UP By Election 2024: उत्तर प्रदेश में कुल 9 सीटों पर उपचुनाव होना है, वहीं सभी राजनीतिक दलों के नेता चुनाव प्रचार-प्रसार में जुटे हुए है. इसी बीच नगीना से सांसद चंद्रशेखर ने सोमवार(11 नवंबर) को पूर्व मंत्री आजम खां के बेटे अब्दुल्ला आजम से हरोदई के जिलाकारागार में मुलाकात की. उपचुनाव के बीच अचानक इस मुलाकात के कई सियासी मायने निकाले जा रहे है, लेकिन एक घंटे मुलाकात करने के बाद बाहर लौटे चंद्रशेखर आजाद ने मीडिया से बातचीत के दौरान इसे पारिवारिक मुलाकात बताया है.


चंद्रशेखर आजाद ने यह भी कहा कि जो अब्दुल्ला आजम मेरे भाई है और जब किसी का भाई परेशानी में होता है तो  उसका फर्ज है कि उसे जरूर मिलना चाहिए. जब मुझे गोली लगी थी तो आजम खां का पूरा परिवार मेरे साथ था, आज उसी रिश्ते को मजबूत करने मैं उनसे यहां मिलने आया था. उन्होंने यह भी कहा कि हम सड़क से लेकर संसद तक इस लड़ाई को जारी रखेंगे. इस तकलीफ और परेशानी में हम उनके परिवार को अकेले नहीं छोड़ेंगे. उन्होंने यह भी कहा कि हमें इस बात का दुख है कि सत्ता में बैठे लोग अहंकार में उनका दमन कर रहे हैं और सभी लोग इसका तमाशा देख रहे हैं.


'सड़क से संसद तक इसकी लड़ाई लड़ेंगे'
सांसद ने यह भी कहा कि इस मुलाकात के कोई सियासी मायने नहीं हैं. मेरा भाई (अब्दुल्ला आजम) बहुत मजबूत हैं. हम साथ में हैं और सड़क से संसद तक इसकी लड़ाई लड़ेंगे. साथ ही सरकार बदलने पर इसका हिसाब किया जाएगा. बीजेपी के बटेंगे तो कटेंगे के नारे को लेकर उन्होंने कहा कि हम पढ़ेंगे तो आगे बढ़ेंगे की बात करते हैं. दलित-मुस्लिम गठजोड़ को लेकर चंद्रशेखर ने कहा कि हमारी इस मुलाकात को दलित-मुस्लिम के संदेश को जोड़ रहे हैं, वह यह क्यों नहीं कहते कि एक परेशान मित्र के साथ परेशान साथी खड़ा है.


चंद्रशेखर के इस बयान से सपा ठिठक गई है. सपा से जुड़े सूत्रों का मानना है कि चंद्रशेखर के इस बयान और सिसायी कदम से मुस्लिम मतों में छिटकाव हो सकता है. वहीं बीजेपी चंद्रशेखर के इस कदम से खुश दिखाई दे रही है. घटनाक्रम से वाकिफ लोगों का मानना है कि इससे मुस्लिम बाहुल्य सीटों पर मुस्लिम मतों में तीन तरफा छिटकाव होगा. बसपा, सपा और आसपा (कां) आपस में लड़ेंगे और इसका फायदा उसे हो सकता है.


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