यूपी उपचुनाव: BSP ने छोटे दलों से मात खाई मात, काडर वोटर्स की उम्मीद बने चंद्रशेखर आजाद
UP News: उत्तर प्रदेश में हुए उपचुनावों में बहुजन समाज पार्टी (बसपा) को सबसे ज्यादा नुकसान हुआ है. पार्टी को एक भी सीट नहीं मिली और उसके कई वोट छिटक कर दूसरे दलों के पास चले गए.
UP News: उत्तर प्रदेश में नौ सीटों पर हुए उपचुनाव के परिणाम सबसे ज्यादा बहुजन समाज पार्टी (बसपा) को दर्द दे गए. लोकसभा चुनाव में जीरो पर आउट हुई पार्टी को उपचुनाव में भी एक भी सीट नसीब नहीं हो सकी. बल्कि उनका बचा कॉडर वोट छिटक कर दूसरे पाले में चला गया.
नतीजे बता रहे हैं कि चंद्रशेखर की आजाद समाज पार्टी बसपा के समक्ष बड़ी मुसीबत खड़ी कर रही है. इस चुनाव में बसपा छोटे दलों से मात खाती दिखाई दी है. ऐसे में उसके भविष्य पर सियासी संकट छाया हुआ है. उपचुनाव में चंद्रशेखर आजाद की पार्टी ने आठ सीटों पर ही अपने उम्मीदवार उतारे थे. मुजफ्फरनगर की मीरापुर में आजाद समाज पार्टी को 12.21 प्रतिशत (22,661) से कुछ अधिक वोट मिले. जबकि इस सीट पर बसपा महज 1.75 फीसद (3248) मत पाकर पांचवें नंबर थी. इनसे ज्यादा 10.17 फीसद (18869) वोट ओवैसी की पार्टी को मिले.
बसपा का वर्चस्व हो रहा कम
मुरादाबाद की कुंदरकी सीट पर भी चंद्रशेखर आजाद की पार्टी तीसरे स्थान पर रही और उसे यहां पर 6.39 प्रतिशत यानी 14 हजार दो सौ एक मत मिले. जबकि बसपा को महज 0.49 प्रतिशत (1099) वोट मिल सके. दोनों सीटों पर जिस प्रकार से बसपा की दुर्दशा हुई है.नतीजों पर अगर गौर करें तो बसपा का अच्छा प्रदर्शन अंबेडकरनगर की कटेहरी सीट पर रहा, जहां इनके उम्मीदवार अमित वर्मा को 41,647 मत मिले. वहीं मझवां के प्रत्याशी दीपक तिवारी उर्फ दीपू तिवारी ने 34,927 और फूलपुर में 20,342 वोट मिले.आजाद समाज पार्टी भले ही एक भी सीट नहीं जीत न पाई हो, लेकिन उसने बसपा के वोटों पर सेंधमारी ज़रूर की है.
बसपा मुखिया मायावती ने नतीजे आने के बाद अपनी प्रतिक्रिया में चुनाव में धांधली का आरोप लगाया है. साथ ही उन्होंने कहा कि जब तक चुनाव आयोग इसे रोकने के लिए सख्त कदम नहीं उठाता है तब तक बसपा देश में कोई भी उपचुनाव नहीं लड़ेगी. साथ ही उन्होंने कहा कि लोकसभा और राज्यों में विधानसभा चुनाव पूरी दमदारी से पार्टी लड़ेगी.
क्या बोले राजनीतिक विश्लेषक वीरेंद्र सिंह
वरिष्ठ राजनीतिक विश्लेषक वीरेंद्र सिंह रावत कहते हैं कि बसपा का चुनाव दर चुनाव परफॉर्मेंस खराब होता जा रहा है. लोकसभा के बाद हुए उपचुनाव में बसपा का सबसे खराब प्रदर्शन रहा है. उसे कई सीट पर छोटे दलों से भी कम वोट मिले हैं. उन्होंने बताया कि बसपा के किसी बड़े नेता ने नौ सीटों के उपचुनाव को गंभीरता से नहीं लिया. किसी ने यहां पर प्रचार करने की जहमत भी नहीं उठाई. महाराष्ट्र और झारखंड में चुनाव प्रचार देखने के चक्कर में यूपी की जमीन चली गई.उपचुनाव में बसपा पश्चिमी यूपी सहित छह सीटों पर सीट पर जमानत तक नहीं बचा सकी. ऐसे में उसके सियासी भविष्य पर खतरा है.
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