UP Bypolls: लोकसभा के चुनाव वैसे तो 2024 में होने हैं लेकिन उससे पहले ही प्रदेश में सियासी पारा चढ़ा हुआ है क्योंकि आजमगढ़ रामपुर में लोकसभा के उपचुनाव हो रहे हैं. यह दोनों इसी के समाजवादी पार्टी के सांसदों के इस्तीफा देने के बाद खाली हुई है. लेकिन बीजेपी की कोशिश है कि इस बार दोनों सीटों पर कमल खिलाया जाए. यही वजह है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ लगातार इन सीटों पर धुआंधार प्रचार कर रहे हैं. इसकी कमान अपने हाथ में ले ली है. तो वहीं समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव का अभी इन सीटों पर प्रचार का कोई प्लान ही नहीं है. जबकि चुनाव प्रचार कल थम जाएगा.


रामपुर और आजमगढ़ में उपचुनाव के लिए 23 जून को वोट डाले जाएंगे. प्रचार का अंतिम दिन 21 जून है. एक तरफ जहां बीजेपी इन सीटों पर धुआंधार प्रचार में जुटी हुई है. खुद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इन चुनाव की कमान अपने हाथ में ली हुई है. वहीं दूसरी तरफ समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव आजमगढ़ चुनाव प्रचार करने के लिए अभी तक गए ही नहीं जो सीट उन्होंने खुद छोड़ी थी  और ना ही वो रामपुर पहुंचे. जबकि सीएम योगी आदित्यनाथ ने जहां पहले आजमगढ़ में चुनाव प्रचार किया और सपा पर जमकर हमला बोला. अब 21 तारीख को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ आजम खान के गढ़ रामपुर में पार्टी उम्मीदवार के पक्ष में चुनाव प्रचार करेंगे. जाहिर है कि बीजेपी इन सीटों को जीतकर 2024 से पहले जनता के बीच एक बड़ा मैसेज देने की तैयारी कर रही है और इसीलिए बीजेपी के तमाम मंत्री सांसद विधायक लगातार चुनाव प्रचार कर रहे हैं.


बीजेपी से ज्यादा ये सीटें समाजवादी पार्टी के लिए महत्वपूर्ण


वैसे तो 2019 के लोकसभा चुनाव में यह दोनों सीटें समाजवादी पार्टी के खाते में गई थी. एक सीट पर आजम खान ने जीत हासिल की थी तो दूसरी सीट पर पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव जीतकर लोकसभा पहुंचे थे. लेकिन जब 2022 के विधानसभा चुनाव हुए तब अखिलेश यादव करहल से विधायक चुन लिए गए तो उन्होंने आजमगढ़ की सीट से इस्तीफा दे दिया. आजम खान ने भी विधायक चुने जाने के बाद लोकसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया. अब बीजेपी से ज्यादा ये सीटें समाजवादी पार्टी के लिए महत्वपूर्ण हो जाती हैं क्योंकि इन सीटों पर उसी का कब्जा था. ऐसे में आजमगढ़ में जहां समाजवादी पार्टी के प्रदेश भर के नेताओं ने डेरा डाला हुआ है. रामपुर में आजम खान अपने बलबूते पार्टी को जीत दिलाने में लगे हुए हैं.  लेकिन सवाल ये खड़ा हो रहा है कि आखिर अखिलेश यादव इन दोनों ही सीटों पर प्रचार करने के लिए अब तक क्यों नहीं गए.  रामपुर की अगर बात छोड़ भी दें तब भी आजमगढ़ से तो वह सांसद रहे और उनके इस्तीफा देने के बाद ही यह सीट खाली हुई. पार्टी ने वहां से धर्मेंद्र यादव को उम्मीदवार भी बनाया है. ऐसे में अखिलेश यादव का आजमगढ़ चुनाव प्रचार के लिए ना जाना कई सवाल खड़े करता है.


सरकार के मंत्री केर रहे ये बड़ा दावा


हालांकि सरकार के मंत्री कह रहे हैं कि कोई प्रचार करने के लिए जाएं या ना जाएं. उससे बीजेपी की रणनीति पर कोई फर्क नहीं पड़ता. बीजेपी हर एक चुनाव को बहुत महत्वपूर्ण मानती है और इसीलिए पार्टी के सारे नेता प्रचार करने के लिए जाते हैं. जबकि पार्टी के प्रवक्ता कह रहे हैं कि दरअसल अखिलेश यादव को यह महसूस हो रहा है कि वह आजमगढ़ की सीट हार रहे हैं इसीलिए अब तक वहां चुनाव प्रचार करने के लिए नहीं गए हैं. समाजवादी पार्टी का इसके पीछे दूसरा तर्क है पार्टी के नेता साफ तौर पर कह रहे हैं कि आजमगढ़ समाजवादी पार्टी का गढ़ है और वहां पार्टी के तमाम नेता चुनाव प्रचार में जुटे हुए हैं पार्टी के विधायकों ने भी अखिलेश यादव से साफ तौर पर कहा है कि उन्हें आजमगढ़ आने की जरूरत नहीं है क्योंकि यह सीट समाजवादी पार्टी के खाते में जा रही है.


जाहिर है उपचुनाव के नतीजों का सरकार की सेहत पर कोई असर नहीं पड़ने वाला, लेकिन चुनावी नतीजे पार्टियों की जनता के बीच कम या बढ़ी हुई लोकप्रियता को बताने के लिए सबसे बड़ा पैमाना है. और ऐसे में कोई भी दल यह नहीं चाहेगा कि 2024 लोकसभा चुनाव से पहले जनता के बीच उसकी लोकप्रियता कम हो.


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