UP By Polls: उत्तर प्रदेश में विधानसभा की 10 सीटों पर उपचुनाव के लिए रणनीति तैयार करने की प्रक्रिया अब धार पकड़ रही है. कांग्रेस और समाजवादी पार्टी में जहां सीट शेयरिंग पर बातचीत जारी है वहीं बहुजन समाज पार्टी ने सभी 10 सीटों पर लड़ने का ऐलान कर दिया है. लोकसभा चुनाव 2024 के परिणामों से उबरने की कोशिश में भारतीय जनता पार्टी ने भी 3-3 मंत्रियों को हर सीट का जिम्मा देकर स्पेशल 30 की टीम बनाई है. इसमें 2 सीटें बहुत ही खास हैं. अयोध्या स्थित मिल्कीपुर विधानसभा सीट और अंबेडकरनगर की कटेहरी सीट. इन दोनों सीटों का जिम्मा खुद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने ली है.


मिल्कीपुर विधानसभा सीट पर साल 2022 में समाजवादी पार्टी के अवधेश प्रसाद ने जीत दर्ज की थी. साल 2024 के चुनाव में अवधेश ने, फैजाबाद लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र से चुनाव लड़ा और बीजेपी के लल्लू सिंह को मात दी. तब यह सीट खाली हो गई. वहीं अंबेडकरनगर की कटेहरी सीट पर 2022 चुनाव में सपा के लालजी वर्मा ने जीत हासिल की थी. अब वह अंबेडकरनगर सीट से सपा के सांसद हैं.


बांग्लादेश में हिंदुओं पर अत्याचार के मुद्दे पर पहली बार बोले अखिलेश यादव, जानें- क्या कहा?


इन दोनों सीटों पर चुनाव और उसके प्रबंधन का जिम्मा सीएम योगी के खुद संभालने के पीछे दो अहम वजह बताई जा रही है.  सबसे पहली वजह तो यह है कि लोकसभा चुनाव में हार के बाद सीएम योगी, बीजेपी के हिन्दुत्व के एजेंडे को धार देने में लगे हुए हैं. वह विपक्ष द्वारा जातीय अस्मिता के एजेंडे को ध्वस्त करते हुए यह संदेश देना चाहते हैं कि अभी भी बीजेपी और उसका मतदाता अपनी विचाराधार के साथ है.


इसके अलावा फैजाबाद सीट पर मिली हार के बाद से ही बीजेपी की कोशिश है कि वह दलित और पिछड़ों को एकजुट कर सके. मुख्यमंत्री ने बीते दिनों मिल्कीपुर में जो संदेश दिया उसके यह मायने निकाले जा रहे हैं कि बीजेपी, विपक्ष को उसकी ही पिच पर मात देने की जुगत में है.


अखिलेश के लिए यह है चुनौती
यह दोनों सीटें सपा के लिए भी प्रतिष्ठा का प्रश्न है. लोकसभा चुनाव में फैजाबाद जीतने के बाद अखिलेश और समूचा विपक्ष अवधेश प्रसाद को साथ लिए घूम रहा है. वहींसाल 1969 में कटेहरी सीट के अस्तित्व में आने के बाद से बीजेपी सिर्फ 1 बार जीत पाई है. अगर बीजेपी उपचुनाव में जीता हासिल करने में सफल हो जाएगी तो सपा के साथ न सिर्फ सीट जाएगी बल्कि अखिलेश जिस पीडीए को आगामी विधानसभा चुनाव में अभी आजमाने की जुगत में हैं, वह भी अधर में पड़ सकता है.