए चुनौती है ये साबित करने की कि यूपी को योगी मॉडल पसंद है. 


अब हर 10 सीट का अतीत,आंकड़ा और भूगोल जान लीजिए.


सबसे पहले मैनपुरी की करहल सीट के बारे में बताते हैं यहां से अखिलेश यादव विधायक थे कन्नौज से सांसद बनने के बाद ये सीट खाली हो गई. 


गाजियाबाद विधानसभा सीट भी खाली हुई है क्योंकि यहां से BJP विधायक अतुल गर्ग अब गाजियाबाद के सांसद बन गए हैं. 


मीरापुर विधानसभा से RLD के चंदन चौहान विधायक थे, जो इस बार बिजनौर से सांसद चुने गए हैं.


अयोध्या जिले की मिल्कीपुर असेंबली सीट से एसपी विधायक अवधेश प्रसाद ने तो कमाल ही कर दिया अयोध्या की सीट बीजेपी से छीन ली. 


फूलपुर विधानसभा सीट इसलिए खाली हुई क्योंकि यहां से बीजेपी के प्रवीण पटेल विधायक से सांसद बन गए. 


मिर्जापुर की मझवा सीट पर बीजेपी के सहयोगी निषाद पार्टी के विधायक थे अब यही विनोद बिंद बीजेपी के टिकट पर भदोही के सांसद बन गए. 


अलीगढ़ की खैर विधानसभा सीट से बीजेपी विधायक अनूप प्रधान अब हाथरस से सांसद बन गए इसलिए खैर की सीट खाली हो गई. 


संभल की कुंदरकी विधानसभा से विधायक जियाउर्रहमान बर्क अह संभल से सांसद बन गए और अब इस सीट पर चुनाव होगा. 


कांग्रेस को मिला बूस्टर डोज, क्या होगा निषाद पार्टी और सुभासपा के साथ?
कांग्रेस को भी लोकसभा चुनाव ने बूस्टर दिया है इसलिए मुमकिन है कांग्रेस इन 10 सीटों में से किसी पर दावा ठोंक दे.या इंडिया गठबंधन से किसी कांग्रेस कैंडिडेट को टिकट मिले. इसी तरह बीजेपी की सहयोगी RLD और निषाद पार्टी को भी इन 10 सीटों में से कम से कम 2 टिकट पाने की उम्मीद है.